सिंधुताई के विषय में आप सभी लोग जानते होंगे इस सदी की महानतम महिलाओं में से एक थी । उनके जीवन की कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं को मैंने अपने शब्द देने का प्रयत्न किया है आशा है आप सभी को यह पुस्तक पसंद आएगी।
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अच्छी रचना है हो सके तो मेरी रचना पढ़े और अगर हो सके तो मेरी बुक पर रिव्यु दीजिये मेरी नयी रचना का नाम है वीराना https://hindi.shabd.in/books/10086417
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सिंधुताई इस सदी की महानायीकाओं में से एक है उन्होंने स्वयं संघर्ष में जीवन बिताते हुए, हजारों अनाथ बच्चों की मां बनी और उनका मां की तरह पालन पोषण कर उन्हें नई जिंदगी प्रदान की। आज मैं अपनी
पिछले भाग में आप सभी ने सिंधुताई के जन्म के बारे में पढ़ा ।इस भाग में आप सभी सिंधुताई के बचपन के संघर्ष के बारे में पढेंगें। &nb
10 वर्षीय बालिका ने पिता के समान उम्र वाले पुरुष के साथ दांपत्य जीवन की शुरुआत कीl ग्रामीण परिवेश जहां दिन की शुरुआत घर को गोबर से लीपने से होती, और रात पशुओं को चारा डालने और दूध दु
घर में घुसते ही श्रीहरि ने सिंधु को आवाज दी " सिंधु........ सिंधु कहां मर गई........ चल निकल घर से बाहर " " क्या हुआ जी क्यों चिल्ला रहे हो" "अब और भी कुछ होने को बाकी रह गया है क्या
पिछले भाग में आप सभी ने पढ़ा कि सिंधु ,बालिका के जन्म के बाद मां के घर जाने का निर्णय लेती हैl अपनी नवजात बच्ची को लेकर के बड़ी कठिनाई सेअपने मां के घर पहुंचती हैl सिंधु को अपने घर पर देख
बिन मंजिल चलते चलते सिंधु थककर सड़क के किनारे पेड़ की छांव में बैठ गईl एक तो प्रसव उपरांत की कमजोरी, दूसरे पेट में खाने का एक भी निवाले का न होना l वह भूख और प्या
सिंधु ताई जब रेलवे स्टेशन पर लोगों से खाना मांगती उसी दौरान वहां पर उसे कई बच्चे भोजन के लिए संघर्ष करते दिखाई दे जाते lकभी-कभी कुछ को भोजन नसीब होता तो कभी-कभी वह सभी पानी पी के सो जाते lसिंधु ताई रे
सिंधू ममता की प्रतिमूर्ति थीं, उन्हें रास्ते में जो कोई भी गरीब ,अनाथ, असहाय बच्चा मिलता उसने वह उठा लेती, और स्वयं भीख मांग कर लातीऔर उनको खिलाती , उनके पास पहनने के लिए कपड़े भी नह
"मी सिंधुताई सपकाल" इतना सुनते ही मराठी भारतीयों के उद्घोष से सारा हाल गूंज उठा । "जय महाराष्ट्र" इस उद्घोष ने सिंधुताई के मनोबल को बढ़ा दिया और उन्होंने अपना भाषण देना शुरू किया। " दूध में पकाएं चावल