सृजनात्मक लेख न का उद्देश्य मानवीय मूल्यों का प्रसार और जीवन की सार्थकता की पहचान करवाना होता है । वही लेखन सार्थक है जो समाज को दिशा दे । न्याय, समानता, भाईचारे और अन्य मानवीय मूल्यों की जो बात करे। मूल्य, व्यक्ति की सामाजिक विरासत का एक अंग होते है इसलिए मूल्यों की व्यवस्था मानव आस्तित्व के विभिन्न स्तरों या आयामों में व्यक्ति के अनुकूलन की प्रक्रिया का मार्गदर्शन करती है. भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश में आज “नैतिक नेतृत्व” की ज्यादा आवश्यकता है और इसको बनाने में सृजनात्मक लेखन का बहुत बड़ा योगदान हो सकता है।