शीर्षक: ऐसा प्यार कहां..?!
एक बार एक शख़्स को लोगों ने इतना मारा कि , वह इस कदर बेहोश हो गया कि वह दो दिन तक उठ ना सका ..!
किस्सा था कि 'वह किसी लड़की के प्रेम में पड़ गया था ..! जब उसने उसे पहली बार देखा था ..! लड़की भी उसे देखकर हंस रही थी ,लगता था मौन स्वीकृति दे रही हो ..!'
लेकिन , बात कुछ और थी ..! उसने सोचा लड़की भी उसे उतना ही चाहेगी ,बात उड़ती हुई घरवालों के कानों में पड़ी ..! '
और फिर ताबड़तोड़ जबरन बरसात हुई ; बेहोशी में अजीब -अजीब ख्याल उसका पीछा कर रहे थे ..!
उसके ख्याल निकल पड़े अंजानी राहों में ,कहीं गलियों से होता हुआ,कहीं शहर , कहीं गांव भटकते रहे...!
तभी :
उसने एक स्थान पर देखा पत्नी पति को तरकारियों का झोला चीलचिलाती धूप में देकर कह रही है ,"---जाओ ... जल्दी ले आना मेहमान आने वाले हैं । खाना तभी बनेगा ..घर पर भोजन तभी मिलेगा ..! और हां जल्दी आना ..!"
उसने सोचा ,"-एक पत्नी इस धूप में पति को भेज रही है ,यह उचित नहीं है ..! यह कैसी विडम्बना है पति कमाता है और घर का मुख्य भी है ..! इस तरह से भला यह प्यार सच्चा नहीं ..!"
वह छिपकर देखने लगा , मेहमान भी आ गए और चले भी गए पर पति का पता नहीं कहां रह गया ..!
तभी सामने देखा एक क्षिप्त विक्षिप्त आकृति आ रही है ... कोई शख्स नशे में चूर उधर से आ रहा था ..!
"अरे ! ये तो लगता है ,उसका ही पति है ..! ऐसे नशे की हालत में घर..तरकारी का झोला भी हाथ में नहीं है ..! सच में ये प्यार कहां ?" चांद तारे की बातें करने वालों के नजारे दिखाई पड़ गए ..!
आगे बढ़ा :
उसे एक प्रेमी जोड़ा मिला उसने देखा प्रेमिका कह रही है ,"---सुनो मुझे उस शॉ रुम के लेटेस्ट मॉडल के शूज दिला दो और हां तुमने जो डायमंड रिंग दी थी वह छोटी पड़ रही है ..! "
प्रेमी बोला ,"--ठीक है डियर दिलवा देंगे ..!"
उसने सोचा प्रेमिका के मन में प्रेमी के लिए कोई खास भी प्रेम नहीं दिखता , लगता है प्रेमी ही सच्चा है ..!
अगले दिन मन ही मन गीत गुनगुनाते हुए जा रहा था ..!
तभी सामने से देखा , कल वाला वही प्रेमी किसी दूसरी महिला के साथ हंस- हंस बातें कर रहा था ,"--- डायमंड रिंग खास तुम्हारे लिए लाया हूं ,देखो तुम्हारे गोरे हाथों में और भी खूबसूरत लगेगी ..आओ पहना दूं ..!"
झट से उसने उसके हाथ में रिंग पहना दी ..!
उस लड़की को देखा तो और भी चौंक गया वह तो वही लड़की निकली जिसके घर वालों ने उसकी अच्छी तरह पिटाई करवाई थी ..!
वह बोल रही थी ,"--सुनो डियर ..! यदि ,मैं उसकी पिटाई ना करवाती तो मेरे घर वाले तो मुझपर ही शक किए जा रहे थे ..! बार -बार के शक से मैं परेशान हो गई थी और उस बेचारे को मोहरा बना कर ,शक से आजाद हो गई ..!"
दोनों जोर जोर से कहकहे लगा रहे थे ..!
वह बड़बड़ाते हुए उठा " नहीं , नहीं सच्चा प्यार नहीं है ..! कोई किसी से नहीं करता ..! आज समझ आया ...! "
बेहोशी से वह जाग चुका था..!
सुनंदा ☺️