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अहंकार का अंत

27 फरवरी 2022

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सोनम और सोनिया दो बहने थी। सोनम बड़ी और सोनिया छोटी थी। दोनों बहने बहुत सुंदर थी। सोनम से सुंदर सोनिया थी। सोनिया को अपनी सुंदरता पर बहुत घमंड था।उसे लगता था कि वह अपनी सुंदरता का उपयोग करके किसी से कुछ भी करा सकती है ।सोनम भी सुंदर थी। वह सुंदर होने के साथ दयालु और गुणवती भी थी। सोनम और सोनिया दोनों एक साथ एक ही स्कूल में पढ़ती थी ।सोनम से उसके माता-पिता खुश थे। लेकिन सोनिया के बात और व्यवहार से दुखी थे ।वह सोनम को समझाते थे ,कि अहंकार नहीं करना चाहिए अहंकार से कुछ प्राप्त नहीं होता है। मेहनत करो योग्य बनो किंतु सोनिया अपने  माता पिता की बात पर ध्यान नहीं देती थी ,पूरा दिन आईने के सामने खड़े होकर खुद को निहारती रहती ।मैं इतनी सुंदर हूं यह सोच सोच कर इतराती रहती ।सोनम खूब मन लगाकर पड़ती है, और एक दिन एक सरकारी शिक्षक बन जाती है ।
एक दिन सोनम और सोनिया के मां की सहेली अपने बेटे का रिश्ता लेकर आती है ।सोनम और सोनिया के मां के पूछने पर कि तुम्हें मेरी कौन सी बेटी पसंद है किस से अपने बेटे का विवाह करना चाहती हो, तो वह कहती है ,कि मेरे बेटे को दोनों में से जो भी पसंद आएगी, मैं उसकी शादी अपने बेटे राजीव से कर दूंगी। दूसरे दिन राजीव सोनम और सोनिया को देखने के लिए आता है ।वह सोनम और सोनिया दोनों को देखता है। दोनों ही सुंदर थी। वह सोनम और सोनिया से अलग-अलग मिलकर बात करता है। वह दोनों से एक ही प्रश्न करता है, कि अगर भविष्य में मैं किसी रोग से ग्रसित हो जाऊं या मेरी नौकरी चली जाए तो तुम क्या करोगी? सोनम जवाब देती है , मैं आपकी अर्धांगिनी होने के नाते मेरा कर्तव्य है ,कि मैं आपके दुख सुख में आपके साथ खड़ी रहूं और हम दोनों मिलकर उस मुश्किल का सामना करेंगे। वहीं सोनिया कहती है कि ऐसे समय में मैं अपनी माता पिता के घर चली आऊंगी आप बेफिक्र होकर मेरी चिंता छोड़ कर नई नौकरी की तलाश करना। दोनों की बातें सुनकर राजीव अपनी जीवन संगिनी के रूप में सोनम को चुनता है। वह अपनी मां से कहता है कि मैं अपनी शादी सोनम से करना चाहूंगा ।यह बात सुनकर सोनिया को बहुत गुस्सा आता है। वह बोलती है कि तुमने मुझे नामंजूर क्यों किया। मैं इतनी सुंदर हूं कि मुझसे कोई भी विवाह करना चाहेगा। तुम मुझे छोड़कर सोनम को कैसे पसंद कर सकते हो। राजीव कहता है कि मैं तुम दोनों से एक प्रश्न किया था। जिसका उत्तर पाने के बाद मुझे सोनम अपनी पत्नी के रूप में पसंद आई। सोनम सुंदर होने के साथ-साथ बुद्धिमान भी है। वह बुरे परिस्थिति में मेरे साथ खड़ी रहेगी और तुम मुझे छोड़कर जाने की बात कह रही हो। तुम खुद से प्रेम करती हो और स्वार्थी भी हो जबकि सोनम खुद से पहले दूसरों के लिए सोचती
हैं ।
यह सुनकर सोनिया का घमंड चूर हो जाता है ।अब उसे समझ आता है कि मां- पापा मुझे सही कह रहे थे,कि योग्य बनो और लोगों से प्रेम करना सीखो। सोनिया के समझ में आ रहा था कि तन की सुंदरता से ज्यादा मन की सुंदरता का मूल्य होता है।

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रचनाएँ
प्रेरणादायक कहानियां
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यह किताब प्रेरणादायक कहानियां का संग्रह है।
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कर्म और संस्कार

24 फरवरी 2022
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शोभित नाम का एक बालक था। शोभित का जन्म मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर गांव में हुआ था। शोभित अपने माता-पिता का इकलौता संतान था। शोभित अपने माता पिता के साथ नरसिंहपुर गांव में रहता था। शोभित के पिता पेशे से

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लालची ससुराल

24 फरवरी 2022
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निधि नाम की एक लड़की थी ।निधि के पिता घनश्याम सोनार थे। निधि की माता का निधन निधि के जन्म के एक वर्ष बाद हो गया था। निधि अपने पिता घनश्याम की इकलौती बेटी थी। निधि को उसके पिता ने बहुत नाजो से पाला था

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सन्तोष का फल

26 फरवरी 2022
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एक समय की बात है। वीरेंद्र नाम का एक लंगड़ा और गरीब व्यक्ति था। वह स्वभाव से बहुत दयालु और संतोषी था ।वीरेंद्र अपनी पत्नी विनीता के साथ गांव के बाहर एक छोटे से घर में रहता था। रोज सुबह उठकर वह ईश्वर क

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अहंकार का अंत

27 फरवरी 2022
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सपना की भक्ति

27 फरवरी 2022
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सपना नाम की एक छोटी सी लड़की थी ।सपना के माता-पिता दोनों ही नहीं थे। सपना अपने चाचा चाची के साथ रहती थी। सपना के चाचा  सोनू की एक बेटी थी। सोनू  सपना को मानते थे,  चाची  गीता और उनकी बेटी रानी  सपना क

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जैसी करनी वैसी भरनी

4 अप्रैल 2022
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गोविंदपुर गांव में एक राजू नाम का बनिया था। वह बहुत क्रोधी और लालची था ।वह गांव वालों को सामान महंग और मिलावटी कर देता था। गांव वालों को पता था कि वह सामान में मिलावटी करता है, पर लोग उसे कुछ भी नहीं

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दया का फल

4 अप्रैल 2022
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संतोष एक नेक और दयालु व्यक्ति था। वह किसी को पीड़ा में नहीं देख सकता था। किसी को कुछ भी पीड़ा हो वह दौड़कर उसकी मदद के लिए जाता था। वह इंसान ही नहीं पशु पक्षी जानवर सब के लिए दया की भाव रखता था। वह हर

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