वो नहीं आये तो कोई गम नहीं मुझको,
आकर पराये से रहे दुःख इस बात का है.
दूर रहते हुए जो एहसास करीबी का था,
पास आने से ना जाने क्यूँ बिखर सा गया.
दिन रात ख़्वाबों में जिन्हे देखा किया करते थे,
हकीकत अब ये है वो प्यार कही खो सा गया.
यकीं अब भी हमें हैं मुहोब्बत पर उनकी,
जाने क्यों अब उनको हमपे भरोसा ना रहा.
आलिम गर दुनियां में यूँ आशिक पे भरोसा न रहे,
आशिक़ी करना इस जहान में फिर तो गुनाह हो गया.(आलिम)