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अध्यात्म दर्शन

28 अप्रैल 2016

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तेरी पूजा में  मेरी लगन  अब  

कुछ कम होती जा रही है प्रभु 

तूने भी तो कितने दिनों से मुझे 

किसी मुसीबत में नहीं डाला

आशीष शर्मा की अन्य किताबें

ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

क्षणिका के माध्यम से एक गहन बात कही है आपने, आशीष जी !

28 अप्रैल 2016

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महोब्बत

27 अप्रैल 2016
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याद" सनम की और "शिद्दत" गर्मी की.......देखते हैँ अब हमेँ "बीमार" कौन करती है....!!💕    Happy evening friends  !!

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एक गम्भीर समस्या

28 अप्रैल 2016
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जख्म हल्का सा है  नासूर हो जायेगा़...ना जाने कौन कितना मजबूर हो जायेगा,,,,कीमत समझो बूंद-बूंद पानी की,,,,, वरना देश का कोना-कोना #लातूर हो जाएगा,,,,

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अध्यात्म दर्शन

28 अप्रैल 2016
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तेरी पूजा में  मेरी लगन  अब  कुछ कम होती जा रही है प्रभु तूने भी तो कितने दिनों से मुझे किसी मुसीबत में नहीं डाला

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कविता

30 अप्रैल 2016
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आईना देखकर खुद से शिकवे करना,कैसा दस्तूर है इन शोख हसीनों का.दिल में कुछ और जुबां पे कुछ और,कौन पढ़ेगा हालेदिल नाज़नीनों का.नज़र मिला के फिर नज़र चुरा लेना,कैसे भरोसा करें इन महज़बीनों का.अच्छी सूरत पाकर यूं इतरा जाना,अब क्या करें इन क़ातिल ह

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