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24 अप्रैल 2022

24 अप्रैल 2022

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प्रिय सखी।
  कैसी हो । क्या कर रही थी आज । रविवार है आज तो छुट्टी का दिन ।पर हमारी छुट्टी कभी हैती है कभी नहीं।एक गृहिणी कभी छुट्टी नही मना सकती ।सुबह उठते ही ढेरों काम मुंह बाये उसका इंतजार कर रहे होते है कि आओ और हमे पूरा करो।पानी ,रोटी सब्जी , मार्केट का काम , बच्चा बीमार तो मां को चिन्ता।घर मे कोई चीज खत्म हो जाए और वो समय पर ना बता पाये तो पतिदेव का भाषण शुरू हो जाता है । बिना स्त्री के पुरुष की जीवन नैया खैयी नही जा सकती।पर जब पूछो उनसे कि तुम्हारी पत्नी क्या करती हे तो एक ही जवाब मिलता है "कुछ नही यार घर पर खाली बैठी है कोई नौकरी वगैरह नही करती। " मै पूछती हूं नौकरी करने वाली औरतें ही काम करती हे क्या? एक गृहिणी के जिम्मे जितना काम होता है वो दो पुरुष मिल कर भी नही कर सकते। गृहिणी सदा बिजी थी और रहेगी।मुझे याद है हमारी मां सब काम अपने हाथों से करती थी जैसे गेहूं साफ करना,मसाले घर पीसना, अंगीठी पर रोटी बनाना।अगर अंगीठी के ईंधन का सामान खतम हैता तो वो भी घर तैयार करना जैसे कोयले बाजार से म़गवाकर उसे छोटे छोटे टुकड़े करना , मिट्टी ,गोबर,कैयले की चूरी की गिट्टी बनाना।कितने काम होते थे हमारी मां के पास ,कभी आचार बनाना,कभी सवैटर बुनना।वो भी व्यस्त रहती थी ओर आज की गृहिणी भी व्यस्त रहती है चाहे एक बटन दबाने से उसके सारे काम हो जाते हो चाहे।काम की विभिन्नता मे अंतर आ चुका है ।पहले काम और ढंग के थे आजकल काम और ढंग के है पर व्यस्त हमेशा गृहिणी ही रहती है । क्यों सही कहा ना अब चलती हूं अलविदा।

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प्रिय सखी। कैसी हो।दो चार दिन हम पटल से नदारद क्या हुए हमारी सखी हमे मंच के डायरी सेक्शन में दिखाई नही दे रही। अभी समूह मे पूछा है।नही सखी तुम कैसे गायब हो सकती हो।तुम ही तो मेरे विचार और

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हैलो सखी। कैसी हो ।खाटू नरेश की नगरी खाटू से मेरा नमस्कार ग्रहण करो। हां सखी कल ही रात ट्रेन से चले थे खाटूश्यामजी के लिए सुबह छह बजे पहुंच गये थे यहां पर ।सारी रात ट्रेन मे चलने पर

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प्रिय सखी । कैसी हो ।और गर्मी का क्या हालचाल है हमारे शहर मे तो अप्रैल के महीने मे ही जून जैसी गर्मी पड़ रही है ।पर दोष दे भी तो किस को ये हमारा ही किया धरा है भगवान को तो खा

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हैलो सखी। कैसी हो। आज ही कुरियर वाला हमे हमारा ईनाम देकर गया है। हमारे छोटे सपूत दौड़ कर गये और कुरियर वाले से ईनाम लेकर सब को दिखाया कि हमारी ममा ने ईनाम जीता है ।सच मे सखी बड़ी खुशी हो र

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हैलो सखी। कैसी हो। आज मन ठीक नही है । आज मै तुमसे रिश्तों और भगवान की बात करना चाहती हूं ।इस दुनिया मे सब मतलब के यार होते है।खास कर बड़े शहरों मे तो लोग मतलब निकलने के बाद पहचानते भ

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29 अप्रैल 2022

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हैलो सखी । कैसी हो।हम तो यहां गर्मी मे उबल रहे है।जरा मुझे बताएं जो जो मेरी सखी और मेरा वार्तालाप पढ़ रहे है वो बताएं कि उनके शहर मे मौसम कैसा है।हमारे यहां तो तेज लू चल रही है। हां खरबूजे तरबूज

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