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वसूली

18 जुलाई 2022

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भाग   1
शाम का समय है, सूरज देव बड़ी तेज़ी से दूसरी तरफ जाने को बेताब हैं , पक्षी भी अपने घोसलो की तरफ लौटने लगे हैं , लोग भी ऑफिस से छूटने पर अपने अपने घरों कि तरफ भागते जा रहे हैं, यह मुंबई शहर का सबसे व्यस्त स्टेशन मालाड का हाल है, चारो तरफ भिड़ ही भिड़ नजर आ रही है , ऐसे लगता है जैसे भेद एक साथ झुंड में चलते हैं उसी प्रकार लोकल ट्रेन से झुंड के झुंड लोग निकलते हैं ,कोई ऑटो पकड़ने की जल्दी में हैं तो कोई बस पकड़ने के लिए भाग रहा है ,मुंबई शहर में इंसान हमेशा भागता हुआ हो नजर आता है ,इतनी भीड़ में जेबकतरे भी अपना कमाल दिखाते हुए लोगो की जेब साफ कर देते हैं , किसी पर्स में पैसे अधिक नही हो तो उसे पचासों गलियां दी जाती हैं ,इन जेबकतरों को इस बात की परवाह नही है की जिनकी जेब वह काट रहे हैं वह भी तो बड़ी मेहनत से पैसे कमा कर लाते हैं, उन्हे तो अपना काम करने से मतलब है ,फिर चाहे किसी के पास सिर्फ दावा के पैसे हो या किसी को बच्चो की फीस के लिए उधर मांग कर लाएं पैसे हो , स्टेशन के बाहर ठेले और सड़क पर अपनी दुकान लगाने वालो का अलग ही जमावड़ा है, शाम के समय तो आधा रास्ता उनकी वजह से पैक हो जाता है ,आदमी को चलना मुश्किल होता है, अगर ऊपर किसी टावर से यहां का दृश्य देखा जाए तो , ऐसे लगेगा जैसे तिलचट्टे चारो तरफ फैले हैं और अंधाधुंध भाग रहे हैं, ठेले वाले और दूसरे सड़क के धंधे वालो कि जोर जोर से अपने ग्राहकों को अट्रैक्ट करने की आवाज सभी आवाजों को दबा देती है, आप चाह कर भी मोबाइल पर बात नही कर सकते हो, उसी में कुछ भिखारी भी अपना धंधा चमकाए हुए हैं,एक अंधा बना भिखारी को पैसे देने के लिए एक आदमी अपना पर्स निकालने जाता है तो पर्स गायब होता है तो वह परेशान होकर चारो तरफ देखने लगता है, उसकी आंखो में आंसू आते हैं , अभी स्टेशन के ही एटीएम से उसने 10 हजार निकल कर पर्स जेब में रखा था ,  स्टेशन से बाहर आने तक किसी ने अपना कमाल दिखा दिया था , अब तो उसके पास भाड़े के भी पैसे नही थे ,ऊपर से मां की दवा अर्जेंट लेनी थी , अब तो उसका कार्ड भी चला गया था, कुछ दिन पहले उसके गुगल पे से करीब 24 हजार रुपए निकाल गए थे तो उसने सारे डिजिटल अकाउंट बंद कर दिया था, वह अपने एक फ्रेंड को कॉल करके उसे पैसे लेकर बुलाता है, मुंबई शहर की एक खासियत है यहां पर सभी एक दूसरे के काम आते हैं ,यहां जात पात का कोई असर नही है सभी एक साथ काम करते हैं, एक साथ खाते पीते हैं और एक दूसरे के मुसीबत में खड़े भी होते हैं,और अधिकतर लोग एक दूसरे की सहायता भी करते हैं, भिड़ धीरे धीरे बढ़ने लगती  है ,  रोड पर जाम होने लगता है , फुटपाथ पर धंधे वाले बैठे चिल्लाते रहते है, और उसी भिड़ को चीरती हुई एक पुलिस पेट्रोलिंग मोबाइल टीम की गाड़ी आती हैं वह धीरे धीरे आगे बढ़ते हुए सड़क के अंतिम छोर पर जाकर खड़ी हो जाती है , उसमे से एक हवलदार बाहर निकल कर इस तरह अंगड़ाई लेता है जैसे जंगल का शेर गुफा से बाहर निकल आया हो, गाड़ी में एक सब इंस्पेक्टर और कुछ सिपाही बैठे हैं, उसी समय एक चाय वाला जल्दी से चाय और पानी लाकर देता है ,सभी चाय पीकर मुंह बनाते हैं और हवलदार कहता है ," क्या रे तेरे  चाय का टेस्ट रोज खराब होता जा रहा है, लगता है तेरा धंधा बंद करना होगा ,"!! वह गिड़गिड़ा कर कहता है , मोहिते साहब ऐसा मत बोलिए हम गरीब लोग कहां जायेंगे, "!!! हवलदार जिसका नाम तुकाराम मोहिते है वह उसे एक भद्दी सी गाली देकर कहता है ," चल जा और सबके लिए सिर्फ दूध की शुगर काम वाली कड़क कॉफी बना के ला, चल निकल, "!! उसी समय एक वडा पाव और नाश्ते का ठेले वाला वडा पाव और भजिया लाकर देता है ,और सब को सलाम करके जाता है, सभी भजिया और बड़ा पाव पर ऐसे टूटते हैं जैसे पूरे दिन से कुछ खाया नही हो, उसी समय एक करीब तीस साल का एक मध्यम कद काठी का आदमी आता है उसके मुंह में पान भरा हुआ है, उसने सर पर गोल टोपी पहन रखी है ,जिस से पता चलता है की वह मुसलमान है ,उसका नाम है , जमील ,सभी उसे जमील भाई कहते हैं , वह आकर इंस्पेक्टर साहब को सलाम करता है और बाकी लोगो को भी हाथ उठाकर अभिवादन करता है वह हवलदार से पूछता है ," क्या बात है मोहिते साहब मूड ठीक नहीं लग रहा है,कोई प्रोब्लम है तो बोलिए, अपुन ठीक कर देगा ,"!! उसकी बातो से लग रहा है जैसे वह इन लोगो का भागीदार है, और इन्ही के लिए काम करता है, मोहिते कहता " क्या बोलूं  जमील तेरे को ,वो नया ऑफिसर आया है ना,कदम साहब बहुत बेकार आदमी है ,उनको हफ्ता ज्यादा चाहिए , बहुत समझाया पर मानते नही बोलते हैं बंद करो सब फेरी वालों को कोई धंधा नहीं लगाएगा, अब बोलो मैं क्या करू और ये जो सब इंस्पेक्टर गाड़ी में बैठा है ना ( वह एक गंदा सा गली देता है ) बहुत बड़ा कमीना है ,ये भी कल ही आया है ,साले की आंखो में पानी नहीं है  "!! जमील कहता है" साहब ये गरीब लोग पहले ही रोते हैं ऊपर से ज्यादा मंगता है , कहां से देंगे अपुन का क्या ,ठीक है अपुन वसूल करता है,मजबूर लोग हैं देना तो पड़ेगा ही,,*!! वह वहा से जाता है, मोहिते मन ही मन कहता है , *" सबके सब सीनियर हरामी होते हैं, बस गरीब का और करीब का मतलब अपने जूनियर का बैंड बाजा बजाने में लगे रहते हैं,साला जिस दिन गरीबों की बद्ददुआ लगेगी कोई भी नही बचेगा ,,सब के सब भुगतेंगे साले ,ये कमीने हमे भी नही छोड़ते हैं,
आगे की कहानी अगले भाग में पढ़िए""!!


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रचनाएँ
वसूली
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मुंबई शहर में सड़क से लेकर बड़े बड़े इंडस्ट्रीज में हफ्ता वसूली का काम जोर शोर में चलता है ,वह चाहे फुटपाथ पर धंधा लगाने वाले लोग हो या फिर भिखारी ,सभी को हफ्ता देना पड़ता है ,सबसे बड़ी वसूली पुलिस वालो की होती है , और वह वसूली पुलिस वाले खुद ना करके कुछ लोगो को रखते हैं ,ऐसे ही वसूली करने वालो की यह कहानी है वसूली , यह कहानी है जमील और कमल की , जमील तो मुंबई का ही अनाथ था ,और कमल गांव से कमाने आया था , उनके बारे में जानने के लिए पढ़िए *,वसूली*
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जमील का महलl

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भाग 2जमील अपने दो आदमी कमल और फारूक को बुला के बोलता है " आज से डबलिंग कर दे , साहब लोग को भी एक्स्ट्रा चाहिए, ऊपर से ऑर्डर है,"!! कमल कहता है ," जमील भाई उतनाच देने को रोते हैं, तुम डबलिंग करने को बो

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भाग 3 कमल जमील के साथ उसके महल में जाता है वहा एक आधी अधूरी बिल्डिंग थी जिसे ये लोग महल कहते थे, कमल के सामने भी मजबूरी थी क्योंकि और कहीं जा भी नही सकता था ,उसे तो सही में पता नही था कि मुम्बई क

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भाई का प्यार

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भाग 4 कमल और जमील बाहर आते हैं , मनोज भी साथ बाहर आता है ,वह उन्हे ऑटो स्टैंड तक छोड़ता है और धीरे से कमल के जेब में 2 हजार रुपए डालते हैं, कमल उसकी तरफ देखता है तो वह इशारे से

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भाग 5 कमल पहले ही दिन आठ सौ रुपए पाकर खुश हो जाता है ,वह सोचता है *"यह तो अच्छा काम है , शाम को पांच . छह घंटे का काम है फिर फ्री*"!! पर उसे यह नहीं पता था की यह जरायम की दुनिया की शुरुवात ह

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भाग 6कमल कि सोच टूटती है , वह एक वडा पाव वाले के सामने खड़ा है ,वह उसे वाडपव खाने को देने लगता है तो वह मना करता है, तो वह कहता है"* खाले भाई , तु अपने गांव देश का है , बाकी अब इस वसूली में तेरी क्या

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भाग 7 मीना जाती हैं ,कमल उसे जाता हुआ देखता है , और फिर अपने काम में लग जाता है,आज वह बहुत ही खुश था, रात करीब ग्यारह बज रहे थे, उनकी वसूली करीब करीब पूरी हो चुकी थी, तभी उसे मनोज ढूंढता हुआ आते

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गाड़ी वाले को डराना

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भाग 8दोनों फुटपाथ पर बैठे हैं , पुलिस ने लाश का पंचनामा किया उसमे जमील और उस हाथ गाड़ी वाले का बयान लिया जिसके चाकू से उसने मर्डर किया था, वह हाथ गाड़ी वाला भी डर गया था क्योंकि पुलिस वाले उसे भ

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सच्चा दोस्त

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भाग 9रात दोनो की फुटपाथ पर ही गुजरती है , दोनों सुलभ शौचालय में फ्रेश होते हैं फिर वही कपड़े बदल कर गुप्ता के घर जाते हैं , गुप्ता उन्ही का वेट कर रहा था ,सुबह से दो बार पुलिस कि पेट्रोलिंग मोबाइल टीम

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