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हकीकतों की तह में सच्चाई ढूंढते हैं अपनों की भीड़ में अपनों को ढूंढते हैं उबार लें दर्द की टीस से उठती चुभन से तसल्ली के कुछ चंद अल्फाजों को ढूंढते हैं कोई नहीं यहाँ अपना क्यों आस रखते हैं भीड़ ब