हर कोई खुद की आज़ादी चाहता है पर दूसरे को आज़ादी देने से कतराता है. हर किसी को फक्र है अपने मज़हब पर अपनी जात या नस्ल पर, पर किसी को परवाह नहीं उस परवरदिगार की जो इन सबसे ऊपर है जिसने हर किसी को बनाया है. उसके यहाँ तो ना कोई मज़हब है ना जात ना ही कोई नस्ल, उसके यहाँ अगर कुछ है तो वो है प्यार, मुहब्बत, इश्क. जिस रोज़ दुनियां से ये ख़त्म हो जाएगा उस रोज़ दुनिया ख़त्म हो जायेगी. ना तो ये दुनिया मज़हब से बचेगी ना ही जात से और ना ही नस्ल से अगर बचेगी तो सिर्फ प्यार से.
Pradeep Nigam - Pradeep Nigam added a new photo. | Facebook
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