shabd-logo
Shabd Book - Shabd.in

अभिव्यक्तियाँ

भरत शरण

2 अध्याय
0 व्यक्ति ने लाइब्रेरी में जोड़ा
2 पाठक
निःशुल्क

खैर अंजाम जो भी हो सब हँस के झेल रहा हूँ मैं। कभी वक्त मुझसे तो कभी वक्त से खेल रहा हूँ मैं।। 

abhivyaktiyan

0.0(0)

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए