कैसे- कैसे भ्रम पाल रखे हैं. .... सोते से जाग उठी ख्याली पुलाव पकाती उलझनों में घिरी मृतप्राय जिन्दगी में दुख का कुहासा छटेगा जीने की राह मिलेगी बोझ की गठरी हल्की होगी जीवन का अल्पविराम मिटेगा हस्तरेखा की दरारें भरेगी विधि का विधान बदलेगा उम्मीद के सहारे नैय्या पार लग जायेगी बचनों मे विवशता का पुल