🌞 ~ आज का अपना पंचांग ~ 🌞
⛅ दिनांक 11 सितम्बर 2018
⛅ दिन - मंगलवार
⛅ विक्रम संवत - 2075 (गुजरात. 2074)
⛅ शक संवत -1940
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - शरद
⛅ मास - भाद्रपद
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ तिथि - द्वितीया रात्रि 06:04 तक तत्पश्चात तृतीया
⛅ नक्षत्र - हस्त 12 सितम्बर प्रातः 02:05 तक तत्पश्चात चित्रा
⛅ योग - शुभ सुबह 07:47 तक तत्पश्चात शुक्ल
⛅ राहुकाल - शाम 03:27 से शाम 04:49तक
⛅ सूर्योदय - 05:56
⛅ सूर्यास्त - 18:20
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅ व्रत पर्व विवरण - चन्द्रदर्शन
💥 विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
💥 चतुर्मास के दिनों में ताँबे व काँसे के पात्रों का उपयोग न करके अन्य धातुओं के पात्रों का उपयोग करना चाहिए।(स्कन्द पुराण)
💥 चतुर्मास में पलाश के पत्तों की पत्तल पर भोजन करना पापनाशक है।
🌞 ~ अपना पंचांग ~ 🌞
🌷 हरितालिका तीज 🌷
🙏🏻 भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज का व्रत किया जाता है। इस बार ये व्रत 12 सितंबर, बुधवार को है। विधि-विधान से हरितालिका तीज का व्रत करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है, वहीं विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य मिलता है।
🌞 ~ अपना पंचांग ~ 🌞
🌷 ससुराल में कोई तकलीफ 🌷
👩🏻 किसी सुहागन बहन को ससुराल में कोई तकलीफ हो तो शुक्ल पक्ष की तृतीया को उपवास रखें …उपवास माने एक बार बिना नमक का भोजन कर के उपवास रखें ..भोजन में दाल चावल सब्जी रोटी नहीं खाएं , दूध रोटी खा लें ..शुक्ल पक्ष की तृतीया को..अमावस्या से पूनम तक की शुक्ल पक्ष में जो तृतीया आती है उस को ऐसा उपवास रखें …नमक बिना का भोजन(दूध रोटी) , एक बार खाएं बस……अगर किसी बहन से वो भी नही हो सकता पूरे साल का तो केवल
➡ माघ महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया,
➡ वैशाख शुक्ल तृतीया और भाद्रपद मास की शुक्ल तृतीया जरुर ऐसे ३ तृतीया का उपवास जरुर करें …नमक बिना करें ….जरुर लाभ होगा…
👉🏻 ..ऐसा व्रत वशिष्ठ जी की पत्नी अरुंधती ने किया था…. ऐसा आहार नमक बिना का भोजन…. वशिष्ठ और अरुंधती का वैवाहिक जीवन इतना सुंदर था कि आज भी सप्त ऋषियों में से वशिष्ठ जी का तारा होता है , उनके साथ अरुंधती का तारा होता है…आज भी आकाश में रात को हम उनका दर्शन करते हैं …
👉🏻 ..शास्त्रों के अनुसार शादी होती है तो उनका दर्शन करते हैं ….. जो जानकार पंडित होते है वो बोलते हैं…शादी के समय वर-वधु को अरुंधती का तारा दिखाया जाता है और प्रार्थना करते हैं कि , “जैसा वशिष्ठ जी और अरुंधती का साथ रहा ऐसा हम दोनों पति पत्नी का साथ रहेगा..” ऐसा नियम है….
🌙 चन्द्रमा की पत्नी ने इस व्रत के द्वारा चन्द्रमा की २७ पत्नियों में से प्रधान हुई….चन्द्रमा की पत्नी ने तृतीया के व्रत के द्वारा ही वो स्थान प्राप्त किया था…तो अगर किसी सुहागन बहन को कोई तकलीफ है तो ये व्रत करें ….उस दिन गाय को चंदन से तिलक करें … कुम -कुम का तिलक ख़ुद को भी करें उत्तर दिशा में मुख करके …. उस दिन गाय को भी रोटी गुड़ खिलायें॥
💥 विशेष - 12 सितम्बर 2018 बुधवार को भाद्रपद मास की शुक्ल तृतीया है ।
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🌞 ~ अपना पंचांग ~ 🌞
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