"आज हिंदी दिवस है, समस्त सरकारी कार्यालयों में, और कुछ निजी कार्यालयों में भी, सभाएं बड़ी ही सुन्दर सजी हैं, बड़े बड़े लोग आएं हैं, प्रतीत होता है, विरानो में जैसे गुलशन समायें हैं, चेहरों
कैसी विडम्बना है ये, कि भ्रम में पड़ा ये मन है, बहुत सोचा बहुत समझा,पर बांवरा ये मन है।विचार बहुत आये मन में,पर चंचल ये मन है,कोशिश की बहुत रुकने की,पर ठहरता नहीं ये मन है।सोचा बहुत आगे बढ़ने को,पर थम गया ये म