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प्रेम गीत

9 सितम्बर 2021

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             *गीत*
प्रेम होता अधूरा सदा से रहा,पूर्ण करने में हम तो लगे रह गए|
तुमको पाने के रस्ते थे टेढ़े मगर,सीधा करने में हम तो लगे रह गए|
जाति मज़हब के बन्धन लगे थे मगर, काटने के लिए हम लगे रह गए|
पर नियति को न शायद ए मंजूर था,एक होने को हम तो लगे रह गए||
हाथ में हाथ धर उम्र भर का सफर,हम निभाने को हर- पल लगे रह गए|
पूजा अर्चन सभी माँगे मन्नत कभी,साथ रहने को हम माँगते रह गए|
भूलकर सारे रस्मों रिवाजों को हम,तेरी कसमों में हम तो लगे रह गए|
मिल न पाया भले साथ तेरा मगर,साथ चलने को हम तो लगे रह गए||
तुम तो सपनों की उँची उड़ानों पर थी, हम जमीं बन तेरे पग तले रह गए |
हो गयी तुम सफल चूम लो तुम गगन,हम धरा पर धरे के धरे रह गए|
प्रेम होता अधूरा सदा से रहा,पूर्ण करने में हम तो लगे रह गए|
तुमको पाने के रस्ते थे टेढ़े मगर,सीधा करने में हम तो लगे रह गए||


स्वरचित मौलिक रचना
बजरंगी लाल
डीहपुर दीदारगंज आजमगढ़. उत्तर प्रदेश 
मों0 8957179672

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