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नागरिकता संशोधन विधेयक (C.A.B. ) 2019

12 दिसम्बर 2019

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भारत में आजकल जो भी हो रहा है उससे देखकर तो यही लग रहा है कि हम मुस्लिम, पाकिस्तान और हिन्दुत्व के मुद्दे को लेकर देश की एकता और अखंडता को किसी भी हद तक दांव पर लगा सकते हैं। नागरिकता संशोधन विधेयक (C.A.B. ) 2019 के द्वारा हम बाहर से आने वालों का तो स्वागत करेंगे लेकिन अब तक जो यहाँ रह रहे हैं उनके बारे सोचना, उनके विकास की बात करना सब कुछ निर्थक सिद्ध कर रहे हैं। धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाला, देश के धर्मनिरपेक्ष ढाँचे पर हमला करने वाला, साम्प्रदायिक जहर फैलाने वाला व हिंदुत्व फासीवादी एजेंडा पर आधारित नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 भारत की एकता के पूरी तरह खिलाफ है। दूसरी तरफ हम भारत के ही सालों से रह रहे लोंगों को NCR के खेल में फंसा कर हम एक बहुत बढ़िया भारत निर्माण कर रहे हैं। जिसमें हम आदमी को आदमी की तरह नहीं समझ उन्हें एक नाजायज़ वस्तु की तरह देख रहे हैं। भारत उन सभी का है जो उसके विकास में सालों से जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं, अपना खून और पसीना एक कर रहे हैं। भारत उन सभी का है जो भारतीय होने का गर्व रखते हैं।

डॉ. देशराज सिरसवाल की अन्य किताबें

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चार्वाकदर्शन के तत्व-सिद्धांत की वर्तमान प्रासंगिकता

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सृजनात्मक लेखन का उद्देश्य

27 दिसम्बर 2016
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सृजनात्मक लेखन का उद्देश्य मानवीय मूल्यों का प्रसार और जीवन की सार्थकता की पहचान करवाना होता है । वही लेखन सार्थक है जो समाज को दिशा दे । न्याय, समानता, भाईचारे और अन्य मानवीय मूल्यों की जो बात करे। मूल्य, व्यक्ति की सामाजिक विरासत का एक अंग होते है इसलिए मूल्यों की व्यवस्था मानव आस्तित्व के विभिन्

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छद्म देशभक्ति

27 दिसम्बर 2016
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परसों दंगल फिल्म देखने गया । फिल्म के शुरू में ही राष्ट्रगान शुरू हुआ तो लोग मजबूरी खड़े होते दिखे । मुझे समझ नहीं आता की क्या सोच कर यह सब किया गया है । इन सिनेमा में कहीं भी पानी का प्रबन्ध नहीं होता । बोतल भी डबल रेट पर दी जाती है । क्या पानी की जरूरत को पूरा करना देश की चिंता नहीं है या सिर्फ

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नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

31 दिसम्बर 2016
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प्रियमित्रों आप सभी को आने वाले वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएंउम्मीद है हम अपने आस्तित्व के साथ साथ अपने जीवन से जुड़े हर व्यक्ति के अधिकारों का ख्याल रखेंगे और उनका सम्मान बनाएं रखेंगें .मानव आस्तित्व की गरिमा ही जीवन का सही आदर्श है और यही सबसे बड़ा कर्म भी है .आप सभी अपने जीवन की नई उंचाईयों पर पहुंचे

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भारत की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले के जन्मदिवस पर हार्दिक बधाई

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विश्वपुस्तक मेला

14 जनवरी 2017
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नई दिल्ली के पुस्तक मेले में आज जाना हो गया काफी समय बिताया

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मेरा भारत और राजनैतिक लोकतंत्र

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डॉ. भीम राव अंबेडकर जी को परिनिर्वाण दिवस पर कोटि कोटि नमन

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"भारत का संविधान" इस समय भारतवासियों के लिए सबसे पवित्र माना जाना चाहिए। धार्मिक ग्रन्थों और संस्थाओं के विपरित ये मानव को मानव से जोड़ने और उसकी गरिमा को बनाये रखने का स्त्रोत है। संवैधानिक मूल्य ही हैं जो आज हम वास्तव में अपने जीवन में प्रयोग कर सकते हैं। ज्यादा नहीं तो हमें संविधान के Part-III: Fu

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शिक्षा और वैचारिक अपंगता

9 दिसम्बर 2019
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आजकल सुनने में आता है कि किसी लेखक को मार दिया गया या किसी व्याख्यान में चिंतक का विरोध हुआ। अगर गौर से देखें तो वर्तमान भारत मेँ चिंतन का विरोध हो रहा है वह भी बड़े पैमाने पर। तर्क और बौद्धिकता हमारे लिए जरूरी नहीं रह गयी है , संवाद की जगह श्रद्धा ने ले ली है। सामान्यतः सेमिनार के प्रतिभागी तर्क स

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हमारे कर्तव्य और लोकतन्त्र

12 दिसम्बर 2019
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भारतीय संविधान में हर भारतीय नागरिक के कर्तव्यों का भी जिक्र है जिसकी उम्मीद हर भारतीय से अपेक्षित है। संविधान में नागरिकों को न्याय, सामाजिक, आर्थिक तथा राजनैतिक कल्याण की राज्य से भी अपेक्षा की गई है ताकि सभी को बराबरी का भी हम मिल सके। वर्तमान में हम देख रहे हैं कि हम कितना आने अधिकारों के प्रति

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नागरिकता संशोधन विधेयक (C.A.B. ) 2019

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रश्मि के नाम कुछ खत... (कविता-संग्रह)

2 अप्रैल 2020
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रश्मि के नाम कुछ खत... (कविता-संग्रह)‘रश्मि के नाम कुछ खत...’ मेरे द्वारा लिखित कविताओं का संग्रह है जो भिन्न-भिन्न समय और मानसिक अवस्था में लिखी गयीं हैं. कविता भावनाओं की अभिव्यक्ति होती है, जिसमें व्यक्ति एक अलग ही तरह का मानसिक सुख पाता है. यह सुख व्यक्तिगत होता है ल

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'कविता मौन ही होती है...’ मेरे द्वारा लिखित कविताओं का संग्रह है जो भिन्न-भिन्न समय और मानसिक अवस्था में लिखी गयीं हैं. कविता भावनाओं की अभिव्यक्ति होती है जिसमें व्यक्ति एक अलग ही तरह का मानसिक सुख पाता है. यह सुख व्यक्तिगत होता है लेकिन कई बार यह व्यक्तिगत से सार्वजनिक भाव भी रखता है.भावनाएं कभी स

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सभी साथियों को डॉ भीम राव अम्बेडकर जी के जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

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दोस्तो, बाबा साहेब आधुनिक भारत के विद्वानों में सबसे महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उन्होंने हमारे समाज के महत्वपूर्ण पहलुओं पर अपने विचार प्रकट किये, जिन विषयों पर अन्य विद्वानों की कोई स्पष्ट दृष्टि नहीं थी। उनके विचार समय के साथ ज्यादा प्रासंगिक होते जा रहे हैं। बाबा साहेब को केवल संविधान निर्माता और दल

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Why I am not a Buddhist but an Ambedkarite?

4 मई 2020
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आजकल भारत में एक नया दौर चल पड़ा है, किन्तु बहुत पुराना नहीं कह सकते है। कुछ लोग भारत को बुद्धमय देखने का सपना सँजोए दलितों को एक विशेष राजनैतिक विचारधारा की तरफ मोड़ रहे हैं और जो लोग उस विचारधारा को नहीं मानते उन्हें निकृष्ट प्राणी की तरह व्यवहार करते है और अपने को "सच्चा अम्बेडकरवादी" स्थापित करते

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डॉ भीमराव अंबेडकर और राजनीतिक लोकतंत्र

18 मई 2020
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डॉ भीमराव अंबेडकर ने 25 नवंबर, 1949 को संविधान सभा में दिए अपने भाषण में अंबेडकर सामाजिक-आर्थिक लक्ष्यों की प्राप्ति में संविधान प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग जरूरी बताते हुए कहते हैं, ‘इसका मतलब है कि हमें खूनी क्रांतियों का तरीका छोड़ना होगा, अवज्ञा का रास्ता छोड़ना होगा, असहयोग और सत्याग्रह का रास्त

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मौलिक कर्तव्य और संविधान के आदर्श

20 मई 2020
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दोस्तों, "मौलिक कर्तव्य" भारतीय संविधान के भाग IV क में अनुच्छेद 51 क में सम्मिलित किया गया है। वर्ष 2002वके 86वें संशोधन के द्वारा मौलिक कर्तव्यों की संख्या 10 से बढ़ा कर 11 कर दी गयी है। देखा जाए तो अधिकारों से पहले कर्तव्य की समझ जरूरी है। हमें सोचना चाहिए कि क्या हम आने मौलिक कर्तव्यों के बारे अच

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मार्क्स और भारत

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मार्क्स का चिंतन भारतीय विद्वानों के लिए एक अनबुझ पहेली है। भारतीय समाज और राज्य पर हम उस चिंतन को सही ढंग से प्रयोग करने की बजाये हम इस बात पर जोर देते हैं कि दूसरे देशों में मार्क्सवाद की क्या गति रही। जबकि सबसे बड़ी बात तो ईमानदारी से चिंतन की है क्योंकि जब भी हमें किसी व्यवहारिक सिद्धान्त की तला

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वर्ष 2020 का अंतिम दिन। यह साल छोटी छोटी खुशियों को सहेजने का साल रहा। कोरोना समय ने बता दिया कि जिन चीजों को हम सहज ही लेते हैं वह बहुत मूल्यवान होती है। शायद यह वर्ष "परिवार वर्ष" बनकर हम सभी के सामने आया। इस वर्ष में बहुत समय मिला पढ़ने को। खुद के लिए कुछ करने को। वरना हम केवल मशीनी बनकर रह गए हैं

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