shabd-logo

पहचानो

12 अगस्त 2022

9 बार देखा गया 9
तुम आज स्वयं को पहचानो, 
तुमने सारा संसार जना, 
तुम सारे जग की जननी हो, 
एक शांत नदी अग्नि ज्वाला,

तुम सहनशीलता का सागर ,
तूफान भरी इक आंधी हो, 

निज रक्षा की खातिर,
औरों के मुह को मत देखे, 
हम निज अग्नि की ज्वाला,
पापी को    जलाकर राख करे, 

जब बन जाए हम आंधी तो, 
पाषाण शिखर से टूट पड़े, 


हम प्रकृति का स्वयं एक अंश हैं, 
हानि हो अगर हमारे मान की, 
प्रलय से बड़ा विध्वंश हैं, 

तुम स्वयं को अबला मत मानो, 
तुम आज स्वयं को पहचानो। 

Kanchan Gaud की अन्य किताबें

1

भैया की छोटी बहन

11 अगस्त 2022
1
1
0

मैं छोटी हूँ नादां हूँ भैया, हाँ थोड़ी शैतान हूँ भैया, तेरे आँखों की मैं पुतली, होठों की मुस्कान हूँ भैया,तेरे आँगन की मैं तितली, झिलमिलाता आसमान हूँ भैया,नहीं पराई करना मुझको, में भी तो हूँ तेरा

2

पहचानो

12 अगस्त 2022
0
0
0

तुम आज स्वयं को पहचानो, तुमने सारा संसार जना, तुम सारे जग की जननी हो, एक शांत नदी अग्नि ज्वाला,तुम सहनशीलता का सागर ,तूफान भरी इक आंधी हो, निज रक्षा की खातिर,औरों के मुह को मत देखे

3

अनोखे पल

13 अगस्त 2022
0
0
0

वो दिन बीत गए जो बचपन के, उल्टी सीधी अठखेलियों और लड़कपन के, सूरज उतरता था जब तालाब के पानी में ,गुडियों का शुभ विवाह होता था अनजानी में, बीत गया गुल्ली डंडा बीत गया पेड़ों पर चढ़ना,&nb

---

किताब पढ़िए