वक्त लगता है ख़ुद का वक्त बनाने में,
वक्त निकल जाता है यूँही वक्त बनाने में.
ना वक्त रहा मेरा ना वक्त रहा उनका,
निकल गया वक्त यूँही करीब आने में.
करीब आये तो वक्त यूँही गुज़र गया,
दोनों ने कर दी यूँ देर करीब आने में.
इश्क था और हमेशा यूँही रहेगा तुमसे,
बीतेंगे बचे दिन भी यूँही तुम्हारी यादों में.
काश देर ना की होती यूँ करीब आने में,
आज माशूका होती यूँ हमारी बाहों में .
अब करे गिला यूँ किससे इन बातों का,
अब तो ज़िंदगी गुज़रेगी यूँही मयख़ाने में. (आलिम)