ना छुपाया गया, ना बताया गया..
रिश्ता नाजुक सा था, ना निभाया गया..
साँसे बेबस सी थी, बेकरारी भी थी..
हालत मेरी जो थी, क्या तुम्हारी भी थी.?
दिल बहुत था दुःखा, सब दिल में रखा..
दर्द आँखों से मुझसे, ना बहाया गया..
रिश्ता नाजुक सा था...
की कई कोशिशें, पर समझ ना सका..
मैं यूँ घुट घुट जिया, कि तड़प ना सका..
कोई बात नहीं, क्यों कोई साथ नहीं..
पर ऐसे वो रूठा, ना मनाया गया..
रिश्ता नाजुक सा था..
मैंने जो भी कहा.. सब रहा अनसुना..
लाख टुकड़े हुए, ख्वाव जो भी चुना..
तेरे दिल में जो थोड़ी, जगह बाकी थी..
क्यों इशारों में तुझसे, ना बुलाया गया..
रिश्ता नाजुक सा था..