चलो एक दूसरे से फ़ासला बढ़ाया जाए बग़ैर आंसुओं के उम्र भर रोया जाए ऐसा नहीं कि किसी और से नहि मिलता दिल जैसे मिला तुमसे किसी और से कैसे मिलाया जाए तसल्ली तो की थी मगर समझता ही नहीं दिल को कि
दिल से दिल न मिलाया तुमने करम मेरा येही सही मेरे दोस्त ,"रंजन" का हाथ हमेशा मिलेगा तुमको जब समझो मांग लेना !https://ghazalsofghalib.comhttps://sahityasangeet.com
वो भीगी बरसात ओर जाड़े की सर्द रात,वो चाय की टपरी ओर तुम रहो मेरे साथभला इससे भी ज्यादा ओर क्या मांगू रब से,,जब हो कड़क चाय और मेरे हाथ मे तुम्हारा हाथ
गमज़दा रात है बेवफा ए उल्फ़त भी है और तन्हाई है दीवानगी सी लगती है बस वीरानगी सी छाई है - रविंदर विज