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साप्ताहिक प्रतियोगिता

hindi articles, stories and books related to saaptaahik prtiyogitaa


            एपिसोड आठवा-  अरुण आएशा की नजदीकियां        पिछड़े एपिसोड में हमने देखा था की एलन और आएशा की सगाई अच्छे से हो गईं है, आकाश

          एपिसोड  7- एलन के पिता का मान जाना              हमने देखा था कि आएशा और उसके दोस्त मिलकर कुछ प्लॅन ब

                                      दूसरा- बर्थ डे सेलिब्रेशन  

                              (Romantic thriller story)       &nb

मेरी पहली पढ़ी पुस्तक अब्दुल कलाम जी की विंग्स ऑफ फायर मतलब अग्निपंख,एक किताब में छपा हुवा एक महान इंसान का आम से ख़ास होने का सफ़र।। 

जैविक खेती है ऐसी जैसे किसी नवजात बच्चे को मां का स्पर्श,जब केमिकल फ्रि लगते है फल पौधे तभी तो मन में होता हर्ष।।

रहते थी मेरी मासी जहां पर वो हवेली ना होकर था भूतिया घर, जहां जाने से भी हम बच्चों को लगाता था ना जाने क्यूं ही डर।।

एक नारी ने किया आधुनिक द्युशासन बनकर नारी का चिर हरण,देखा हमने मर्द को छोड़ो नारी को ही नारी की गरिमा को कुचल।।

मुखौटा बनी है इस जगत की पहचान,जो नहीं जाने पहनना वो कितने नादान।

ढेरों अंधविश्वास को थामे चली आई है और चलती रहेंगी ये दुनिया,मक्खियों को राजा बदलने की ख़बर सुनाने की सुनी हमने कहानी।।

मेरे संघर्ष की कहानी बस है इतनी सी रानी लबों पर मुस्कान और आंखों में गहरा पानी।।

ईसानियत है सबसे बढ़कर मानवीय पूंजी,इस बात पे शायद सभी होंगे मेरे साथ राज़ी।

हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा, हिंदी हमारी अनमोल सौगात,मातृभाषा से है हमें प्यार पर राष्ट्र भाषा पे अभिमान।

हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा, हिंदी हमारी अनमोल सौगात,मातृभाषा से है हमें प्यार पर राष्ट्र भाषा पे अभिमान।

उसकी मासूमियत एक अदा है मेरा दिल जीतने की,मुझे यू किनारे पर लाकर बस बेजूबा ही डुबोने की।

हजारों मिलो के फासले थे हमेशा तेरे मेरे दरमिया,कैसे होता मिलना कुछ अपने अंदर ऐसी खामियां।

क्या रखा है किसी के दिल में आधा अधूरा रहने में, हो सके तो किसी एक तो तुम पूरा ही मिल जाना।

बड़े धूम धाम से आया मायके से मेरा गणपति,सारे गम को भुलाकर गाऊ सारे उसीकी आरती 

बुद्धु सा मेरा पगला दोस्त,मिलता था मुझे चाय पर,एक प्याली चाय के कप में,भर भरके वो प्यार डालता ।कभी विलायची सा मीठा,कभी अदरक के जैसा तीखा,कभी लेमन के जैसा वो खट्टा,कभी दूध सा हर रंग में घुलता।पसंद नहीं

जो सुलझाने चले थे,खुद उलझके रह गए,जिन्दगी के रास्ते है ये,कहीं लेकर हमे पहुंचे।जो एक तिनका थे,आज दरिया बनके चले,साथ साथ जितने तूफान,अंदर ही अंदर समेटे चले।बोलना आता है हमें फिर,ख़ामोशी ओढ़े आगे निकले,

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