🌞 ~ आज का अपना पंचांग ~ 🌞
⛅ दिनांक 23 अगस्त 2018
⛅ दिन - गुरुवार
⛅ विक्रम संवत - 2075 (गुजरात. 2074)
⛅ शक संवत -1940
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - शरद
⛅ मास - श्रावण
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ तिथि - द्वादशी सुबह 10:15 तक तत्पश्चात त्रयोदशी
⛅ नक्षत्र - उत्तराषाढा पूर्ण रात्रि तक
⛅ योग - आयुष्मान् शाम 06:09 तक तत्पश्चात सौभाग्य
⛅ राहुकाल - दोपहर 02:04 से शाम 03:39 तक
⛅ सूर्योदय - 05:47
⛅ सूर्यास्त - 18:40
⛅ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
⛅ व्रत पर्व विवरण - प्रदोष व्रत, पवित्रा-दामोदर द्वादशी, विष्णुपवित्रारोपण, शरद ऋतु प्रारंभ
💥 विशेष - द्वादशी को पूतिका(पोई) अथवा त्रयोदशी को बैंगन नहीं खाना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
💥 स्कंद पुराण के अनुसार द्वादशी के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।
💥 चतुर्मास के दिनों में ताँबे व काँसे के पात्रों का उपयोग न करके अन्य धातुओं के पात्रों का उपयोग करना चाहिए।(स्कन्द पुराण)
💥 चतुर्मास में पलाश के पत्तों की पत्तल पर भोजन करना पापनाशक है।
🌞 ~ अपना पंचांग ~ 🌞
🌷 रक्षाबंधन 🌷
🙏🏻 26 अगस्त 2018 रविवार को रक्षाबंधन है ।
➡ सर्वरोगोपशमनं सर्वाशुभविनाशनम् ।
सुकृत्कृते नाब्दमेकं येन रक्षा कृता भवेत् ।।
🙏🏻 इस पर्व पर धारण किया हुआ रक्षासूत्र सम्पूर्ण रोगों तथा अशुभ कार्यों का विनाशक है ।इसे वर्ष में एक बार धारण करने से वर्षभर मनुष्य रक्षित हो जाता हैं ।(भविष्य पुराण)
🌞 ~ अपना पंचांग ~ 🌞
🌷 वैदिक रक्षा-सूत्र ( रक्षाबंधन) 🌷
🙏🏻 वैदिक रक्षाबंधन - प्रतिवर्ष श्रावणी-पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्यौहार होता है, इस बार 26 अगस्त 2018 रविवार के दिन है। इस दिन बहनें अपने भाई को रक्षा-सूत्र बांधती हैं । यह रक्षा सूत्र यदि वैदिक रीति से बनाई जाए तो शास्त्रों में उसका बड़ा महत्व है ।
🌷 वैदिक रक्षा सूत्र बनाने की विधि 🌷
🙏🏻 इसके लिए ५ वस्तुओं की आवश्यकता होती है -
(१) दूर्वा (घास) (२) अक्षत (चावल) (३) केसर (४) चन्दन (५) सरसों के दाने ।
🙏🏻 इन ५ वस्तुओं को रेशम के कपड़े में लेकर उसे बांध दें या सिलाई कर दें, फिर उसे कलावा में पिरो दें, इस प्रकार वैदिक राखी तैयार हो जाएगी ।
🌷 इन पांच वस्तुओं का महत्त्व 🌷
➡ (१) दूर्वा - जिस प्रकार दूर्वा का एक अंकुर बो देने पर तेज़ी से फैलता है और हज़ारों की संख्या में उग जाता है, उसी प्रकार मेरे भाई का वंश और उसमें सदगुणों का विकास तेज़ी से हो । सदाचार, मन की पवित्रता तीव्रता से बढ़ता जाए । दूर्वा गणेश जी को प्रिय है अर्थात हम जिसे राखी बाँध रहे हैं, उनके जीवन में विघ्नों का नाश हो जाए ।
➡ (२) अक्षत - हमारी इष्ट के प्रति श्रद्धा कभी क्षत-विक्षत ना हो सदा अक्षत रहे ।
➡ (३) केसर - केसर की प्रकृति तेज़ होती है अर्थात हम जिसे राखी बाँध रहे हैं, वह तेजस्वी हो । उनके जीवन में आध्यात्मिकता का तेज, भक्ति का तेज कभी कम ना हो ।
➡ (४) चन्दन - चन्दन की प्रकृति तेज होती है और यह सुगंध देता है । उसी प्रकार उनके जीवन में शीतलता बनी रहे, कभी मानसिक तनाव ना हो । साथ ही उनके जीवन में परोपकार, सदाचार और संयम की सुगंध फैलती रहे ।
➡ (५) सरसों के दाने - सरसों की प्रकृति तीक्ष्ण होती है अर्थात इससे यह संकेत मिलता है कि समाज के दुर्गुणों को, कंटकों को समाप्त करने में हम तीक्ष्ण बनें ।
🙏🏻 इस प्रकार इन पांच वस्तुओं से बनी हुई एक राखी को सर्वप्रथम भगवान के श्री-चित्र पर अर्पित करें । फिर बहनें अपने भाई को, माता अपने बच्चों को, दादी अपने पोते को शुभ संकल्प करके बांधे ।
🙏🏻 महाभारत में यह रक्षा सूत्र माता कुंती ने अपने पोते अभिमन्यु को बाँधी थी । जब तक यह धागा अभिमन्यु के हाथ में था तब तक उसकी रक्षा हुई, धागा टूटने पर अभिमन्यु की मृत्यु हुई ।
🙏🏻 इस प्रकार इन पांच वस्तुओं से बनी हुई वैदिक राखी को शास्त्रोक्त नियमानुसार बांधते हैं हम पुत्र-पौत्र एवं बंधुजनों सहित वर्ष भर सुखी रहते हैं ।
🌷 रक्षा सूत्र बांधते समय ये श्लोक बोलें 🌷
येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः ।
तेन त्वाम अभि बध्नामि, रक्षे माचल माचल: ।
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🌞 ~ अपना पंचांग ~ 🌞
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