दोस्तो, बाबा साहेब आधुनिक भारत के विद्वानों में सबसे महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उन्होंने हमारे समाज के महत्वपूर्ण पहलुओं पर अपने विचार प्रकट किये, जिन विषयों पर अन्य विद्वानों की कोई स्पष्ट दृष्टि नहीं थी। उनके विचार समय के साथ ज्यादा प्रासंगिक होते जा रहे हैं। बाबा साहेब को केवल संविधान निर्माता और दलितों के मसीहा के रूप में ज्यादातर स्थापित किया जाता है जबकि वह एक कुशल समाज सुधारक, संगठनकर्ता, मजदूरों के नेता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, दार्शनिक, समाजशास्त्री, विधिवेत्ता, पत्रकार और स्त्रीवादी चिंतन भी थे। भारतीय समाज को अगर अच्छे ढंग से समझना है तो उनके विचारो को पढ़ना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। बाबा साहेब विश्व की धरोहर हैं और उनको संकीर्णता में बांधना उनके विचारों के साथ न्याय नहीं है। डॉ अम्बेडकर को याद करने के मायने क्या हैं? इसका सीधा सा उत्तर है समतामूलक समाज का निर्माण करना हो या "प्रबुद्ध भारत" के सपने को साकार करना है तो डॉ अम्बेडकर को जानना महत्वपूर्ण हो जाता है। स्वतन्त्रता, समानता, और बंधुत्व ही उनके दर्शन का केंद्र बिन्दु हैं। उन्होंने अपने जीवन में वैचारिकता और तार्किकता को सबसे ज्यादा महत्व दिया, उनके अनुसार जहां तथ्य और मूल्य नहीं हैं वहाँ समाज निर्माण सम्भव नहीं है इसलिये मूल्य आधारित समाज ही उनके विचारों में मुख्य स्थान रखता है। भारतीय समाज में आज भी बहुत सी कुरीतियां हैं जो भारत के लोकतंत्र और अम्बेडकर के राष्ट्रवाद के लिये घातक हैं। उनके सपनों का भारत मानवतावादी होने के साथ साथ आधुनिकता और तकनीकी से संवाद करता है। दुर्भाग्य की बात है कि भारत में आज भी डॉ आंबेडकर को समझने में हम भूल कर रहे हैं उनकी छवि को धूमिल करने में कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी, संगठन और पॉपुलर मीडिया अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। बाबा साहेब का व्यक्तित्व बहुत बड़ा है और उनके शैक्षिक, आर्थिक, सामाजिक धार्मिक और राजनैतिक विचारों को दोबारा से पढ़ने और चिन्तन करने की आवश्यता है।
जय भीम, जय भारत, जय संविधान