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अध्याय 10

27 फरवरी 2022

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रचनाएँ
समानांतर प्रेम
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वह चंद मिनटों की मुलाक़ात और राजेश के कुछ शब्द गीत के दिलोदिमाग में घर कर गये । कई दिनों तक सोते जागते राजेश उसके दिलो दिमाग पर छाया रहा । एक दिन अपने कमरे बैठ कर वह एक पुस्तक पढ़ रही थी कि अचानक उसे राजेश की याद आने लगी। उसने सोचा कहीं उसे राजेश से प्यार तो नहीं हो गया ?
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अध्याय 1

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1990 ,आगरा   राजेश जब आगरा कालेज पहुंचा सलीम गेट पर ही मिल गया ।  सलीम राजेश को देखते ही बोला , “तुम बस एक मिनट देर से आये । “  राजेश बोला , “मैं तो समय से ही आया हूँ। आज क्या खास है ।”  सलीम , “

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अध्याय 3

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 शाम को बैडमिंटन प्रैक्टिस करके लौटते समय सलीम ने पूंछा , “दशहरे पर झाँसी जाओगे क्या ?” राजेश का घर झांसी में था ।  “हाँ, जाऊंगा। क्यों?” राजेश ने पूंछा ।  “मैं भी सोच रहा हूँ अपने घर इटावा हो आऊं

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अध्याय 4

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 दशहरा पर राजेश झांसी में पंचकुइयां मोहल्ले में स्थित अपने घर पर था। शाम को वह और राजेंद्र पास में स्थित देवी मंदिर में देवी जी के दर्शन करके रानी लक्ष्मीबाई के किले के बगल वाले मैदान में रावण दहन क

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अध्याय 5

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 रात को खाने की मेज पर पापा ने अचानक पूंछ लिया , “पढ़ाई कैसी चल रही है। “  “ठीक चल रही है ,” राजेश ने जवाब दिया ।  राजेश के पिता एक रमेश चंद्र आयुर्वेदिक डॉक्टर थे। शहर से थोड़ा दूर सीपरी बाज़ार में

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अध्याय 7

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 सलीम ने फोन पर राजेश का कार्यक्रम पूंछ लिया था ।  जब राजेश आगरा के राजामंडी रेलवे स्टेशन पर उतरा तो सलीम प्लेटफार्म पर पहले से मौजूद था ।  राजेश के पास एक वी आई पी सूटकेस था ।  सलीम ने पूंछा , “

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अध्याय 8

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 यूनिवर्सिटी स्पोर्टस प्रारम्भ हुए । विभिन्न खेलों की प्रतियोगितायेँ अलग अलग स्थलों पर आयोजित की गयीं थीं । कुछ प्रतियोगिताएं आगरा कालेज , कुछ सेंट जोन्स कालेज ,और कुछ अन्य स्थानों पर । बैडमिंटन का

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अध्याय 9

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 ललितपुर  वह चंद मिनटों की मुलाक़ात और राजेश के कुछ शब्द गीत के दिलोदिमाग में घर कर गये । कई दिनों तक सोते जागते राजेश उसके दिलो दिमाग पर छाया रहा । एक दिन अपने कमरे बैठ कर वह एक पुस्तक पढ़ रही थी कि

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अध्याय 10

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 मधु अपने माँ बाप की इकलौती संतान थी । अतः लाड़ली भी अधिक थी । मधु की जीत की खुशी में उसके पिता स्क्वाड्रन लीडर राकेश ने सिविल लाइन में स्थित अपने निवास पर एक पार्टी का आयोजन कर डाला । उसमें उन्होंने

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अध्याय 11

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 जैसा तय हुआ था दूसरे दिन शाम 6 बजे राजेश और सलीम तैयार होकर हॉस्टल के गेट पर खड़े हो गये । थोड़ी देर में एक सफ़ेद सेंट्रो कार वहाँ आयी । कार ड्राइवर चला रहा था और आयशा पीछे बैठी थी । राजेश आगे बढ़कर ड्

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अध्याय 12

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 सुबह गीत तैयार होकर कालेज के लिए निकलने  वाली थी । पापा ने उसे बुलाकर कहा , “अपना मोबाइल श्याम दे दो , कालेज में तो वैसे भी उसका कोई काम नहीं। ”  श्याम पास में ही खड़ा मुस्करा रहा था ।  गीत की पापा

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अध्याय 13

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 राजेश को पता भी नहीं था कि वह इस तरह गीत की जिंदगी में शामिल है । वह मधु को अपने ख्वाबों में शामिल कर चुका था ।  लेकिन उसका ख्वाब ज्यादा दिन चला नहीं । मधु का व्यवहार उसके प्रति उतना ही मित्रता पू

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अध्याय 14

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 जिस दिन राजेश का दिल टूटा था संयोग से शनिवार था ।  शाम को सलीम उसके कमरे पर आया तो उसने पाया कमरे का दरवाजा खुला था । अंदर राजेश चारपायी पर चित सोया पड़ा था । सलीम ने अंदर जाकर लाइट जलायी और राजेश

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अध्याय 15

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 दो साल बाद  एक दिन जब गीत रुचि के घर मिलने गयी तो बातों के बीच में रुचि ने कहा , “गीत तुम्हें मेरे राजेश भैया याद हैं जिन्हें तुमने झाँसी में देखा था ?”  “हाँ । क्यों ?” गीत ने पूंछा ।  “ वो इला

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अध्याय 16

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 राजेश मधु की तरफ जितनी तेजी से आकर्षित हुआ था उसके प्यार की कल्पना भी उतनी ही तेजी से चकनाचूर हो गयी थी। घटना उतनी बड़ी नहीं थी क्योंकि हकीकत में राजेश और मधु की मित्रता भी ठीक से नहीं हो पायी थी जब

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अध्याय 17

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 पिता की तमन्ना पूर्ण करने के लिये राजेश एम ए करने के पश्चात केंद्र और राज्य की सिविल सर्विसेस की प्रतियोगिता परीक्षाओं में बैठता रहा । सारे प्रयासों के बावजूद आइ ए एस तो वह न बन सका लेकिन वह राज्य

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अध्याय 18

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 राजेश अब लखनऊ में बिक्री कर अधिकारी के रूप में कार्य कर रहा था । राजेश और सुनन्दा के एक पुत्र शैलेश और पुत्री शैली थे जो बड़े हो चुके थे । पुत्री 12वीं और पुत्र 8 वीं में पढ़ रहे थे ।  एक रविवार राज

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अध्याय 19

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 घर और ऑफिस दोनों जगह कम्प्यूटर और इंटरनेट की सुविधा होने के बावजूद वह उसका बहुत कम इस्तेमाल करता था । वह इंटरनेट का उतना ही प्रयोग करता था जितना ऑफिस के कार्य के लिए आवश्यक होता ।  कुछ दिनों पहले

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अध्याय 21

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 गीत की शादी को 21 साल गुजर गये । वो एक 18 साल के बेटे और 14 साल की बेटी की माँ है । उसे अपनी जिंदगी से कोई खास शिकायत नहीं । पति भी उदार हृदय हैं । जब बेटा हुआ तो गीत ने उसका नाम राजेश रखा । फिर बेट

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