1 अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाने का रिवाज विदेशी पृष्ठभूमि से भारत में आया। हम भारतीय तो पहले से ही मूर्ख है बिना सोचे समझे, बिना इसका कारण जाने इसे भी पश्चिम के अंधानुकरण में सहजता से अपना लिया कभी इसके मूल कारण को जानने का प्रयत्न नहीं किया ।वैसे वर्तमान समय में मूर्ख दिवस मनाने के लिए दो मान्यताएं प्रचलित हैं। 1381मे पहली बार इंग्लैंड में 1 अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाया गया इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय ने अपनी सगाई का ऐलान किया 32 मार्च किया क्योंकि कैलेंडर में 32 मार्च होते होते नहीं थे इंग्लैंड की जनता ने मूर्खता से सगाई की तैयारियां शुरू कर दीजिए इसलिए 1 अप्रैल को मूर्ख दिवस के रूप में मनाया जाने लगा ।दूसरा कारण फ्रांस में 1582 में पोप चार्ल्स ने पुराने कैलेंडर की जगह नया कैलेंडर शुरू किया । परंतु कुछ नागरिक पुराने कैलेंडर के अनुसार ही नया साल मना रहे थे ।उन लोगों को अप्रैल फूल कहा गया। भारत में अप्रैल फूल मनाने की शुरुआत उन्नीस सौ में अंग्रेजों के आगमन के उपरांत हुई क्योंकि हम भारतीयों के पंचांग के अनुसार नव वर्ष चैत्र माह से ही मनाया जाता है और अंग्रेजों के निगाह में हम भारतीय मूर्ख थे अतः भारत में भी हम भारतीयों की मूर्खता पर मूर्ख दिवस मनाने का चलन प्रारंभ हुआ ।यदि गहराई से देखा जाए तो वास्तव में प्रकृति भी अपना नव रूप इसी माह में धारण करती है चैत्र माह में नई फसलें तैयार हो जाती है ,गेहूं, चना, मसूर इत्यादिअनाज इसी महीने में तैयार होते हैं. वहीं पतझड़ के बाद सभी वृक्षों में नवीन कोपले आती है आम के नवीन फल भी इसी सीजन मे आतें हैं भी इसी माह मेंआदि शक्ति जगदम्बा की नवरात्रि मनाई जाती हैं ।अतः अब हमे सोचना है कि हम मूर्ख दिवस मनाते हैं या भारतीय नववर्ष ।