हकीकतों की तह में सच्चाई ढूंढते हैं
अपनों की भीड़ में अपनों को ढूंढते हैं
उबार लें दर्द की टीस से उठती चुभन से
तसल्ली के कुछ चंद अल्फाजों को ढूंढते हैं
कोई नहीं यहाँ अपना क्यों आस रखते हैं
भीड़ बीच इंसान यहाँ तन्हा ही रहते हैं।
13 जनवरी 2022
हकीकतों की तह में सच्चाई ढूंढते हैं
अपनों की भीड़ में अपनों को ढूंढते हैं
उबार लें दर्द की टीस से उठती चुभन से
तसल्ली के कुछ चंद अल्फाजों को ढूंढते हैं
कोई नहीं यहाँ अपना क्यों आस रखते हैं
भीड़ बीच इंसान यहाँ तन्हा ही रहते हैं।