करके वादा मुकर जाना ये अदा उनकी तो नहीं,
फिर भी लौट के ना आना कही कोई वज़ह तो नहीं.
इश्क उनको भी है और इश्क हमको भी ,
फिर भी मिल के बिछड़ जाना कही कोई वज़ह तो नहीं.
दरिया से गहरा पानी कहीं और तो नहीं,
फिर भी मछली का प्यासा तड़पना कही कोई वज़ह तो नहीं.
बहारों के मौसम में यूँ महकना चमन का,
फिर भी बुलबुल का मौसम- ए - बहार मे रोना कही कोई वज़ह तो नहीं.
मिल ना पाना किसी भी वज़ह का ठिकाना,
क्या इसकी भी कही कोई वज़ह तो नहीं.