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वैदिक

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तिथि के लिए आकाश-दर्शन तथा वेधशाला का प्रयोग(वैदिक पञ्चाङ्गपद्धति में वेधशाला तथा दृक् गणना की उपयाेगिता)------------हरितालिका तृतीया (तीजा) पर्व सेप्टेम्बर १ तारिख (भाद्र १५ आदित्यवार) को अथवा २ तारिख (भाद्र १६ सोमवार) को मनाना चाहिए इस विषय में विज्ञों के बीच विवाद चल रहा है । इस प्रसङ्ग में वैदि

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संस्कारों की बात कररहे हैं तो अनेकानेक पुनर्जन्मों की मान्यता को भी अस्वीकार नहीं किया जा सकता है | अत्यन्त आदिम युग में – जिसे हम Primitive Period कहते हैं – संस्कारों का कोई मूल्य सम्भवतःनहीं था | सभ्यता के विकास के साथ ही परिवार तथा समाज कोसुचारू रूप से गतिमान रखने के

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Sanskaarजन्म से पुनर्जन्म“संस्कारों हि नाम संस्कार्यस्य गुणाधानेन वा स्याद्योषाप नयनेन वा || – ब्रह्मसूत्र भाष्य 1/1/4 अर्थात व्यक्ति में गुणों का आरोपण करने के लिए – गुणों का विस्तार करने के लिए जो कर्म किया जाता है वह संस्कार कहलाता है |संस्कार – जन्म से अन्तिम यात्रा त

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कलशुक्रवार 15 जून ज्येष्ठ शुक्ल द्वितीया को लगभग 11:37 पर भगवान् भास्कर भी कौलवकरण और वृद्धि योग में मिथुन राशि तथा मृगशिर नक्षत्र में प्रविष्ट हो गए | मिथुनराशि सूर्य की अपनी राशि सिंह से एकादश और सूर्य की उच्च राशि मेष से तीसरे भावमें आती है |यहाँ से 16 जुलाई को 22:27 क

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Venus Transit in Cancerशुक्र का कर्क में गोचरआठ जून को 26:42 (अर्द्धरात्र्योत्तर 02:42) के लगभग समस्त सांसारिक सुख, समृद्धि, विवाह, परिवार सुख, कला, शिल्प, सौन्दर्य, बौद्धिकता, राजनीति तथा समाज में मान प्रतिष्ठा में वृद्धि आदि के कारक शुक्र का अपने शत्रु ग्रह चन्द्र की रा

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