🌞 ~ *आज का अपना पंचांग* ~ 🌞
⛅ *दिनांक 06 जुलाई 2018*
⛅ *दिन - शुक्रवार*
⛅ *विक्रम संवत - 2075 (गुजरात. 2074)*
⛅ *शक संवत -1940*
⛅ *अयन - दक्षिणायन*
⛅ *ऋतु - वर्षा*
⛅ *मास - आषाढ़*
⛅ *गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार मास - ज्येष्ठ*
⛅ *पक्ष - कृष्ण*
⛅ *तिथि - अष्टमी 07 जुलाई रात्रि 01:22 तक तत्पश्चात नवमी*
⛅ *नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद सुबह 06:54 तक तत्पश्चात रेवती*
⛅ *योग - शोभन सुबह 07:12 तक तत्पश्चात अतिगण्ड*
⛅ *राहुकाल - सुबह 11:04 से दोपहर 12:43 तक*
⛅ *सूर्योदय - 05:23*
⛅ *सूर्यास्त - 19:09*
⛅ *दिशाशूल - पश्चिम दिशा में*
💥 *विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
💥 *अष्टमी तिथि के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
🌞 *~ अपना पंचांग ~* 🌞
🌷 *आसन सिद्ध करने के लिए*
*अनुष्ठान शुरू कर रहे हो तो पहले आसन सिद्ध करें...स्थापना करें । पूर्व दिशा की ओर मुँह करके आसन पर बैठें । चावल के दाने ( अक्षत ) हल्दी से पीले कर दें । अग्नि कोण (पूर्व और दक्षिण के बीच का ) में आसन के नीचे कोने पर वो दाने रख दिए और ' ॐ गं गणेशाय नमः ' मेरा आसन और अनुष्ठान सिद्ध हो ...मेरे जप ध्यान में कोई विघ्न न आए। फिर नैऋत्य कोण ( दक्षिण और पश्चिम के बीच का कोण ) के आसन के कोने के नीचे दाने रख दिए और प्रार्थना करें 'ॐ एं सरस्वत्यै नमः ' ...हे सरस्वती मुझे सद्बुद्धि देना... मेरे अनुष्ठान में मैं ही अड़चन न बनूँ ...मैं उपवास न तोड़ूँ .... मेरी बुद्धि बनी रहे । फिर वायव्य कोण ( पश्चिम और उत्तर के बीच का कोण ) के आसन के कोने के नीचे चावल के दाने रखें और 'ॐ दुं दुर्गाय नमः ' हे माँ दुर्गा ... काम , क्रोध , लोभ, मोह, मद, मत्सर, आदि अगर मेरे जप अनुष्ठान में अड़चन बनें तो मेरे ये दुर्गुणों को भी तू दूर करना । फिर ईशान कोण ( उत्तर और पूर्व के बीच का कोण ) के कोने के नीचे दाने रख दिए और ' श्याम क्षेत्रपालय नमः ' जपे ।*
🙏🏻
🌞 ~ *अपना पंचांग* ~ 🌞
🌷 *जायफल* 🌷
👉🏻 *जायफल रूचि उत्पन्न करनेवाला, जठराग्नि – प्रदीपक तथा कफ और वायु का शमन करनेवाला है | जायफल जितना वयस्कों के लिए हितकर है, उतना ही बालकों के लिए भी हितकर है | यह ह्रदयरोग, दस्त, खाँसी, उल्टी , जुकाम आदि में लाभदायी है |*
👉🏻 *यूनानी मतानुसार जायफल पेशाब लानेवाले, दुग्धवर्धक, नींद लानेवाले, पाचक व पौष्टिक होते हैं | वजन में हलके, पोले और रूखे जायफल कनिष्ठ और बड़े, चिकने व भारी जायफल श्रेष्ठ माने जाते हैं |*
💊 *औषधीय प्रयोग* 💊
➡ *वात – रोग : १ भाग जायफल चूर्ण तथा २ भाग अश्वगंधा चूर्ण को मिलाकर रख लें | ३ ग्राम मिश्रण प्रतिदिन दूध के साथ लेने से वात – रोगों में लाभ होता है एवं रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है |*
➡ *बच्चों के दस्त : जायफल व सौंठ को गाय के दूध में घिस के बच्चों को चटाने से जुकाम से होनेवाले दस्त बंद होते है |*
➡ *अनिद्रा : जायफल चूर्ण को पानी के साथ लेने से अच्छी नींद आती है |*
➡ *मंदाग्नि : जायफल चूर्ण शहद के साथ लेने से मंदाग्नि दूर होती है व ह्रदय को बल मिलता है |*
➡ *मुँह की दुर्गंध : जायफल के टुकड़े को चूसने से दुर्गंध दूर होती है |*
👉🏻 *मात्रा : आधा से २ ग्राम जायफल चूर्ण |*
💥 *सावधानी : जायफल बार – बार अधिक मात्रा में लेने से वीर्य पतला हो जाता है, फलत: पौरुषहीनता आती है | जायफल का प्रयोग बुखार, दाह व उच्च रक्तचाप में न करें ।*
🙏🏻
🌞 ~ *अपना पंचांग* ~ 🌞
🙏🏻🌷🌻🌹🍀🌺🌸🍁💐🙏🏻