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आधुनिक समाज के दोहे|

9 सितम्बर 2021

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मुँह पर मीठी बोलते,दिल में रखते द्वेष,
ए आस्तीन के साँप हैं,इनसे रहें सचेत|1|

साथ रहें मिलते सदा,लेते मन का भेद,
जिस पत्तल में खात हैं,करते उसमें छेद|2|

मुखै हितैषी जो रहें, पीछे करते घात,
ऐसे नर से ना करें,दिल की कोई बात|3|

लम्बी लम्बी फेंकते,नहीं लपेटा जाय,
सीखे जिनसे ककहरा,उनको राह बताय|4|

सूरज को दीपक दिखा, बनते बड़े चलाक,
उड़ो अधिक जुगुनू नहीं,हो जाओगे खाक|5|

घर में भूँजी भांग नहि,बाहर शेखी झार,
करता कब तक मैं रहूँ,अपना बंटाधार|6|

कर्म भला करते रहो,करो न कबहूँ पाप|
बुरै बुराई पाइहौ,तुमको मिलियो आप|7|

भरी जेब सबहीं लखैं,खाली लखैं न कोय|
बिन फल वाले पेड़ की,कहाँ सिंचाई होय|8|

मित्रों इस संसार में,पैसे से है प्रीत|
माँ बेटी बहना रहे,बीबी हो या मीत|9|

गुण्डों को है मिल रही,कड़ी सुरक्षा आज|
भले भलौं कहि छोड़ि कै,उनके सिर पर ताज|10|

इस विकास से रे मनुज,खुदा हो गया क्रुद्ध|
करोना से मरो सभी,मिले हवा ना शुद्ध||11||


बजरंगी लाल
स्वरचित व मौलिक रचना





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अति सुंदर दोहे।

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जी आभार आपका आदरणीया

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