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आधी आबादी ३

21 सितम्बर 2022

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आधी आबादी ३

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जी हांँ

मै हूँ आधी आबादी 

बिन मेरे सब रीता है

हर कोई मुझपर जीता है 

अधिकारों से कर वंचित 

कर्तव्यों की मैं बीड़ा हूँ

ह्रदय से हो गई तार-तार 

सबसे बड़ी यह पीड़ा है

पैरों से मैं चलने वाली 

हाथों कर्म करती हूँ 

सोच दिमाग से मै करती

दिल का मर्म भी रखती हूँ 

सोच विचार सब इक जैसा

नजरों से सब पढ़ती हूँ

तू मुझसे है 

मैं तुझसे नहीं 

मैने तुझको पाला पोसा 

कतरा - कतरा खून का 

अहसान लिया है मूल का

मैने तुझको सींचा है 

तूने मुझको नोचा है 

दूध का कर्जा भी है तुझ पर 

मैने तुझे पुकारा है 

अहसानों के तुम बोझ तले थे

मेरे आंचल में तुम पले थे

सामाजिक ढांचे में जाकर

दोयामी रूप दिखाया है

मुझे अछूता जानकर

स्वयं शक्तिवान कहलाया है 

मेरी शक्ति कहीं नहीं 

स्वयं मर्दजात बतलाया है।। 

अनुपम कुमार श्रीवास्तव 

कानपुर 

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