मैं कानपुर शहर से, कानपुर में कानपुर भाषा, जिसका सार कानपुर ही जानता है, कभी भी हार न मानने वाला जज्बा जिसका दो शब्द कहने को तत्पर है उनमें से मैं भी एक हूँ।
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आधी आबादी ३ ------------------- जी हांँ मै हूँ आधी आबादी बिन मेरे सब रीता है हर कोई मुझपर जीता है अधिकारों से कर वंचित कर्तव्यों की मैं बीड़ा हूँ ह्रदय से हो गई तार-तार सबसे बड़ी यह पीड़ा
आधी आबादी २ ------------------- सहज औरत हूँ मैं संग रहती हूँ मैं बन मैं अर्धांगिनी सृजन करती हूँ मैं।। अम्बार खुशियों का सजाती हूँ सदा मैं प्रकृति के संग खिलखिलाती हूँ सदा मैं ओढ़ लाल-लाल च
आधी आबादी१ ---------------- जी हाँ मैं अस्तित्व विहीन, अस्तित्व रचित राज़दार मुझसा भी नहीं जीवन साथी, जीवन संगनी ले आभार निभाती रस्में पैरो पायल, हाथों कंगना संग कंगना, बाजूबन सजना बिछिया प