🌞 ~ *आज का अपना पंचांग* ~ 🌞
⛅ *दिनांक 10 सितम्बर 2018*
⛅ *दिन - सोमवार*
⛅ *विक्रम संवत - 2075 (गुजरात. 2074)*
⛅ *शक संवत -1940*
⛅ *अयन - दक्षिणायन*
⛅ *ऋतु - शरद*
⛅ *मास - भाद्रपद*
⛅ *पक्ष - शुक्ल*
⛅ *तिथि - प्रतिपदा रात्रि 08:35 तक तत्पश्चात द्वितीया*
⛅ *नक्षत्र - उत्तराफाल्गुनी 11 सितम्बर प्रातः 03:39 तक तत्पश्चात हस्त*
⛅ *योग - साध्य सुबह 11:07 तक तत्पश्चात शुभ*
⛅ *राहुकाल - सुबह 07:47 से सुबह 09:19 तक*
⛅ *सूर्योदय - 05:55*
⛅ *सूर्यास्त - 18:21*
⛅ *दिशाशूल - पूर्व दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण - मौन व्रतारम्भ, श्री रामदेव पीर नवरात्रि प्रारंभ*
💥 *विशेष - प्रतिपदा को कूष्माण्ड(कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌞 *~ अपना पंचांग ~* 🌞
🌷 *मिथ्या कलंक से बचें* 🌷
🌙 *( गणेश / कलंक चतुर्थी पर विशेष )*
🙏🏻 *भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को चन्द्र-दर्शन निषिद्ध माना गया है | इसी दिन चन्द्र-दर्शन से भगवान श्रीकृष्ण पर स्यमंतक मणि की चोरी का मिथ्या कलंक लगा था |*
🌙 *पौराणिक कथा के अनुसार कहते हैं कि एक दिन चन्द्रमा को अपने सौंदर्य का अभिमान हो गया और उन्होंने गजवदन गणेशजी का उपहास कर दिया | अपने तिरस्कार को ताड़कर गणेशजी ने शाप दिया कि “आज से तुम काले-कलंक से युक्त हो हो जाओ तथा जो भी आज के दिन तुम्हारा मुख देखेगा वह भी कलंक का पात्र होगा |” उस दिन भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी थी |*
🌙 *चन्द्रमा के क्षमा-याचना करने पर गणपतिजी ने कहा: “आगे से तुम सूर्य से प्रकाश पाकर महीने में एक दिन पूर्णता को प्राप्त करोगे | मेरा शाप केवल भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को विशेष रहेगा, बाकी चतुर्थियों पर इतना प्रभावी नहीं होगा | इस दिन जो मेरा पूजन करेगा उसका मिथ्या कलंक मिट जायेगा |”*
🌙 *चतुर्थी तिथि के स्वामी गणपति हैं | उपरोक्त प्रसंग से लेकर आज तक अनेक लोगों ने गणपतिजी के उस शाप के प्रभाव का अनुभव किया तथा निरंतर अनुसंधानगत प्रमाणों के कारण आम जनमानस ने भी इसे स्वीकार किया |*
🌙 *चतुर्थी को चन्द्र-दर्शन के निषेध का वैज्ञानिक कारण यह है कि इस दिन सूर्य, चन्द्र और पृथ्वी एक ऐसी त्रिभुज कक्षा में रहते हैं जिससे प्राणशक्ति की विषमता रहती है अपितु उसमें मारक किरणों की भी सत्ता है | पृथ्वी की ओर सूर्य का एक बाजू ही सदैव नहीं रहता, पृथ्वी के भ्रमण के कारण वह प्रतिक्षण बदलता रहता है | यह दशा चन्द्र पिंड की भी है | प्राय: सब चतुर्थियों को और खासकर भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को अपनी चौथी कला दर्शानेवाला चन्द्रमा सूर्य की मृत्यु-किरणवाले भाग से प्रकाशित होता है | हमारा मन चन्द्र से अनुप्राणित (प्रेरित) है | भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को चन्द्र-दर्शन करने से हमारा मन भी चन्द्रमा की विकृत तरंगों से तरंगित होगा व अशुभ फलप्राप्ति का निमित्त बनेगा | अत: इस दिन चन्द्र-दर्शन निषिद्ध है |*
➡ *इस वर्ष १२ सितम्बर (चन्द्रास्त : रात्रि ८.५९ बजे ) व १३ सितम्बर (चन्द्रास्त :रात्रि ९.४२ बजे )- दो दिन चन्द्र-दर्शन निषिद्ध है |*
🌙 *अनिच्छा से चन्द्र-दर्शन हो जाय तो ....*
🌙 *यदि भूल से भी चौथ का चन्द्रमा दिख जाय तो ‘श्रीमदभागवत’ के १०वे स्कंध के ५६-५७ वे अध्याय में दी गयी ‘स्यमंतक मणि की चोरी’ की कथा का आदरपूर्वक पठन-श्रवण करना चाहिए |*
👉🏻 *निम्नलिखित मंत्र का २१,५४ या १०८ बार जप करके पवित्र किया हुआ जल पीने से कलंक कम होता है |*
🌷 *सिंह: प्रसेनमवधीत् सिंहो जाम्बवता हत: |*
*सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्यमन्तक: ||*
🙏🏻 *‘सुंदर, सुलोने कुमार ! इस मणि के लिए सिंह ने प्रसेन को मारा है और जाम्बवान ने उस सिंह का संहार किया है अत: तुम रोओ मत | अब इस स्यमंतक मणि पर तुम्हारा ही अधिकार है |’ (ब्रह्मवैवर्त पुराण :७८.६२-६३ )*
🌙 *चौथ के चन्द्र-दर्शन से कलंक लगता है | दर्शन हो जाय तो उपरोक्त मंत्र-प्रयोग अथवा तृतीया (११ सितम्बर ) या पंचमी (१४ सितम्बर ) के चन्द्रमा का दर्शन कर लो और ‘स्यमंतक मणि की चोरी’ की कथा वाचन या श्रवण करो | इससे अच्छी तरह कुप्रभाव मिटता है |*
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🌞 *~ अपना पंचांग ~* 🌞
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