1990 ,आगरा
राजेश जब आगरा कालेज पहुंचा सलीम गेट पर ही मिल
गया ।
सलीम राजेश को देखते ही बोला , “तुम बस एक मिनट देर से आये । “
राजेश बोला , “मैं तो समय से ही आया हूँ। आज क्या खास है ।”
सलीम , “अभी अभी मधु अंदर
गयी । “
राजेश , “कौन मधु ?”
सलीम, “वही लड़की जिसके पीछे
सारे कालेज के लड़के दीवाने हो रहे हैं । “
राजेश , “तेरी दीवानगी का क्या हाल है ?
सलीम , “मैंने तो पहले ही
हथियार डाल दिये यार। इतनी खूबसूरत और इंटीलिजेंट लड़की मुझे तो लिफ्ट देने से रही
। “
राजेश , “खैर छोड़ो , चलो क्लास में चलते हैं ।”
दोनों क्लास में जाकर बैठ गये ।
इंटरवल में सलीम ने कहा , “चल उसे देख कर आते हैं । “
राजेश-“कहाँ ?”
“बायलोजी विभाग में, उसकी क्लास वहीं है ।” सलीम बोला ।
राजेश के मन में भी उत्सुकता जाग गयी थी सो बोला
, “तुम कहते हो तो चलो ।”
दोनों मैथ्स विभाग से केमिस्ट्री विंग से होते
हुए बायोलॉजी विभाग के सामने पहुंचे । उनकी किस्मत अच्छी थी । विभाग से उतरती
सीडियों पर एक किनारे कुछ छात्राएं किताबें गोद में रखे बैठी थीं ।
सलीम ने धीरे से कहा , “ सीडियों पर देख । “
राजेश ने उस तरफ देखा तो देखता ही रह गया । उसे
बताने की जरूरत नहीं थी सलीम ने किस लड़की का जिक्र किया था । सलीम ने धीरे से कहा ,”गुलाबी दुपट्टा । “
पर राजेश तो पहले ही गुलाबी दुपट्टे वाली के
सौन्दर्य में खो चुका था । वह गोरी नहीं थी । शायद उसका रंग गेंहुआ कहा जा सकता था
। उसमें कुछ एसी बात जरूर थी जिसकी व्याख्या तो राजेश नहीं कर सकता था लेकिन उसने
उसमें एक जबर्दस्त कशिश महसूस की ।
उसके तीखे नाकनक्श , बॉब कट बाल , सफ़ेद सलवार सूट जिस पर
गुलाबी रंग के फूल कढ़े थे और उसपर गुलाबी दुपट्टा उसे बाकी लड़कियों से कुछ अलग
दिखा रहे थे ।
राजेश थोड़ी देर अपलक उसे देखता रहा । लड़कियों ने
जब नज़र उठा कर उसे देखा तो झेंप कर उसने नज़र हटा लीं और सीधा आगे बढ़ गया । सलीम
उसके बगल में चलता रहा ।
थोड़ा आगे जाकर वे उसी रास्ते से वापस लौटे तब तक वो और उसकी सहेलियाँ वहाँ से जा चुकीं
थीं ।
राजेश और सलीम अपने मैथ्स विभाग की तरफ बढ़ गये ।
क्लास में पहुँचकर दोनों क्लास में अपनी जगह जाकर बैठ गये ।
राजेश उस दिन कालेज से हॉस्टल लौट कर अपने कमरे
में लेटकर काफी देर मधु के बारे में ही सोचता रहा ।
शाम को सलीम आ गया । दोनों सड़क पर टहलने निकल
गये ।
राजेश के दिमाग में अब भी मधु घूम रही थी ।
उसने सलीम से पूंछा , “ये मधु तो वाकई बहुत खूबसूरत है ।
सलीम , “खूबसूरत ही नहीं ,ज़हीन भी है । “
“ज़हीन माने ?” राजेश ने पूंछा । सलीम शायरी का शौकीन था और बातचीत में कभी कभी उर्दू शब्दों
का प्रयोग किया करता था ।
“यानि इंटेलिजेंट यार । “सलीम ने जवाब दिया।
राजेश –“इंटेलिजेंट है ये तुझे कैसे पता ?”खूबसूरत है तो जरूरी नहीं होशियार भी हो ।“
सलीम-“मैंने उसे प्रिंसपल से बात करते सुना है । क्या फर्राटेदार इंगलिश बोलती है !”
राजेश , “इंग्लैंड के गधे भी इंगलिश बोलते हैं । “
सलीम , “नहीं यार । सुना है
कि जहां से वह आयी है वहाँ की टॉपर है । “
राजेश, “कहाँ से आयी है ?
सलीम –“कानपुर से । वहाँ बी एस सी पार्ट वन में
अपने कालेज में टॉप किया था । उसके पिता एयर फोर्स ऑफिसर हैं । पिता का यहाँ
ट्रांसफर हुआ तो यहाँ आ गयी । “
राजेश –“तूने बड़ी जानकारी इकट्ठी कर ली है !कैसे
?”
सलीम –“मेरी कज़िन आयशा उसकी क्लास में पढ़ती है ।
उसीसे ये सारी मालूमात हुई । “
राजेश , “बहुत अच्छे । तू बहुत आगे जाएगा
सलीम , “मैं चाहता हूँ तू
आगे बढ़े । “सलीम ने राजेश की पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा ।
दोनों टहलते हुए हॉस्टल से काफी दूर आ गए थे ।
राजेश बोला , “चल वापस चलते हैं । “
दोनों वापस हॉस्टल की ओर चल दिये ।