"आज हिंदी दिवस है, समस्त सरकारी कार्यालयों में, और कुछ निजी कार्यालयों में भी, सभाएं बड़ी ही सुन्दर सजी हैं, बड़े बड़े लोग आएं हैं, प्रतीत होता है, विरानो में जैसे गुलशन समायें हैं, चेहरों
यहाँ ठगी का है बाजार सजा, सब मस्त हुऐ हैं ठगने में। सब के रस्ते हैं अलग-अलग, पर मस्त हैं स