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विकल्प

24 जनवरी 2018

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दरिया किनारे

दो लोग

दाना डाल रहे हैं

मछलियों को |

पहला -

इसलिए कि

मछली अपना पेट भर सके

और दूसरा -

इसलिए कि

मछली उसका पेट भर सके |

मछली दोनों को ख़ुशी देती है --

एक को ज़िंदा रहकर

दूसरे को जिंदगी देकर |

यह उसका मुक्कद्दर है कि

उसके हिस्से मैं कौन आता है -

क्योंकि उस नादान के पास

दोनों को जांचने परखने का

कोई जरिया या विकल्प भी तो नहीं |

इसलिए -

मेरी बेटियो और बहनो,

मेरे देश की एक सच्चाई यह भी है कि -

मछली और तुम्हारे दरमियाँ

यहाँ कोई मोटा फर्क नहीं |

पसरा पड़ा है जाल चारों तरफ

दाना फेंकने वालों का |

बेहतरी इसी में है कि

किसी के बहकावे में मत आना

पहले जांचना फिर परखना

क्योंकि

खाने की प्लेट पर

पहुँचने के बाद

उस मछली का कोई वजूद नहीं --

ना अपने लिए और ना ही

नदी, तालाब या समंदर के लिए ||

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