मैं मृत्यु से बहुत आकर्षित हुआ मैंने बहुत से लोग मृत देखे हैं परंतु कुछ मृत्यु ऐसी होती है जिससे मैं बहुत आकर्षित हुआ । जैसे अगर माहौल फसाद का हो तो मुझे गणेश शंकर विद्यार्थी की मौत की चाहत होती है। यदि दो दिलों में नफरत की चाहत भर रही हो तो मुझे महात्मा गांधी की मृत्यु आकर्षित करती है यदि कोई जबरन हम पर हुकूमत करना चाहे तो मुझे भगत सिंह की मृत्यु की चाहत अपनी आंखों में दिखती है यदि इन सब से अरे मुझे अपने घर पर मरना हो तो मेरे लिए सबसे चाहत भरी मृत्यु होगी डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की तरह
1 दिन पहले वह घर पर थे तबीयत बहुत ठीक नहीं थी मुंबई से डॉक्टर भी देखने आए थे जो देखकर शाम को वापस भी हो गए पत्नी बाहर खरीदारी भी करने गई थी रितु ने हमेशा की तरह सेवा भी की और सुदामा ने पसंद का खाना भी खिलाया जैसे जैन धर्म के कुछ लोगों का समूह उनसे मिला
तार्किक बहसें भी हुई और उनके कार्यक्रम में आने की हामी भी भरी डॉक्टर साहब ने फिर उन्होंने सुदामा से चावल लाने को कहा क्योंकि आज वह चावल खाना चाहते थे।
डाइनिंग टेबल पर कुछ किताबें रखवा दी उन्होंने पड़ा और खाना खाया रत्तू से सिर में तेल लगवाया और किताबें खोलने पढ़ते रहे फिर रततू भी चला गया और अपनी किताब बगदाद धर्म की भूमिका लिखने लगे और लिखते लिखते ही सो गए उसके बाद कभी नहीं उठने के लिए सदा के लिए सो गए
writer Dr Akash Kumar
09-12-202