इस समय सम्पूर्ण भारत में धर्म की आड़ में अराजकता फैलाना एक आम बात हो गई है इसके मुख्य कारण हैं मैं और आप क्योंकि जब कभी भारत के किसी हिस्से में अपनी झूठी आस्था का दिखावा करने मात्र के लिए किसी की हत
पैसा बहुत कुछ तो है पर सबकुछ नहीं है…..मनुष्य स्वभाव से ही बहुत लालची और महत्त्वाकांक्षी होता है। अर्थ, काम, क्रोध, लोभ और माया के बीच इस तरह फँसता है कि बचकर निकलना मुश्किल हो जाता है। यह उस दलदल के समान है जिसमें से जितना ही बाहर निकलने का प्रयास किया जाता इंसान उस दलदल में और फँसता जाता है। इस सं
हममें से अधिकांश लोग अपने जीवन में शांति और सुगमता चाहते हैं - जीवन तनावपूर्ण, अराजक, भारी, विचलित करने वाला, थकावट भरा हो सकता है।हम उस सब से दूर होना चाहते हैं, पागलपन से बाहर निकलें, और अधिक से अधिक शांति की जगह पर पहुंचें।मैं साझा करने जा रहा हूं कि कैसे एक सरल विधि में शांति का जीवन पाएं। एक मि
हमारे देश की आज़ादी को 70 साल हो गये। लेकिन आज़ादी क्या है इसके बारे में लोगों ने अपनी अपनी परिभाषाएँ व धारणाएं बना रखी है । आज़ादी आज़ादी चिल्लाते हुए कुछ लोग आजकल भी यहाँ वहाँ दिख जाते हैं । कुछ लोग कहते हैं हम अभी भी पूर्ण आज़ाद नहीं हुए हैं । आलंकारिक या दार्शनिक रूप से आज़ादी शब्द का प्रयोग या राजन