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अध्याय 1

13 अक्टूबर 2021

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जिंदगी के तराने, कुछ नए कुछ पुराने । 
तुम्हारे हो जमाने, या हमारे हो जमाने । 
कुछ किस्से गुनगुनाने, आ गए है हम सुनाने ।
 झूमती धरती, मुस्कुराता आसमान । 
शुरू करता हूँ कहानी, बस पूरा हो यहीं ध्यान॥


"कहानी होती है शुरू पर अंत का विचार मत करना क्योंकि अंत तो कभी न कभी होना ही है । "

बात कुछ ऐसी है, न तो यह प्रेम कहानी है और न ही यह कोई रहस्यमयी कहानी है। तो प्रश्न आता है, फिर क्या है यह ? अरे भाई सब्र रखें अभी तो कहानी शुरू हो रही है पता तो चल ही जाएगा । 

हाँ तो कहानी कुछ ऐसी है। एक बार एक लड़का, बैठा था पेड़ के नीचे, डूबा था अपनी सोच में और सोच रहा था क्या ? एक चौदह पंद्रह साल का लड़का सोचेगा भी क्या ? सोच रहा था काश, होते पेड़ पर कुछ मीठे-मीठे आम, में खाता बैठ कर डाल पर हो जाती यहीं पर शाम। 

पर बेचारा काम का मारा रहता था एक गांव में, नाम था उसका क्या? अरे भाई नाम में क्या रखा है, काम से मतलब रखिए। वैसे काम से याद आया वो कोई बाल मजदूर नहीं था बस घर के छोटे-मोटे काम, नहीं-नहीं मोटे नहीं, छोटे काम जो प्रायः छोटे बच्चों को कुछ घर के बड़े लोग काम थमा देते हैं जैसे बेटा एक गिलास पानी लाना या बेटा दुकान से एक शैंपू लाना । इसलिए बेचारा परेशान था और गुस्से में आज कुछ ज्यादा बोल दिया घर में अब गुस्सा भी क्यों न आए पंद्रह-बीस लोंगों का परिवार मतलब कुल मिलाकर बीस लोंगों का परिवार और ये एक अकेला बड़ा बेटा, बाँकी सब छोटे, कुछ नहीं आता जिन्हे और साथ ही बेटा बड़ों की आज्ञा का पालन करना चाहिए ये अच्छे संस्कार हैं । तो आ गया एक दिन गुस्सा और कह दिया बताओ किस दुकान से लाना है शैंपू , कपड़े की दुकान से, मिठाई की दुकान से , अनाज की दुकान से, सुनार की दुकान से बताओ । 

तो लड़के की माँ कहती है बेटा किराने की दुकान तो तुम भूल गए वैसे हमारे गांव मे इतनी दुकाने कहां हैं । हाँ, ठीक है ठीक है मैं किराने की दुकान से शैंपू ला देता हूँ, बस एक सेकंड रुकिए। तभी माँ कहती है चल बेटा हो गया एक सेकंड चलो लाओ अब शैंपू , तो लड़का बोलता है अरे... पंद्रह मिनट रुकिए । और कुछ देर बाद वह शैंपू लाकर माँ को दे देता है और फिर बिना कुछ बोले वहाँ से चला जाता है । 

फिर वह घर से निकल कर बगीचे की तरफ पहुंचता है जो गांव के पास ही था और वहाँ पर आम के पेड़ के नीचे बैठ जाता है । साथ ही मौसम भी बसंत का था आम की मौरें जो की आम के पेड़ पर फल आने का संकेत हैं, आ चुकी थी इसलिए वह लड़का आम के बारे में सोच रहा था । 

लेकिन सोचने से थोड़े हि आम मिलते है। उसके लिए मौसम का इंतजार करना पड़ता है। वैसे पढ़ने में दिमाग अच्छा चलता था लड़के का। बस परीक्षा में अंक ही कम मिलते थे, तो क्या हुआ, ये उत्तर पुस्तिका जांचने वाले शिक्षक की गलती थी, ऐसा उस लड़के का सोचना था।

अचानक लड़के के मन में एक विचार आता है कि आम एक मौसम में ही क्यों आते हैं। सभी मौसम में क्यों नहीं आते हैं? इसका उस लड़के को कोई उत्तर नहीं सूझता और यही सवाल उसके मन में चलता रहता है। तभी उसके मन में एक और सवाल आता है कि ये पेड़ इतने ऊंचे - ऊंचे क्यों होते हैं? उसका एक सवाल खत्म नहीं होता दूसरा आ जाता है । इसी तरह अगला सवाल कि आम में इतनी मिठास कौन भरता है? सभी पेड़ ऐसे ही मीठे फल क्यों नहीं देते हैं? इस तरह कई सवाल मन में चलते रहते हैं और वो लड़का इन प्रश्नों के साथ घर पहुंचता है।।

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