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पाँच अक्षर(D.el. ed.)में ज़िन्दगी ,जाने कब सिमट गई।पूरी दुनिया है सामने ,पर इसी में सिमट गई।। एक आस लिए लालगंज गए, सक्षम एकेडमी
अंधेरी रातों के पीछे,कुछ पल बाद उजाले।ऐसे ही बदला करते हैं,हाल पूछने वाले।।शुभचिंतक कहलाते हैं,और शुभ से चिंतित होते।शुभ को अशुभ बनाते हैं वे,हाल पूछने वाले।।हर पर हर क्षण साथ रहें,पर साथ नहीं रहते है
अधरों पर थी मधुर स्मिता केश हवा में लहराये।पैरों के नूपुर छन-छन-छन ,हमसे कुछ कहने आए।।"अजी!सुनो, क्यों नज़र छिपाए,बिना बताए जाते हो।है कोई विशेष हमसे भी,या हमसे शरमाते हो।।"तुम ही जीवन धन मेरे हो