गोविंदपुर गांव में एक राजू नाम का बनिया था। वह बहुत क्रोधी और लालची था ।वह गांव वालों को सामान महंग और मिलावटी कर देता था। गांव वालों को पता था कि वह सामान में मिलावटी करता है, पर लोग उसे कुछ भी नहीं कहते थे। सब मजबूर थे ।जब लोगों के पास पैसे नहीं होते थे, तो वह उन्हें उधार भी देता था ।कभी-कभी वह लोगों से उधार वसूलने के लिए लोगों का सामान भी ले लेता था ,और उधार वसूलने के लिए लोगों पर अत्याचार करता था, पर गांव वालों अपनी मजबूरी के वजह से आवाज नहीं उठाते थे।
कुछ समय बाद उस गांव में हरीश नाम का एक नया बनिया आया। वह भी उस गांव में दुकान खोला। हरीश स्वभाव से अच्छा था। वह सामान बहुत अच्छा और सही कीमत पर बेचता था। धीरे-धीरे लोग हरीश की दुकान से सामान लेने लगे। हरीश गांव के दुखी गरीब लोगों को उधार देता था, पर वह उधार वसूलने के लिए उन लोगों पर दबाव नहीं डालता था ।गरीब दुखी लोगों की मदद भी करता था। गांव के लोग से संबंध बनाकर रखता था। अपने ग्राहकों से प्रेम पूर्वक बात करता था। और उनकी भावनाओं को समझता था। गांव के लोग उसके आने से बहुत खुश थे। सब हरीश की दुकान से सामान लेने लगे।राजू बनिया का दुकान डूबने लगा। उसके पास ग्राहक नहीं रह गए। वह बहुत परेशान हुआ। उसे हरीश पर गुस्सा आया। राजू बनिया ने सोचा हरीश के आने के कारण ही ऐसा हुआ है। राजू बनिया हरीश के पास जाकर उसे गांव छोड़ने की धमकी देता है पर हरीश राजू बनिया की बातों को अनसुना कर देता है। वह गांव वालों से राजू बनिया के स्वभाव के बारे में पहले भी सुन चुका था। राजू बनिया अपने क्रोध में हरीश बनिया की दुकान जलाने की योजना बनाता है। यह बात हरीश बनिया के शुभ चिंतक द्वारा हरीश को पता चल जाता है ।हरीश बनिया अपनी दुकान की देखभाल करने लगता है। जब राजू बनिया हरीश की दुकान जलाने को आता है, तो हरीश बनिया राजू बनिया को रंगे हाथ पकड़ लेता है। सारे गांव वाले और पुलिस वहां आ जाती है। गांव वाले पुलिस से राजू बनिया की सच्चाई बताते हैं, कि वह कैसे सामान में मिलावट कर देता था और उधार वसूलने के लिए लोगों पर अत्याचार करता था। राजू बनिया को पुलिस पकड़ कर ले जाती है ।गांव वाले को खुशी होती है, कि राजू बनिया जैसा व्यक्ति उनके बीच से निकल गया। गांव वालों को इंसाफ मिलता है, तथा राजू बनिया को उसकी करनी का फल मिलता है।