बिशल ने बोहत मुश्किल से हायर सेकेंडरी पास किया, वैसे तो पैसे का कंगाल ही था, जैसे तैसे H.S खतम किया वो तो अलग बात है, उसके पापा कॉलेज में भर्ती होने के लिए पैसे नहीं दे रहे थे ये सबसे बड़ी मुश्किल बात थी। पापा को मानाना काम बड़ी चुनौती नहीं था उसके लिए,पापा ने तो बोल दिया था जाओ जाके नौकरी करो कही, मैं पढ़ाई का खर्चा नहीं उठा सकता। ये सुनने के बाद बिशल का मन उदास, सिर भरी हालत पूरा खराब हो चुका था, इतने सालों का इंतजार ऐसे ही खतम हो जायेगा?? सोचने लगा बिशल। दिमाग कुछ काम नहीं कर रहा था उसका। ऐसे ही सोचते सोचते वो सो गया। सुबह सोया और एकदम दोपहर को नींद दे उठा। खाना भी नहीं खाया, और फिर सो गया, मम्मी बार बार खाने के लिए उठाने लगी पर वो नहीं गया।
बुधवार का दिन था,सभी रात को खाना खा के सो चुके थे और बिशल चुप चाप लेटे रहा, पता नही क्यों उसको उठने का मन नहीं किया।
सुबह हो गई पर वो उठ नही पाया, सुबह 10 से 11 baj गया होगा, किसी तरह बिस्तर से उठने के बाद ब्रश किया और चाय पिया फिर सो गया।
मम्मी को पता नही चलता था की मैने खाना खाया की नही, क्युकी बिशल को सबसे लास्ट में खाना खाने का आदत था।
मम्मी तो मम्मी है पता चल ही जाता है बच्चे ने खाना खाया की नहीं । एक दिन मम्मी को पता चल ही गया, मम्मी पूछ ने लगी तुम खाना क्यों नहीं खा रहे हो, जाओ खाना खा लो, हां खाना खाता हूं बोल के वो नही जाता था ओर सो जाता था। ऐसा करते करते बुधवार से रविवार ये चार दिन कैसे गुजर गए उसे पता ही नही चला। शरीर कमजोर हो चुका था। मम्मी उसका हालत देख घबरा गई ओर रोने लगी। बात बिशल के पापा तक पोहच गई। बिशल का हालत देख पापा बोहात दुखी हुए, साथ में पापा का गुस्सा भी कम हो गया, पर उनके पापा kuch बोले नहीं।
वैसे दुनिया में ऐसा कोई पापा नही जो अपने बच्चे का कष्ट देख के कष्ट न हो।
इधर मम्मी का रोना काम नहीं हो रहा था, बोहत जोर जबर्जस्ती करके खाने के सामने के आई और मम्मी ने अपना कसम दी कहना खाने के लिए। और फिर क्या था बिशल का मम्मी के सामने और कुछ चार ही नहीं चला, फिर उसने थोड़ा सा खाना मुंह में लिया, पर खाना खा नही पा रहा था।
मम्मी कहने लगी मेरा मान रखने के लिए तुम खाना खाया,चुपचाप पूरा खाना खाओ। बिशल तब भी खा नही पा रहा था क्यों की पेट अंदर से सिकुड़ चुका था। पहली बार मम्मी का रोना देख के बिशल को भी रोना आ गया, सच में मम्मी मुझे बोहत प्यार करती है यही सोचने लगा।
सुबह बिशल के पापा ने टेबल पर 1000 रुपया रख दिया, बिशल इतना खुश हुआ की वो किसी को बोल भी नहीं सकता । पता नही दूसरे दिन इतना कॉन्फिडेंस इतना एनर्जी कहा से आया, वो खुशी से जैसे आसमान पे उड़ रहा था। सालों का इंतजार खतम होने वाला था....
क्यों की....
बिशल जिसे पाने ले लिए सालों से इंतजार कर रहा था वो वक्त आने वाला था। वो मन ही मन खुशी से झूम रहा था। वैसे उसका कोई दोस्त नहीं था, पिछले कई साल एग्जाम मे फेल होने से सभी दोस्त कई साल उससे से आगे जा चुके थे। जो भी हो सब तो पीछे छूट चुका था, कोई एक तो अभी उसके पास है, जिसे वो अपना दिल की बात बोल सकता है।
उस समय मोबाइल फोन भी ज्यादा नही था, एंड्रॉयड फोन का तो नामो निशान नहीं था, बिशल के पास भी कोई फोन नही था, उस वक्त एक छोटा सा फोन बोहत बड़ी बक्तित्ब वाली बात थी।
वो दोनों भेट करके ही निश्चित किए कब कॉलेज जाना है कॉलेज मे भरती होने के लिए।
एक दिन उन दोनों निश्चित किया की हम दोनों कॉलेज जायेंगे ओर फॉर्म फिलअप करेंगे,
वो बिशल को कहने लगी तुम पहले फॉर्म फिलअप करके भरती मत हो जाना, जब तक मैं न आऊं।
बिशल ने कहा ठीक है, मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा वहा।
उसने बिशल को पहले ही घर से निकलने के लिए बोल दी थी, वो भी घर से निकल चुका था। कॉलेज के थोड़ी दूर एक हरि मंदिर के पास इंतजार कर रहा था।
तंतेजार करते करते अंधी तूफान सुरू हो गया, कुछ देर बाद जोर दार बारिश भी सुरू हो गई। बिशल उसी हालत मै उसका इंतजार करता रहा।
बिशल का दिल टूट रहा था, डर उसके मन को चारों तरफ से घेर रहा था, वो सोचने लगा, उसने इंतजार करने के लिए बोली थी, अगर वो नही आई तो इतना मेहनत बेकार हो जायेगा, मुझे घर घूम के जाना पड़ेगा, अकेले एडमिशन भी नही ले सकता क्यू कि वो मेरी जान खा लेगी।
बिशल इंतजार करने लगा, सोचने लगा जो होगा देखा जायेगा, आयेगी तो ठीक है,नही तो घर चले जायेंगे।
बारिश थम चुका था, इंतजार करते हुए दो तीन घंटा हो चुका था, अचानक दूर से हल्के बारिश में भीगती हुई आ रही थी, जैसे सांस मैं सांस आया , मानो इंतजार जैसे खतम हो रहा था।
आ कर ही बोली सॉरी तुम्हे इंतजार कराने के लिए, तुम एडमिशन तो नही लिया न।
मैं सोचने लगा....
मैं एडमिशन कैसे ले सकता हु तुम्हारे बिना,
तुम्हारे सिवा मेरा दोस्त और है ही कोन।
To be Continued.......