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दया का फल

4 अप्रैल 2022

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संतोष एक नेक और दयालु व्यक्ति था। वह किसी को पीड़ा में नहीं देख सकता था। किसी को कुछ भी पीड़ा हो वह दौड़कर उसकी मदद के लिए जाता था। वह इंसान ही नहीं पशु पक्षी जानवर सब के लिए दया की भाव रखता था। वह हर सुबह टहलने के लिए जाता था। वहां जाने से पहले वह चिड़ियों के लिए दाने ले जाता था। जंगल में जाकर उस दाने को साफ जमीन पर बिखेर देता था। चिड़िया को दाने खाते देखकर उसे बहुत संतोष मिलता था। जंगल से आने के बाद वह कुत्ते को बिस्कुट जानवरों को चारा देता था। साथ ही साथ अपने माता-पिता का आज्ञाकारी और आदर्श भी था ।

एक दिन जब वह सुबह टहलने जाता है। चिड़िया को दाना खिलाने के दौरान उसे चीख सुनाई देती है। वह जिस दिशा से चीख आती है। उस दिशा की ओर दौड़ पड़ता है ।वहां जाकर देखने पर पता चलता है, कि एक व्यक्ति खून से लथपथ जमीन पर पड़ा है ।संतोष उसे उठाकर अपने घर लाता है ।उसके घाव को साफ कर मलहम लगाता हैं ।उस व्यक्ति को खाना पीना खिलाकर उसे आराम करने को कहता है। संतोष उस व्यक्ति की सेवा पूरे मन से एक सप्ताह तक करता है।एक सप्ताह बाद उस व्यक्ति का घाव भर जाता है । एक सप्ताह बाद जब एक दिन संतोष रोज की तरह उस व्यक्ति के लिए दवा और खाना लेकर उसके कक्ष में जाता है, तो वहां वह व्यक्ति नहीं रहता है ।उसे चिंता होती है कि वह व्यक्ति कहां गया। गांव में खोजने या लोगों से पूछने पर भी संतोष को कोई जानकारी नहीं मिलती, कि वह कहां गया ।कुछ दिन बीत जाते हैं । एक दिन संतोष के पास दो व्यक्ति आते हैं ।वह संतोष से कहते हैं ,कि मेरे गांव में एक व्यक्ति है ।जो बहुत परेशान हैं। उसे तुम्हारी मदद की आवश्यकता है। कृपया मेरे साथ चलो। संतोष तुरंत जाने को तैयार हो जाता है ।संतोष उस व्यक्ति के साथ जाता है । वहा पहुचकर वो लोग संतोष को एक कक्ष बिठाते हैं, और संतोष से कहते हैं ।आप यहीं बैठो थोड़ी देर इंतजार करें। वहा कक्ष में संतोष के खाने पीने के लिए सभी व्यवस्था रहती है ।फल मिठाई और सभी चीजें संतोष वहां जलपान करता है। संतोष सारी व्यवस्था देखकर समझ जाता है कि वह किसी राजा का घर है ।जलपान करने के बाद वह बैठकर यह सोचता है ना जाने वह व्यक्ति पर कौन सा संकट है ।जिसकी वजह से मुझे यहां बुलाया गया है ।तभी पीछे से आवाज आती है संतोष । संतोष पलट कर पीछे देखता है, तो वह व्यक्ति सामने खड़ा है ।जिसकी संतोष ने जान बचाई थी, और अपने घर रखकर उसकी सेवा की थी। संतोष उसे देखकर अचंभित हो जाता है। वह तुरंत उसकी तबीयत के बारे में पूछता है। वह व्यक्ति कहता है ।संतोष मैं इस राज्य का राजा हूं ।उस दिन तुमने मेरी जान बचाई। मेरे दुश्मनों ने मुझ पर हमला किया था ।जब मैं शस्त्र था। तुम्हारी वजह से मैं आज जीवित हूं ।मैं तुम्हारी सेवा से खुश हुआ। इसलिए यहां तुम्हें इनाम देने के लिए बुलाया है । वह राजा संतोष को अपनी जान बचाने के लिए इनाम में सोना और कुछ गांव देते हैं ।संतोष आज एक धनी व्यक्ति हो जाता है ।संतोष को उसकी दया का फल मिलता है।
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रचनाएँ
प्रेरणादायक कहानियां
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यह किताब प्रेरणादायक कहानियां का संग्रह है।
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कर्म और संस्कार

24 फरवरी 2022
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लालची ससुराल

24 फरवरी 2022
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निधि नाम की एक लड़की थी ।निधि के पिता घनश्याम सोनार थे। निधि की माता का निधन निधि के जन्म के एक वर्ष बाद हो गया था। निधि अपने पिता घनश्याम की इकलौती बेटी थी। निधि को उसके पिता ने बहुत नाजो से पाला था

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सन्तोष का फल

26 फरवरी 2022
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एक समय की बात है। वीरेंद्र नाम का एक लंगड़ा और गरीब व्यक्ति था। वह स्वभाव से बहुत दयालु और संतोषी था ।वीरेंद्र अपनी पत्नी विनीता के साथ गांव के बाहर एक छोटे से घर में रहता था। रोज सुबह उठकर वह ईश्वर क

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अहंकार का अंत

27 फरवरी 2022
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सोनम और सोनिया दो बहने थी। सोनम बड़ी और सोनिया छोटी थी। दोनों बहने बहुत सुंदर थी। सोनम से सुंदर सोनिया थी। सोनिया को अपनी सुंदरता पर बहुत घमंड था।उसे लगता था कि वह अपनी सुंदरता का उपयोग करके किसी से क

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सपना की भक्ति

27 फरवरी 2022
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सपना नाम की एक छोटी सी लड़की थी ।सपना के माता-पिता दोनों ही नहीं थे। सपना अपने चाचा चाची के साथ रहती थी। सपना के चाचा  सोनू की एक बेटी थी। सोनू  सपना को मानते थे,  चाची  गीता और उनकी बेटी रानी  सपना क

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जैसी करनी वैसी भरनी

4 अप्रैल 2022
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गोविंदपुर गांव में एक राजू नाम का बनिया था। वह बहुत क्रोधी और लालची था ।वह गांव वालों को सामान महंग और मिलावटी कर देता था। गांव वालों को पता था कि वह सामान में मिलावटी करता है, पर लोग उसे कुछ भी नहीं

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4 अप्रैल 2022
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