सूखे में चटकती मिट्टी सी ...
उसके चेहरे की रेखाएं...
व्याकुल सी सहमी सी ....
उसकी वो निगाहें...
दर्द उसके हिस्से का...
कम मैं कैसे करूँ ...
सजा दूँ मैं खुद को...
या..खुदा से लडूं ....
इस उम्र में जब....
सम्मान उसका अधिकार है...
वो फैला रही है ...
हाथो को...
उसे कुछ....
पैसो की दरकार है....
कोई देता है ताने....
कोई कहता है अपशब्द. ...
जाने कैसी है मजबूरी....
कि उसे सब स्वीकार है...
उसकी वेदना को....
अभिव्यक्त मैं कैसे करूँ...
सजा दू मैं खुद को....
या... खुदा से लडूं ...