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मुस्कराहट

30 दिसम्बर 2021

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उगते मुस्कराते सूरज ने कहा ,
 दिन रात जलता हूं मैं आग सा ,
सिर्फ जलना ही है मेरी कहानी ,
ताकि तुम्हारी सुबह हो सके सुहानी,
 अनगिनत सालों से जलता हूं मैं हर रोज,
क्योंकि मुझे मिलती है 
खुशी,
देख तुम्हारी मुस्कराहट को ,

 तो मुस्कुराया करो मेरे लिए
और प्रकृति के हर उपहार के लिए... 
जो करता है त्याग तुम्हारी खुशियों के लिए 
देने को तुम्हें रोशनी 
  फल फूल
    अनाज जल 
       वायु और खनिज
सुनों साथ में तुम भी कर सकते हो 
कुछ हमारे लिए ...

सिर्फ थोड़ा ध्यान रख कर 
पानी का सदोपयोग कर 
  नए पौधे लगाकर
   जंगलो को बचाकर
    वायु ध्वनि प्रदुषण रोकने के प्रयास कर
प्लास्टिक का उपयोग बंद कर  
ताकि हम भी मुस्करा सके वैसे ही जैसे तुम मुस्कराते हो हमारे साथ 
चलो तो फिर वादा करें कि मुस्कराते हैं
एक दूसरे के साथ ❤️🙂

Written and copyright by
Vidushi malpani "veena"
Khandwa mp

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