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अधूरी मोहब्बत - कहानी माया और शशांक की

5 सितम्बर 2021

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CHAPTER 1

सुबह की दस बज चुकी थी। लेकिन माया अभी तक नहीं उठी थी। वह ऐसे सोई थी जैसे

उसे किसी बात की टेंशन नहीं हो। नीला जी ने घड़ी में टाइम देखा तो shocked रह गई। उन्होंने किचन से अपनी बेटी माया को आवाज लगाई, "माया! बेटा माया ! उठ जा बेटा। स्कूल का टाइम हो रहा है।"

छोटे से घर में नीला जी आवाज घर से बाहर गुजरने वाले को भी सुनाई पड़ जाती थी। लेकिन माया को नहीं सुनाई दी थी। वो अभी भी वेसे ही सोई थी। नीला जी माया के पास गई और चादर खींचते हुए कहा, "माया, उठ। आज तुझे स्कूल नहीं जाना है क्या? टाइम तो देख। दस बज गई है। अब जल्दी उठ वरना स्कूल जाने में देर हो जाएगी।"

माया ने आधी खोली हुई आँखों से नीला जी को देखा और उबासी लेती हुई आंखे मसलले लगी। उसने लेटे-लेटे ही अंगड़ाई लेते

हुए नीला जी से कहा, "हाँ मम्मी उठती हूँ। आप टेंशन मत लो मेने रात को बैग पैक कर लिया था। सब कुछ संभाल के रख दिया है।" इतना कहकर माया ने

चादर फिर अपने ऊपर खींच ली । नीला जी ने चादर फिर माया के ऊपर से हटाते हुए कहा, "ठीक है। अब उठ और
फ्रेश होकर जल्दी से नास्ता कर ले, वरना ठंडा
हो जायेगा। तब तक मैं टिफिन
तैयार कर देती हूँ।"
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माया ने मुस्कुराकर कहा, "हाँ, वैसे भी टिफिन
तैयार करना कितना बोरिंग है।"

नीला जी ने चादर घड़ी करते हुए कहा,
तु ससुराल जाएगी तो भगवान जाने तेरा
क्या होगा!'
'जब

माया ने ससुराल नाम सुना तो उठाकर बेड पर
बैठ गई। और अपने पैर नीचे करते
हुए कहा, "वो जब जाउंगी तब देखा जायेगा",

थोडा रुककर फिर कहा, "मम्मी क्या
ऐसा नही हो सकता कि आप मुझे हमेशा घर पे
ही रखे?"

नीला जी ने माया के इस मासूम सवाल पर
कहा, "ऐसा नही हो सकता बेटा। बेटियों
को कहीं और घर बसाना पड़ता है। और तु
बातो मे टाइम वेस्ट मत कर। वरना स्कूल
के लिए देर हो जाएगी। जा जल्दी से तैयार
होजा।"

माया झट से बेड से उठी और कहा, "हाँ, मैं
बस पाँच मिनिट में तैयार होकर
आई।",
इतना कहकर माया तैयार होने के
लिए चली गई।

नीला जी ने उसे जाते हुए देखा और मुस्कुराने लगी। उन्होंने मन ही मन सोचा,
"ये लड़की भी ना कितनी पागल है। लेकिन
दिल की साफ़ है मेरी बेटी।"

नीला जी अपने घर की साफ-सफाई में लग
गई। माया भी अब तैयार होकर आ चुकी थी।
स्कूल ड्रेस में वो बहुत प्यारी लग रही थी।

उसने अपना टिफिन उठाया और नीला जी से
कहा, "मम्मी, मैं स्कूल जा रही हूँ।"

नीला जी ने उसकी तरफ देखा और कहा,
"अच्छा, संभलकर जाना और हाँ, रोड़ पर
साईकिल ठीक से चलाना।'

माया ने मुस्कुराकर कहा, "हाँ मम्मी, मैं अपना

ध्यान रखूँगी।"

माया ने अपनी साईकिल निकाली। उसने अपनी
मम्मी को "बाय" कहा और साईकिल लेकर
स्कूल के लिए निकल गई।

माया अभी स्कूल से थोड़ी ही दूर थी। तभी
उसकी साईकिल का टायर पंचर हो गया।
माया ने टायर को गुस्से में एक लात मारी।

वो चिढ़कर बोली, "इसे भी अभी हि पंचर
होना था।"

वो अपनी वॉच मे टाइम देखकर मन ही मन
बढ़बढ़ाने लगी, "अब क्या करूँ? पंचर ठीक
कराने जाऊँगी तो स्कूल के लिए देर हो जाएगी।

हे भगवान! साईकिल ऐसे ही स्कूल
ले जानी पड़ेगी क्या?"

माया अपनी साईकिल को जैसे तैसे स्कूल लेकर
गई और उसे पार्किंग मे गुस्से से
पार्क कर दी। वो अपनी क्लास के लिए लेट हो
रही थी। वो मन में कुछ बुदबुदाती
हुई तेजी से सीढ़ियाँ चढने लगी। अचानक वो
एक लड़के से टकरा गई। माया का पैर
फिसल गया। वो डिसबेलेन्स होकर गिरने वाली
थी कि उस लड़के ने उसका हाथ पकड़
लिया और उसको अपनी तरफ़ खींच लिया।
माया ने भी घबराकर उसका हाथ जोर से पकड़
लिया। माया ने उस लड़के को देखा। वो शशांक
था। माया का क्लासमेट। स्कूल
ड्रेस मे शशांक बहुत हेंडसम लग रहा था।

वो दोनो एक-दूसरे को देख रहे थे। दोनों का
दिल तेजी से धडक रहा था। माया
काफी घबरा गई थी। तभी तेज आवाज में
क्लास स्टार्ट होने की बेल सुनाई दी।
दोनो चोंक गए। एक दूसरे का हाथ छोड़कर
दोनों एक साथ अपनी क्लास की तरफ दोड़
पड़े। लेकिन वो टाइम पर पहुँच पाते, उससे
पहले ही बायोलॉजी वाले सर उनकी
क्लास मे आ चुके थे।

माया और शशांक ने एक साथ पहुँचकर कहा,
"मे आई कम इन सर ?"

सर ने हाथ में पकड़ी हुई बुक नीचे करके उन
दोनों की तरफ देखा। फिर अपनी कलाई पर बंधी watch में टाइम देखते हुए कहा,
"लेट हो तुम दोनों।"

माया और शशांक ने अपनी गर्दन नीचे कर ली।

सर ने आगे कहा, "कम इन! लेकिन तुम दोनो
को आज देर क्यु हो गयी? चलो कोई बात
नहीं। आज पहली बार देर हुई इसलिए तुम दोनो
को माफ़ किया। लेकिन आगे से टाइम
ध्यान रखना।"

माया और शशांक दोनो जल्दी से अपनी अपनी
बेंच पर जाकर बैठ गए। और अपनी
बुक्स निकाल ली।

सर ने सभी से कहा, "चलो बच्चो फिर लेक्चर
स्टार्ट करते है।", इतना कहकर सर
ब्लैकबोर्ड की तरह मूड गए और उस पर चैप्टर
का नाम लिख दिया।

माया के पास उसकी बेस्ट फ्रेंड हेली बैठी हुई
थी। हेली ने माया को हल्के से
कोहनी मारी और धीरे से दबी आवाज में पूछा,
"मेरी मायानगरी की माया कहाँ रह
गयी थी? तुझे पता है मैंने तेरा कितनी देर वेट
किया। तुझे आज आने में इतनी
देर क्यूँ हो गई?"

माया ने फुसफुसाते हुए कहा, "हेली की बच्ची,
तु इस वक़्त लेक्चर मे ध्यान
दे और अपना मुँह बंद रख। बाद मे तुझे सब कुछ बता दूंगी। अगर सर ने हमे बात
करते सुन लिया तो डाँट पड़ेगी।"

हेली ने उसे फिर कोहनी मारी और 'हाँ' में
सर हिला दिया।

कुछ देर बाद एक प्यून क्लास मे एक नोटिस
लेकर आया। उस नोटिस में लिखा था
"जो बच्चे सिंगिग competition मे पार्ट
लेना चाहते है वो अपना नाम आज ही
नीचे डेस्क पर जाकर register करवा दे
और जो ये competition जीतेगा उसे
डिस्ट्रिक लेवल पर गाने का मौका मिलेगा और
पाँच हजार रुपए का इनाम भी
मिलेगा।

सर ने नोटिस पढ़कर सुनाने के बाद कहा,
"जिसकी आवाज़ अच्छी है वो तो सिंगिंग
competition मे पार्ट ले ही, लेकिन मेरा
ऐसा मानना है कि दुसरे स्टूडेंट को
भी अपने एक्सपीरियन्स के लिए पार्ट लेना
चाहिए।"

प्यून नोटिस लेकर अगली क्लास की तरफ बड़
गया।

सारे लेक्चर्स होने के बाद स्कूल खत्म होने की
बेल बजी। सारे बच्चे क्लास
से बाहर निकलने लगे। माया और हेली को
singing competetion में रेजिस्ट्रेशन
करने की जल्दी थी। वो दोनो स्पीड से डेस्क
की तरफ बड़ गई। जल्दी डेस्क पर पहुँचने के चक्कर में माया शशांक से एक बार
फिर टकरा गयी।

माया ने उसी स्पीड में चलते हुए या कहें कि
लगभग भागते हुए शशांक से कहा,
'आई एम सॉरी शशांक।" इतना कहकर माया
हेली के साथ तेजी से निकल गई।

शशांक ने अपना कंधा संभालते खुद से कहा,
"सॉरी तो बोल दिया, लेकिन थैंक्स
नहीं बोला क्या उसे याद नही? कि मैंने उसे
सीढ़ियों से गिरने से बचाया था।
याद आयेगा तो बोल देंगी। और थैंक्स ना कहे
तो अच्छा ही है, मुझे वैसे भी
लड़कियों से बात करना अच्छा नही लगता।'

ये सोचते हुए वो सीडियों से नीचे उतरने लगा।
उसके दिमाग में ढेर सारे सवाल
चल रहे थे।

दूसरी तरफ़ प्रिंसिपल सर अपने डेलि रुटिन की
तरह सारे cctv camera की
रिकॉर्डिंग चेक कर रहे थे। उन्होंने उस विडिओ
को देखा जिसमे शशांक ने माया
का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ़ खिंचा था।
प्रिंसिपल सर दोनो के नेचर के बारे
जानते थे। वो दोनों simple और टॉपर थे।
लेकिन उन्हे ये जानना था कि क्या
दोनो एक दूसरे से प्यार करते है ?

प्रिंसिपल सर ने उस विडिओ को देखते हुए
सोचा, "माया और शशांक के दिल मे क्या फीलिंग है? वो तो उन से पूछ के पता
चलेगा। कल दोनो से बात करनी
पड़ेगी।"

हेली माया से अब भी वही सवाल पूछ रही थी
जो उसने क्लास में पूछा था।

हेली ने माया से पूछा, "मेरी मायानगरी की
माया तुने मुझे बताया नहीं कि
तुझे आज स्कूल आने मे देर क्यूँ हुईं ? चल
अब तो तु बता सकती हैI क्लास मे तो तुने मुझे चुप करा दिया था ।

माया ने कहा, "हेली की बच्ची, वो क्या है
ना जब मैं स्कूल आ रही थी तो
स्कूल से थोड़ी ही दूर थी तब मेरी साईकिल का
टायर पंचर हो गया, इसलिए मुझे
स्कूल आने मे लेट हो गया। तु मेरा एक काम
करेगी?"

हेली ने झट से कहा, "तेरा काम तो कर ही
सकती हुँ
तु मुझसे ये कहना चाहती
है कि मैं हमारे सिक्युरिटी दादा के पास जाऊँ
और उनसे कहुँ कि दादा आप
हमारी स्कूल के नजदीक जो पंचर की दुकान है।

वहाँ पर ये टायर पंचर ठीक करा
दीजिए । तो मैं अभी दादा के पास जाकर
उनसे कहती हुँ और तु जा कर अपना
रेजिस्ट्रेशन करा ले ठीक है।"

माया ने मुस्कुराकर कहा, "हाँ, मैं जाती हूँ
रेजिस्ट्रेशन के लिए और इतनी देर मे टायर भी ठीक हो जाएगा। थैंक्स मेरी
हेली की बच्ची ।

हेली ने कहा
जाती हूँ"
"मेंशन नोट, मैं दादा के पास

ऐसा बोलते ही हेली वहाँ से निकल गई और
माया रेजिस्ट्रेशन के लिए चली गई।
उसने अपना नाम रेजिस्टर कराया। इतनी देर मे
हेली भी पंचर ठीक करवाकर गई।

माया दूर से ही हेली को उसकी तरफ दिखी तो
उसने चिल्लाकर पूछा,
"रेजिस्ट्रेशन हो गया है क्या ?"

माया ने उसके पास आते हुए कहा, "हाँ
और अब हमे चलना चाहिए। वरना घर
पहुँचने मे लेट हो जायेंगे।"

हेली ने भी हामी भरते हुए कहा,
चलो।"
"हाँ,

माया और हेली अपनी साईकिल लेकर स्कू
से निकलने लगी। शशांक भी अपनी साईकिल
लेकर निकला। दूसरे बच्चे भी अपनी साईकि
और जिनके पास बाईक थी वो उनकी बाईक
लेकर निकल गए।

माया और हेली अपनी साईकिल रोड़ पर एक
साथ चला रहे थे। और उनके आगे शशांक और
उसका दोस्त दीप अपनी साईकिल चला रहे थे।

आज शशांक को स्कूल से निकलने मे
लेट हो गया था।

शशांक और दीप आपस में बाते कर ही रहे
थे कि उन्हें किसी की साईकिल से
गिरने की आवाज़ सुनाई दी। उन दोनो ने पीछे
मूड कर देखा ।
माया अपनी साईकिल
के साथ रोड पर गिर चुकी थी। हेली माया को
रोड से उठाने की कोशिश कर रही
थी। शशांक और दीप दोड़कर माया और हेली
के पास आए।

शशांक ने अपना बैग दीप को देकर कहा,
"हेली, दीप हमे किसी से लिफ्ट लेनी
होंगी, और माया को जल्दी से हॉस्पिटल
पहुँचाना होगा। इसके हाथ मे चोंट आयी
है और खून भी निकल रहा है।"

माया को इस तरह देखकर तीनों घबरा गए थे।
वो तीनों रोड पर लिफ्ट के लिए खड़े
थे। शशांक ने माया को गोद में उठा रखा था।
खुशकिस्मती से प्रिंसिपल सर की
कार उनके सामने रुकी।

प्रिंसिपल सर ने माया को शशांक कि गोद में
देखा तो जल्दी से कार से निकलकर
पूछा, "तुम ने माया को अपनी गोद मे क्यूँ
उठाया है? और माया की ऐसी हालत
क्यूँ है?"

शशांक ने कहा, "सर माया अचानक साइकिल
से गिर गई। बेहोश हो गई है।"

प्रिंसिपल सर ने माया को देखते हुए कहा,
"बेहोश हो गई है? माया के हाथ मे
चोंट भी दिख रही है। बच्चो माया को जल्दी
से हॉस्पिटल पहुँचाते है।"

माया को कार में लेटाया गया। वे सभी माया
को लेकर हॉस्पिटल पहुँच गए।
शशांक ने माया को बेड पर लेटा दिया। डॉक्टर
आये और माया का ट्रीटमेंट
स्टार्ट किया।

प्रिंसिपल सर ने माया की मम्मी नीला जी को
इंफॉर्म कर दिया। नीला जी भी
जल्दी से भागकर हॉस्पिटल पहुंची। उन्होंने आते
ही नीला जी ने प्रिंसिपल
पूछा, "सर, माया को क्या हुआ है ? "

प्रिंसिपल सर ने बताया, "माया बेहोश हो गई है
और उसके हाथ में थोड़ी सी चोंट
आई है। मुझे पता नहीं था, बच्चों ने मुझे सब
बताया तो हम सब माया को
हॉस्पिटल ले आए।"

नीला जी यह सुनकर घबरा गई। लेकिन उन्होंने
खुद को संभालकर कहा, "सर,
आपका
और बच्चों का बहुत धन्यवाद कि आप माया को
हॉस्पिटल लेकर आए।"

इसी बीच एक डॉक्टर आए और उन्होंने कहा,
"यहाँ पर माया के पेरेंट्स कौन है?"

नीला जी ने बिना कुछ देर किए झट से कहा,
"मैं माया की मम्मी हुँ। "

डॉक्टर ने नीला को उनके कैबिन में बुलाया और
कहा,
'आपका नाम क्या है?"

नीला जी ने अपना नाम बताया, "जी मेरा नाम
नीला गुप्ता है"

डॉक्टर ने आगे कहा, "नीला जी, मुझे आपसे
कुछ पुछना है। क्या माया को पिछले
कुछ दिनों में कोई बिमारी या कुछ हुआ था?"

नीला जी ने अपनी गरदन हिलाते हुए कहा,
"हाँ, डॉक्टर उसे कुछ दिनों पहले
चक्कर आ रहे थे और माया कमजोर भी हो
गई थी। लेकिन हमने उसे डॉक्टर को
दिखाया था और दवाई भी ली थी। माया ठीक
हो गई थी।"

डॉक्टर ने समझते हुए कहा, "ठीक है, लेकिन
नीला जी हमे माया के कुछ टेस्ट
कराने होंगे। मैं आप को डरा नहीं रहा हूँ, पर
मुझे माया की तबियत सही नही
लग रही है।"

नीला जी डॉक्टर की बात सुनकर घबरा गई।
उन्होंने पूछा, "डॉक्टर आप कैसे
टेस्ट की बात कर रहे है ? मुझे कुछ समझ नही
आ रहा है।"

डॉक्टर ने नीला जी को रीलैक्स करते हुए कहा, "नीला जी घबराइए नहीं, बस कुछ
नॉर्मल टेस्ट है। आप एकदम रीलैक्स होकर बाहर
बैठिए।"

नीला जी ने डॉक्टर से पुछा, "इसमें खर्चा
कितना होगा? ताकि हम पैसो का
इंतजाम कर ले।"

डॉक्टर ने सोचकर अंदाजा लगाकर कहा,
मिलाकर तीस हजार तक हो जाएगा।"
'सब

नीला जी एकदम चौंक गई। लेकिन फिर नॉर्मल
होते हुए कहा, "ठीक है,
डॉक्टर।"

आख़िर डॉक्टर कैसा टेस्ट कराने की बात कर
रहे है? माया को ऐसा क्या हुआ
है? इतना महंगा टेस्ट क्यूँ कराना पड़ रहा है
माया का।
नीला जी इतने पैसे
कहाँ से लाएगी ? जानने के लिए पढ़ते रहे
" अधूरी मोहब्बत - कहानी माया और शशांक की "

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