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पैसा बहुत कुछ तो है पर सबकुछ नहीं है....

17 अगस्त 2020

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पैसा बहुत कुछ तो है पर सबकुछ नहीं है…..



मनुष्य स्वभाव से ही बहुत लालची और महत्त्वाकांक्षी होता है। अर्थ, काम, क्रोध, लोभ और माया के बीच इस तरह फँसता है कि बचकर निकलना मुश्किल हो जाता है। यह उस दलदल के समान है जिसमें से जितना ही बाहर निकलने का प्रयास किया जाता इंसान उस दलदल में और फँसता जाता है। इस संसार में ऐसे बिरले लोग ही होते हैं कि जो इस मायाजाल में नहीं फँसते हैं। उनका तो जिक्र करना भी उचित नहीं है। वे तो ऐसे जितेंद्रिय पुरुष हैं जिन्होंने समझो अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण पा लिया हो। यदि अप्सरा मेनिका भी आ जाए तो भी शायद इनका इरादा बिचलित न हो। ऐसे लोंगों का जीवन सदा अनुकरणीय रहता है। ये दूसरों के लिए सदा आदर्श बन जाते हैं। बेशक इनके जीवन में भी उतार-चढ़ाव व उथल-पथल होता है पर उस पर इनका नियंत्रण होता है। ये परिस्थितियों के साथ तालमेल बैठाने व सामंजस्य स्थापित करने में कुशल होते हैं। ये भी पैसे को महत्त्व देते हैं पर एक सीमित मर्यादा में रहते हुए।

हम बात करने जा रहे हैं उन विशेष प्रकार व प्रजाति के इंसानों की जो अपने जीवनकाल में सिर्फ पैसे को ही महत्त्व देते हैं। इनके लिए कोई रिश्ता या मानवीय संवेदना मायने नहीं रखता है। इनकी सोच ऐसी होती है कि पैसा है तो सबकुछ संभव है अर्थात ये पैसे के जोर से हर नामुमकिन कार्य को मुमकिन करने के फिराक में होते हैं। कालांतर में भले ही सबकुछ खत्म हो जाए पर इनकी अकड़ और हेकड़ी कम नहीं होती है। वैसे तो राजनीति के गलियारे में तो आप एक ढूंढेंगे तो आपको हजारों मिल जाएंगे। जिनमें ये खूबियाँ कूट-कूटकर भरी होती हैं। जितने भी स्कैंडल व घोटाले होते हैं उसके पीछे ऐसे ही महत्त्वाकांक्षी लोग होते हैं। जिसमें बड़े से बड़े मंत्री से लेकर IAS और IPS रैंक के अधिकारी भी मुँह काला करते हैं पर जीते हैं शान से…. जैसे आम चीज हो। कुछ फर्क नहीं पड़ता है...। नहीं जी फर्क पड़ता है… फर्क उनको पड़ता है जिनमें थोड़ी सी शर्म और हया होती है। बेशरम लोग तो शान से जेल भी जाते हैं। कोर्ट के चक्कर भी लगाते हैं। लानत है ऐसे लोंगों पर...। खैर चिंता का विषय यह नहीं है कि ऐसी अराजकता फैली है। चिंता का विषय यह है कि अनपढ़ और अशिक्षित व्यक्ति या राजनेता इसमें संलिप्त हो तो ठीक है पर पढ़े लिखे व सुशिक्षित पदाधिकारियों की संलिप्तता सोचनीय है।

मैं आपको इस आलेख में दो ऐसे व्यक्तियों की घटनाओं से अवगत कराऊँगा जिन्होनें जीवनकाल में सिर्फ और सिर्फ पैसे को ही महत्त्व दिया था, वे पैसे को ही सबकुछ समझते थे पर अंत में उनकी स्थिति इतनी दयनीय और उपेक्षित हो गई जिससे अंतरात्मा भी काँप उठे। चलिए सबसे पहले मैं आपको एक सुशिक्षित प्रतिष्ठित व्यक्ति डॉ. जगदीश के कारनामों से रूबरू करवाते हैं। महाशय बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। सुशिक्षित होते हुए भी पैसे के अत्यंत लोभी। जिसके कारण नीति अनीति न देखते हुए अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को पूरा करने में जुटे रहे। जबकि इनका सुखद संपन्न परिवार था। सुंदर सुशील सुशिक्षित पत्नी और चार बच्चे थे- दो लड़के और दो लड़कियाँ। सबसे पहले प्रोफेसर साहब ने कूटनीति का प्रयोग करते हुए बनारस के उस मकान को हथिया लिए जिसमें वे लगभग 15 वर्ष तक किराएदार बनकर रहते थे। मकान मालिक पैसे से कमजोर था। थकहार कर बैठ गया पर उसकी आह जरूर लगी होगी। सम्पन्नता के साथ-साथ मनुष्य में कई व्यसन व अवगुण भी आ जाते हैं। जिसके बाद पतन होना तय हो जाता है।बेटियों की शादी हो चुकी थी। एकदिन किसी बात को लेकर अनबन हुआ जिसके कारण बड़े बेटे ने जहर खाकर आत्महत्या कर लिया। इतना ही नहीं अय्याशियों से तंग आकर एक साल के भीतर ही धर्मपत्नी ने भी उसी अंदाज में जहर का सेवन करके आत्महत्या कर ली। छह महीनें बीतते-बीतते छोटा बेटा भी कार को लेकर नाराज़ हुआ और आत्महत्या कर लिया। लेकिन प्रोफेसर साहब की रंगरंगेलियाँ कम नहीं हुई। 55 वर्ष की आयु में 25 वर्ष की लड़की के साथ दूसरी शादी कर लिए। जबकि उनकी लड़कियों ने भी बहुत समझाया पर नहीं मानें। गाँववालों की भी बातें नहीं माने फिर क्या…? होना वही था जिसकी किसी ने कल्पना नहीं किया था। रिटायरमेंट के बाद नई बीबी पिला-पिलाकर बीमार कर डाली और दो वर्ष बीतते - बीतते दम तोड़ दिए। एक सुशिक्षित व्यक्ति की ऐसी दुर्दशा किस कारण से हुई, सिर्फ और सिर्फ पैसे को आवश्यकता से अधिक महत्त्व देने से। दूसरे की करोड़ो की संपत्ति हड़पना और तमाम बुराइयों में संलिप्त होना ही पतन का कारण बना। न परिवार रहा और न संपत्ति का सुख भोगने के लिए स्वयं रहे। अत्यंत दयनीय तरीके से अंत, संपत्ति का सुख बेटियों को भी नहीं मिला, उसकी मालकिन कोई और बन गई जो एक वर्ष के बाद दूसरी शादी कर ली।

मैं आपको दूसरी कहानी से भी अवगत कराता हूँ जिससे शायद आपलोग परिचित होंगें। वैसे ये कहानी भी थोड़ी पुरानी है... IAS सजल चक्रवर्ती झारखंड के मुख्यसचिव थे। 2018 में लालू के चारा घोटाले में दोषी सिद्ध हुए चक्रवर्ती के न जाने कितने IAS / IPS पैर छूते रहे होंगे, पर उस समय इनकी बेबसी देखकर मन बहुत विचलित हुआ । उस समय इनका वजन 150 kg के आस पास था ये कई बिमारियों से ग्रसित हो चुके थे और ठीक से चल भी नही पाते थे…...

रांची कोर्ट की पहली मंज़िल में पेशी थी, एक सीढ़ी घसीट कर उतरे । फिर दूसरी सीढ़ी पहुँचने के लिए खुद को घसीट रहे थे। यह दृश्य जीवन का यथार्थबोध कराने वाला था। माता-पिता नही रहे,भाई सेना में बड़े अफसर थे,अब वे भी नही रहे। जिसको गोद लिए, उसकी शादी हो गई । अब उसे भी इनसे मतलब नहीं है । अपने घर मे कुछ बन्दर और कुत्ते पाल रखे थे, ये शानो शौकत, पैसे सब बेकार सिद्ध हुए......अब बस मृत्यु ही शायद इनका कष्ट दूर कर सकती है। जरा सोचिये ! कल तक बड़े-बड़े अधिकारी / कर्मचारी जिनकी गाड़ी का दरवाज़ा खोलने के लिए आतुर रहते थे, वही व्यक्ति दुनिया के सामने जमीन पर असहाय पड़ा था । उसने दो शादी की, मगर दोनों बीबियों ने तलाक दे दिया । कोर्ट में सबका कोई न कोई आया था, लेकिन वे बिल्कुल अकेले …… इसकी वजह बिल्कुल स्पष्ट है कि जब वह पद पर रहे होंगे, सिर्फ धन अर्थात रुपए को ही अपना सब कुछ मान लिए होंगे । किसी की दिल से मदद नहींं की होगी । अगर की होती तो शायद आज कोई न कोई उनके लिये जरूर खड़ा रहता...........! एक बात तय मानिए, भ्रष्टाचार यानी लूट-खसोट की कमाई सिर चढ़कर अपना असर जरूर दिखाती है। इसलिए जब हम सामर्थ्यवान हों तो हमें दूसरे की मदद जरूर करनी चाहिए, जिससे की लोग बाद में आपको भी याद करें और मुसीबत के समय में आपके साथ खड़े रहें।

इसलिए जीवन को जीवन्त बनायें । लोगों की मदद करते हुए अपना जीवन जीना चाहिए। सही अर्थों में तो वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए जिए…..

पाप की कमाई आखिर किसके लिए …… अब तो आपको समझ में आ गया होगा कि मैं किनकी बात अर्थात किस तरह के लोगों की बात कर रहा था। ये हैं सुशिक्षित और उच्च पदाधिकारी ……

जरा सोचिए तो सही कि... पैसा बहुत कुछ तो है....पर सब कुछ नहीं….

अंत में बस इतना ही कहूँगा कि "जैसी करनी वैसा फल मिलता है… भले ही आज नहींं…. तो निश्चित कल.....।"


प्रा. अशोक सिंह….✒️

आलोक सिन्हा

आलोक सिन्हा

पूरी तरह सहमत

22 अगस्त 2020

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कोविड-19 और ऑनलाइन शिक्षा

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कर्म करते जाओ फल की चिंता मत करो….हम अपने आस - पास अक्सर लोंगों को बोलते हुए सुनते हैं, हर कोई आध्यात्मिक अंदाज में संदेश देते रहता है - 'कर्म करते जाओ फल की चिंता मत करो…...।' वस्तुतः ठीक भी है। एक विचार यह है कि फल की चिंता कर्म करने से पहले करना कितना उचित है अर्थात निस्वार्थ भाव से कर्म को बखूब

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कोरोना देव की कृपाजीवन का नाहीं कौनों ठिकानामरै के चाहिय बस कौनों बहाना बुढ़न ठेलन का बाटै आना जानाजवनकेउ का नाहीं बाटै ठिकानारोग ब्याधि का बाटै ताना बानाफैलल बा भाई वायरस कोरोनाझटके पटके में होला रोना धोनाकितना मरि गयेन बिना कोरोनामेहर माई बाप के बाटै भाई रोनाअस्पताल वाले पैसा लूटत बानाभागल भागल बीर

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बप्पा को लाना तो हमारी जिम्मेदारी है

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क्या कहेंगें आप...?हम सभी जानते हैं कि प्रकृति परिवर्तनशील है। अनिश्चितता ही निश्चित, अटल सत्य और शाश्वत है बाकी सब मिथ्या है। बिल्कुल सच है, हमें यही बताया जाता है हमनें आजतक यही सीखा है। तो मानव जीवन का परिवर्तनशील होना सहज और लाज़मी है। जीवन प्रकृति से अछूता कैसे रह सकता है…? जीवन भी परिवर्तनशील ह

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जीवित हो अगर, तो जियो जीभरकर...जीते तो सभी हैं पर सभी का जीवन जीना सार्थक नहीं है। कुछ लोग तो जिये जा रहे हैं बस यों ही… उन्हें खुद को नहीं पता है कि वे क्यों जी रहे हैं? क्या उनका जीवन जीना सही मायनें में जीवन है। आओ सबसे पहले हम जीवन को समझे और इसकी आवश्यकता को। जिससे कि हम कह सकें कि जीवित हो अगर

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यही तो संकल्प है.. अब पूरा करके दिखायेंगें

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जय बोलो प्रभु श्री राम कीजय बोलो प्रभु श्री राम कीअयोध्या नगरी दिव्य धाम कीपावन नगरी के उस महिमा कीतुलसीदास जी के गरिमा कीजो जन्म भूमि कहलाता हैत्रेतायुग से जिसका नाता हैसुनि रामराज्य मन भाता है।जय बोलो प्रभु श्री राम कीअयोध्या नगरी दिव्य धाम कीजग के पालनहारी श्री रामबिगड़ी सबके बनाते कामभ्राता भरत क

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मेहतर....

7 अगस्त 2020
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मेहतर….साहबअक्सर मैंने देखा हैअपने आस-पासबिल्डिंग परिसर व कालोनियों मेंकाम करते मेहतर परडाँट फटकार सुनातेलोंगों कोजिलालत करतेमारते भर नहींपार कर देते हैं सारी हदेंथप्पड़ रसीद करने में भी नहीं हिचकते।सच साहबकिसी और पर नहींबस उसी मेहतर परजो साफ करता हैउनकी गंदगीबीड़ी सिगरेट की ठुंठेंबियर शराब की खाली बो

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वक़्त अच्छा हो तो....

8 अगस्त 2020
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वक्त अच्छा हो तो….कोरोना काल में अंतर्मन ने पूछा -इस दुनिया में तुम्हारा अपना कौन है..?सवाल सुनते हीएक विचार मन में कौंधामाँ-बाप, भाई-बहन, पत्नी…बेटा - बेटी या फिर मित्र..किसे कहूँ अपना..?यदि वक़्त अच्छा हो तोजो अदृश्य हैसर्वशक्तिमान हैसर्वव्यापी हैवो भी अपना है तब सब कुछ ठीक है।वक़्त अच्छा हो तोमाँ-ब

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मैं सड़क....

9 अगस्त 2020
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मैं सड़क …अरे साहबकोरोना महामारी के कारणफुर्सत मिलीआपबीती सुनाने कामौका मिला।सदियों से सेवाव्रतीदिन-रात सजग तैनातसीनें पर सरपट दौड़ती गाड़ियों का अत्याचार।हाँ साहब.. 'अत्याचार'तेजगति से बेतहाशाचीखती - चिल्लातीभागती गाड़ियाँ..।क्षमता से अधिकबोझ लादे…आवश्यकता से अधिकरफ़्तार में भागती गाड़ियाँ...।मेरे चिथड़े

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कोविड की तानाशाही...

10 अगस्त 2020
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कोविड की तानाशाहीहम कहते हैं बुरा न मानोमुँह को छिपाना जरूरी हैअपनेपन में गले न लगाओदूरियाँ बनाना जरूरी हैकोरोना महामारी तोएक भयंकर बीमारी हैकहने को तो वायरस हैपर छुआछूत बीमारी हैहट्टे कट्टे इंसानों पर भी एक अकेला भारी हैआँख मुँह और नाक कान सेकरता छापेमारी हैएक पखवाड़े के भीतर हीअपना जादू चलाता हैकोर

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सागर की लहरें....

11 अगस्त 2020
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सागर की लहरें...सागर की लहरें किनारे से बार-बार टकरातीचीखती उफान मारती रह-रहकर इतरातीमन की बेचैनी विह्वलता साफ झलकतीसदियों से जीवन की व्यथा रही छिपाती पर किनारे पहुँचते ही शांत सी हो जातीवह अनकही बात बिना कहे लौट जातीअपने स्पर्श से मन आल्हादित कर जातीसंग खेलने के लिए उत्साहित हो उकसातीजैसे ही हाथ बढ़

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स्वस्थ रहना है तो....

12 अगस्त 2020
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स्वस्थ रहना है तो….स्वस्थ रहना है तो नियम का पालन अर्थात अनुशासन को जीवन में अपनाना होगा। कहा जाता है कि स्वास्थ्य ही सबसे बड़ी संपत्ति है। बिल्कुल सही है। यदि स्वास्थ्य अच्छा नहीं होगा तो खुशी व प्रसन्नता कहाँ से मिलेगी। कहने का तात्पर्य यह है कि खुशी व प्रसन्नता के लिए सुख सुविधाओं का व शारीरिक सुख

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मस्त हवाओं का ये झोंका....

13 अगस्त 2020
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मस्त हवाओं का ये झोंका, बेमौसम ही प्यार करे…प्रियतम पास नहीं हैं फिर भी मिलन को बेकरार करेजीवन में बहार नहीं फिर भी प्रणय गीत स्वर नाद करेसजना की कोई खबर नहीं फिर जीना क्यों दुस्वार करेबिन तेरे सजना जीना मुश्किल रग - रग में है ज्वार उठे तेरे ही नाम से मेरी सुबह हुई है तेरे ही नाम से शाम ढले।मस्त हवा

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जिंदगी को जिओ पर संजीदगी से....

14 अगस्त 2020
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जिंदगी जिओ पर संजीदगी से…….आजकल हम सब देखते हैं कि ज्यादातर लोगों में उत्साह और जोश की कमी दिखाई देती है। जिंदगी को लेकर काफी चिंतित, हताश, निराश और नकारात्मकता से भरे हुए होते हैं। ऐसे लोंगों में जीवन इच्छा की कमी सिर्फ जीवन में एक दो बार मिली असफलता के कारण आ जाती है। फिर ये हाथ पर हाथ रखकर बैठ जा

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ऐसा भी दिन आएगा कभी सोचा न था....

16 अगस्त 2020
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ऐसा भी दिन आएगा कभी सोचा न था….सृष्टि के आदि से लेकर आजतक न कभी ऐसा हुआ था और शायद न कभी होगा….। जो लोग हमारे आसपास 80 वर्ष से अधिक आयु वाले जीवित बुजुर्ग हैं, आप दस मिनिट का समय निकालकर उनके पास बैठ जाइए और कोरोना की बात छेड़ दीजिए। आप देखेंगे कि आपका दस मिनिट का समय कैसे दो से तीन घंटे में बदल गया

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पैसा बहुत कुछ तो है पर सबकुछ नहीं है....

17 अगस्त 2020
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पैसा बहुत कुछ तो है पर सबकुछ नहीं है…..मनुष्य स्वभाव से ही बहुत लालची और महत्त्वाकांक्षी होता है। अर्थ, काम, क्रोध, लोभ और माया के बीच इस तरह फँसता है कि बचकर निकलना मुश्किल हो जाता है। यह उस दलदल के समान है जिसमें से जितना ही बाहर निकलने का प्रयास किया जाता इंसान उस दलदल में और फँसता जाता है। इस सं

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सांत्वना देते हुए.....

18 अगस्त 2020
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सांत्वना देते हुए.....चिंटू बच्चा…..सुनकर बहुत दुःख हुआ….दो मिनट के लिए तो आँखों के आगे अँधेरा सा छा गया…कहने के लिए कुछ बचा ही नहीं….क्या कहूँ… क्या बोलूँ….. कुछ समझ में नहीं आ रहा है।हिम्मत से काम लेना… घरवालों का ध्यान रखना।ईश्वर की लीला समझना सबके बस की बात नहीं…इतना ही समझ जायें तो फिर इंसान दर

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असहिष्णुता....

2 सितम्बर 2020
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असहिष्णुता….मनुष्य के जीवन में उसके व्यक्तित्व और सोच-विचार पर खान-पान व रहन-सहन का बहुत असर पड़ता है। कहा जाता है जैसा खान-पान, वैसा अचार-विचार। अर्थात सादा जीवन, सादा भोजन - उच्च विचार। जिस तरह से फसल को समय-समय से सींचा जाता है, खाद-पानी दिया जाता है तो उसका समुचित विकास होता है। जिसका उचित देखभाल

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हिंदी अध्यापक संघ द्वारा आयोजित 'शिक्षक दिवस समारोह'

9 सितम्बर 2020
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कनिष्ठ महाविद्यालय हिंदी अध्यापक संघ द्वारा आयोजित 'शिक्षक दिवस समारोह'कनिष्ठ महाविद्यालय हिंदी अध्यापक संघ मुंबई विभाग द्वारा ऑनलाइन वेबिनार के माध्यम से आयोजित 'शिक्षक दिवस समारोह' दिनांक 8 सितंबर, 2020 को सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के दिन ही 'शिक्षक दिवस समारोह' का आयोजन

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समाज और देश के उत्थान में युवाओं की भूमिका

9 सितम्बर 2020
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समाज और देश के उत्थान में युवाओं की भूमिकासमाज और देश के उत्थान में युवाओं की अहम भूमिका होती है। मैं युवाओं की बात को स्वामी विवेकानंद जी के उन विचारों के माध्यम से शुरू कर रहा हूँ जिनमें युवाओं को विशेष रूप से संबोधित किया गया है। स्वामीजी की मान्यता है कि भारतवर्ष का नवनिर्माण शारीरिक शक्ति से न

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रिज़वी महाविद्यालय में हिंदी काव्य-पाठ का आयोजन संपन्न

25 सितम्बर 2020
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रिज़वी महाविद्यालय में ऑनलाइन मंच के माध्यम से दो दिवसीय 'हिंदी काव्य-पाठ समारोह' सम्पन्नरिज़वी महाविद्यालय कला, विज्ञान एवं वाणिज्य के कनिष्ठ महाविद्यालय हिंदी विभाग के तत्वाधान में हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में दो दिवसीय 'हिंदी काव्य-पाठ समारोह' का आयोजन संपन्न हुआ। दोनों दिन समारोह का शुभारंभ सरस्वती

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हे कवि मन हिंदी की जय बोल

26 सितम्बर 2020
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हे कवि मन, हिंदी की जय बोलजिसने निजभाषा का मान बढ़ायाहिंदी को जन - जन तक पहुँचायाराजभाषा का दर्जा भी दिलवायाहे कवि मन, हिंदी की जय बोल।जो घर-घर में बोली जाती हैजो सबके मन को हरसाती हैसभी जाति धरम को भाती हैहे कवि मन हिंदी की जय बोल।जिसके बावन अक्षर होते हमारेकवि जिससे प्रकृति को चितारेजो जनमानस के भा

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रह जाता कोई मोल नहीं

27 सितम्बर 2020
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रह जाता कोई मोल नहींजब जीवन की आपाधापी सेटूट चुका हो मानव मनफिर आशा की किरणों कारह जाता कोई मोल नहीं।जब मन तानों से आहत होदिल भी छलनी हो जाएफिर मधुर प्रिय वचनों कारह जाता कोई मोल नहीं।जब सुख-सुविधाओं का खान होपर काया रोगों से घिरा होफिर पास पड़े धन दौलत कारह जाता कोई मोल नहीं।जब धरती तपती हो कड़ी धूप

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हिंदी अध्यापक संघ मुंबई विभाग द्वारा महात्मा गाँधी जयंती के अवसर पर आयोजित वेब संगोष्ठी

3 अक्टूबर 2020
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महाराष्ट्र राज्य कनिष्ठ महाविद्यालय हिंदी अध्यापक संघ मुंबई विभाग द्वारामहात्मा गाँधीजी की जयंती के उपलक्ष्य में वेबसंगोष्ठी का आयोजन" महाराष्ट्र राज्य कनिष्ठ महाविद्यालय हिंदी अध्यापक संघ मुंबई विभाग द्वारा 'महात्मा गाँधीजी जयंती व शास्त्री जयंती के अवसर पर वेबसंगोष्ठी का आयोजन दिनांक 2 अक्टूब

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बुद्ध की बात मानों और अपना दीपक स्वयं बनों....

4 अक्टूबर 2020
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अपना दीपक स्वयं बनोअपना दीपक स्वयं बनों…. कथन तो एकदम सरल है। पर सारगर्भित है। सोचिए जरा 'अपना दीपक स्वयं बनों ' कहने का तात्पर्य क्या है..? इस बात को अच्छी तरह से समझने के लिए चिंतन व मनन की आवश्यकता है। दीपक से रोशनी मिलती है, दीपक से अँधेरे का नाश होता है, दीपक से हमारा जीवन पथ प्रकाशित होता है,

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कान की व्यथा कान की जुबानी

6 अक्टूबर 2020
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कान की व्यथा कान की जुबानी इस दुनिया में कोई पूर्ण नहीं है… सभी अपूर्ण हैं। कोई सुखी नहीं है सभी दुखी हैं। जिसके पास सबकुछ है फिर भी वो उसका भोग आनन्द पूर्वक न करके जो नहीं है या जो अप्राप्य है उसके लिए दुखी है। सभी के मन में कोई न कोई व्यथा है जिसने आहत कर रखा है। औरों की बात तो छोड़ो एक दिन कान बेच

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विशुद्ध किसान गुदड़ी के लाल

7 अक्टूबर 2020
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विशुद्ध किसान गुदड़ी के लालहम किसान हमें खेती प्याराहम कुछ भी उगा सकते हैंइस जग में दूजा काम नहीं जो मेरे मन को भा सकते हैं।हम उस किसान के बेटे हैंसंभव है तुझको याद नहींजय जवान जय किसान का नाराबिल्कुल तुझको है याद नहीं।ईमानदारी जिसके रग-रग में समायाबेमिसाल ऐसा इनसान कहाँसादा जीवन और उच्च विचार होमिलत

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बहुत याद आता है.. वो गुजरा जमाना

8 अक्टूबर 2020
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बहुत याद आता है..वो गुजरा जमाना...बहुत याद आता है, वो गुजरा जमानावो बीता बचपन, हरकतें बचकानाआपस में लड़ना, फिर रूठना-मनानाचंदा मामा का आना, खाना खिलानासुबह का कलेवा, वो बासी खानाजिसके बिना दिन, लागे सूना-सूना।दादा-दादी के पास, नित होता था सोनानीदिया रानी का आना, चुपके से सुलानापरियों की कहानी का, नित

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चले आना प्रभुजी चले आना....

12 अक्टूबर 2020
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"चले आना प्रभुजी चले आना..."कभी परशुराम बन केकभी बलराम बन केअहंकार मिटाने चले आनाचले आना प्रभुजी चले आना...कभी घनश्याम बन केकभी श्यामघन बन केधरती को भिगाने चले आनाचले आना प्रभुजी चले आना....कभी राम बन केकभी श्याम बन केपाप मिटाने चले आनाचले आना प्रभुजी चले आना....कभी किसान बन केकभी नौजवान बन केअमन चै

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उठो बहना शमशीर उठा लो....

14 अक्टूबर 2020
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"उठो बहना शमशीर उठा लो..."उठो बहना शमशीर उठा लोसोयी सरकार न जागेगीहर घर में है दुःशासन बैठाऔर कब तक तू भागेगी...?समय आ गया फिर बन जाओतुम झाँसी की रानीशमशीर उठाकर लिख डालोएकदम नई कहानीमरते दम तक याद रहेसबको एकदम जुबानी....।उठो बहना शमशीर उठा लोबन जाओ तुम मरदानीकोई नज़र

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भक्तों ने पुकारा और मैया चली आई...

19 अक्टूबर 2020
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भक्तों ने पुकारा और मैया चली आईभक्तों ने पुकारा और मैया चली आईदर्शन देकर के मैया आपन कृपा बरसाई......जब-जब नवरात्रि आई, माई के दरबार सजाईघर में ही दरबार लगाई, स्वागत में मंगलाचार गाई....माँ के दरबार में..आज मंगलाचार है..सबका स्वागत सत्कार हैहो रही जयजयकार है माँ अंबे का सत्कार हैमाता भवानी आई हैं सं

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मातारानी के दरबार में दुःख दर्द मिटाए जाते हैं....

23 अक्टूबर 2020
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मातारानी के दरबार में दुःख दर्द मिटाए जाते हैं...मातारानी के दरबार में दुःख दर्द मिटाए जाते हैं..दुनिया के सताए लोग यहाँ सीने से लगाए जाते हैं।मातारानी के दरबार में दुःख दर्द मिटाए जाते हैं।संसार मिला है रहने को यहाँ दुःख ही दुःख है सहने कोपर भर-भर के अमृत के प्याले यहाँ रोज पिलाये जाते हैं।मातारानी

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कोरोना की काली भयावह रात

24 अक्टूबर 2020
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कोरोना की वो काली भयावह रातमाना कि आज है कोरोना की काली भयावह रातदरअसल मिली है अपने कट्टर पड़ोसी से सौगातयूँ ही कोई देता है अर्जित अपनी थाती व विरासतसच पूछो तो ये है करनी यमराज के साथ मुलाक़ात..।नींद भी आती नहीं, आते नहीं सपनेंबेसब्री बढ़ती जाती है याद आते हैं अपनेंसमाचारपत्रों में पढ़कर भयावहता की खबरे

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अनमोल वचन

28 अक्टूबर 2020
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अनमोल वचनश्रद्धा सम भक्ति नहीं, जो कोई जाने मोलहीरा तो दामों मिले, श्रद्धा-भक्ति अनमोल।दयावान सबसे बड़ा, जिय हिय होत उदारतीनहुँ लोक का सुख मिले, करे जो परोपकार।स्वार्थी सारा जग मिले, उपकारी मिले न कोयसज्जन से सज्जन मिले, अमन चैन सुख होय।सब कुछ होत है श्रम से, नित श्रम करो तुम धायसीधी उँगली घी न निकसे

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जीवन को सरल, सहज और उदार बनाओ

30 अक्टूबर 2020
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जीवन को सरल, सहज और उदार बनाओमनुष्य कहने के लिए तो प्राणियों में सबसे बुद्धिमान और समझदार कहलाता है। पर गहन अध्ययन व चिंतन करने पर पता चलता है कि उसके जैसा नासमझ व लापरवाह दूसरा कोई प्राणी नहीं है। विचारकों, चिंतकों, शिक्षाशास्त्रियों और मनीषियों ने बताया कि सीखने की कोई आयु और अवस्था नहीं होती है।

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महाप्रसाद के बदले महादान

31 अक्टूबर 2020
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महाप्रसाद के बदले महादानआप सभी जानते हैं कि कोरोना विषाणु के कारण जनजीवन बहुत बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। व्यापार, कारोबार और रोजगार भी अछूता नहीं रहा। कोरोना के कारण पूरे विश्व में भय व्याप्त है। ऐसे में पड़ने वाले त्योहारों का रंग भी फीका पड़ता गया। राष्ट्रीय त्यौहार स्वतंत्रता दिवस का आयोजन तो कि

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हिंदी पाठ्यपुस्तक, मूल्यमापन एवं आराखड़ा प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न

1 नवम्बर 2020
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हिंदी पाठ्यपुस्तक, मूल्यमापन एवं आराखड़ा प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्नमहाराष्ट्र राज्य माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षण मंडल और बालभारती के संयुक्त तत्वावधान में बहुप्रतीक्षित बारहवीं की हिंदी पाठ्यपुस्तक, मूल्यमापन एवं आराखड़ा संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रम दिनांक 1 नवंबर, 2020 को सुबह 11.30 बजे संपन्न हुआ

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सबसे सरल, सहज और दुर्बल प्राणी शिक्षक

5 नवम्बर 2020
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सबसे सरल, सहज और दुर्बल प्राणी 'शिक्षक'आप हमेशा से ही इस समाज में एक ऐसे वर्ग, समुदाय या समूह को देखते आये हैं जो कमजोर, दुर्बल या स्वभाव से सरल होता है और दुनिया वाले या अन्य लोग उसके साथ कितनी जटिलता, सख्ती या बेदर्दी से पेश आते हैं। वो बेचारा अपना दुःख भी खुलकर व्यक्त नहीं कर पाता है। वैसे तो उसे

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अनमोल वचन ➖ 3

6 नवम्बर 2020
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अनमोल वचन ➖ 3सद्गुरु हम पर प्रसन्न भयो, राख्यो अपने संगप्रेम - वर्षा ऐसे कियो, सराबोर भयो सब अंग।सद्गुरु साईं स्वरूप दिखे, दिल के पूरे साँचजब दुःख का पहाड़ पड़े, राह दिखायें साँच।सद्गुरु की जो न सुने, आपुनो समझे सुजानतीनों लोक में भटके, तबतक गुरु न मिले महान।सद्गुरु की महिमा अनंत है, अहे गुणन की खानभव

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ऑर्गेनिक खेती और हैड्रोपोनिक खेती का बढ़ता चलन

7 नवम्बर 2020
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ऑर्गेनिक खेती और हैड्रोपोनिक खेती का बढ़ता चलनहालही में मैंने 4 नवंबर, 2020 के अंक में छपा एक लेख पढ़ा जिसका शीर्षक था 'लेक्चरर की नौकरी छोड़ बनें किसान' मिट्टी नहीं पानी में उगती हैं फल और सब्जियाँ। यह कारनामा गुरकीरपाल सिंह नामक व्यक्ति ने कर दिखाया। जो एक कंप्यूटर इंजीनियर थे और लेक्चरर पद पर नौकरी

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'कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है'

8 नवम्बर 2020
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'कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है'कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है। जहाँ एक तरफ दावा किया जा रहा था कि अब कोरोना का खात्मा होने को आया है और सबकुछ खोल दिया गया, भले ही कुछ शर्तें रख दी गई। हमेशा सरकार प्रशासन सूचना जारी करने तक को अपनी जिम्मेदारी मानती है और उसीका निर्वहन करती है। जैसे सिगरेट के पैकेट प

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अनमोल वचन ➖ 4

9 नवम्बर 2020
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अनमोल वचन ➖ 4दाता इतना रहमिए, कि पालन-पोषण होयपेट नित भरता रहे, अतिथि सेवा भी होय।दीनानाथ हैं अंतर्यामी, सहज करें व्यापारबिना तराजू के स्वामी, करें हैं सम व्यवहार।सबकुछ तेरा नाम प्रभु, इंसा की नहीं औकातपल में राजा तू बनाए, पल में रंक बनि जात।नाथ की लीला निराली,क्या स्वामी क्या मालीबाग की रक्षा माली

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शिक्षक के व्यवसाय का महत्त्व

11 नवम्बर 2020
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शिक्षक के व्यवसाय का महत्त्वशिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक के व्यवसाय का ऐसा ही महत्त्व है जैसे कि ऑपरेशन करने के लिए किसी डॉक्टर अर्थात सर्जन का महत्त्व होता है। शिक्षक सिर्फ समाज ही नहीं बल्कि राष्ट्र की भी धूरी है। समाज व राष्ट्र सुधार और निर्माण के कार्य में उसकी महती भूमिका होती है। शिक्षक ही शिक

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आओ हम सब मिलकर ऐसा दीप जलाएँ

14 नवम्बर 2020
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आओ हम सब मिलकर ऐसा दीप जलाएँआओ हम सब मिलकर ऐसा दीप जलाएँदीप बनाने वालों के घर में भी दीये जलाएँचीनी हो या विदेशी हो सबको ढेंगा दिखाएँअपनों के घर में बुझे हुए चूल्हे फिर जलाएँअपनें जो रूठे हैं उन्हें हम फिर से गले लगाएँ।आओ हम सब मिलकर ऐसा दीप जलाएँजो इस जग में जगमग-जगमग जलता जाएजो अपनी आभा को इस जग म

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जननायक बिरसा मुंडा

15 नवम्बर 2020
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जननायक बिरसा मुंडावैसे तो हम हजारों समाजसुधारकों और स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हैं, उनका जन्मदिन मनाते हैं। पर कुछ ऐसे होते हैं जो अल्पायु जीवनकाल में ही महान कार्य कर जाते हैं पर उनको स्मरण करना सिर्फ औपचारिकता रह जाती है या फिर क्षेत्रीय स्तर पर ही उनकी पहचान सिमटकर रह जाती है। आज मैं बात क

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अनमोल वचन ➖ 5

16 नवम्बर 2020
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अनमोल वचन ➖ 5दीप से दीप की ज्योति जलाई, दिवाली की ये रीति निभाईएक कतार में रखि के सजाई, फिर सब कुशल क्षेम मनाई।पाँच दिनों का त्योहार अनोखा, भाऊबीज तक सजे झरोखापकवानों का खुशबू हो चोखा, हर कोई रखता है लेखा-जोखा।धनतेरस की बात निराली, करते हैं सब अपनी जेबें खालीकोई खरीदे सोना-चाँदी तो, कोई बर्तन शुभ दि

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भारत का स्विट्जरलैंड

19 नवम्बर 2020
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भारत का स्विट्जरलैंडएक लंबे अरसे के बाद मातारानी के यहाँ से बुलावा आ ही गया। हमनें मातारानी वैष्णोदेवी का दर्शन करने के पश्चात दूसरे दिन हमनें कटरा से ही अगले सात दिन के लिए ट्रैवलर फोर्स रिजर्व कर लिया था। कटरा से सुबह हम सब डलहौजी के लिए रवाना हुए थे। नवंबर माह का अंतिम सप्ताह चल रहा था। सैलानियो

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गिरनार की चढ़ाई (संस्मरण)

23 नवम्बर 2020
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गिरनार की चढ़ाई (संस्मरण)समय-समय की बात होती है। कभी हम भी गिरनार की चढ़ाई को साधारण समझते थे पर आज तो सोच के ही पसीना छूटने लगता है। आज से आठ वर्ष पूर्व एक विशेष राष्ट्रीय एकता शिविर (Special NIC Camp) में महाराष्ट्र डायरेक्टरेट का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला। पूरे बारह दिन का शिविर था। मेरे साथ द

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सवेरे सवेरे उठकर देखा

29 नवम्बर 2020
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सवेरे - सवेरे उठकर देखासुनहरी किरण छिटके देखाचिड़िया अभी-अभी थी आईनव सृष्टि की गीत सुनाई।मन भी उमंग जोश से भराहर पल लगता था सुनहरासुगंधित संगीतमय वातावरणअंधकार के पट का अनावरण।मैंने किरणों से कहा,मुझे थोड़ी सी ऊर्जा दोगीचिड़िया से कहा,गाने का तजुर्बा दोगीनव किसलय दल से कहा,जीवन स्नेह से भर दोगीफूलों की

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पीने के पानी की सुविधा न होने से त्रस्त हैं लोग

30 नवम्बर 2020
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पीने के पानी की सुविधा न होने से त्रस्त हैं लोगमुंबई उपनगर से लगा हुआ और तेजी से विकास की ओर आग्रसर हो रहे नालासोपारा (पश्चिम) स्थित यशवंत गौरव कॉम्प्लेक्स इलाके में लोग पिछले पाँच-सात साल से रह रहे हैं और अभीतक मूलभूत सुविधाओं के लिए तरश रहे हैं।इस इलाके का बहुत तेजी से विस्तार हुआ है। लोंगों ने अप

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अबला की चाह

1 दिसम्बर 2020
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अबला की चाहचाह नहीं मैं अनपढ़ गँवार रहअनजान के माथे थोपी जाऊँबस चाह नहीं मैं बीज की तरहजब जहाँ चाहे वहाँ बोयी जाऊँचाह नहीं सूत्र बंधन की भीबंधि दहेज प्रथा की बलि चढ़ी जाऊँबस चाह नहीं है इस जग मेंअधिकारों से वंचित रह जाऊँ....!चाह मेरी बस इतनी सी है...बाला बनकर जनमूं जग मेंजीने का हो अधिकार मेरादादा-दाद

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वक़्त का तराजू

4 दिसम्बर 2020
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वक़्त का तराजूवक़्त वह तराजू है साहबजो बुरे वक़्त में अपनों का वजन बता देता हैपराये को साथ लाकर खड़ा कर देता हैवक़्त ही वह मरहम है साहबजो गहरे से गहरे घाव को भी फौरन भर देता हैऔर भरे हुए घाव को कुरेदकर हरा कर देता हैवक़्त ही सबसे बड़ा गुरू है साहबजटिल पाठ को भी पल भर में समझा देता हैमूर्ख को भी विद्वता का

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शामत मुझ पर ही आनी है....

5 दिसम्बर 2020
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शामत मुझ पर ही आनी है...शादी अपनों की होया किसी बेगाने कीखर्चा उतना ही है जीश्रीमतीजी के जाने की। जब देखो तब सुनाती रहती हैंखर्च ही क्या है? खर्च ही क्या है?सुन – सुनकर कान पक गयादुकानों के चक्कर काटते-काटतेसच मानों पूरा दिन बीत गया….जेब खाली होकर क्रेडिट पर आ गया। सोचा छोड़ो अब तो झंझट छूटातभी खनकती

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गुम हूँ उसके याद में.....

7 दिसम्बर 2020
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गुम हूँ उसके याद में....गुम हूँ उसके याद में, जिसे चाहा था कभीगोदी में सुलाकर जिसने, दुलारा था कभीप्रसव-वेदना की पीड़ा से, जाया था कभीदुःख सहकर उसने, पाला-पोसा था कभीरात-रात भर जागकर, सुलाया था कभी।गुम हूँ उसके याद में, जिसने दुनिया में लाया था कभीअपने सपनों को तोड़-तोड़कर, जिलाया था कभीखुद भूखी रह-रहक

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एक मसीहा जग में आया....

8 दिसम्बर 2020
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एक मसीहा जग में आया....एक मसीहा जग में आयादलितों का भगवान बनाराजनीति मन को ना भायाज्ञानसाधना ही आधार बना।निर्धनता को धता बतायाछात्रवृत्ति से अरमान सजोयाकाला पलटन में स्थान मिलागुरू से पूरा सम्मान मिला।अर्थशास्त्र जो मन को भायाडॉक्टरेट की डिग्री दिलवायावर्णव्यवस्था थी मन में चुभतीशोध प्रबंध उस पर ही

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जब-जब मैं उसे पुकारूँ...

12 दिसम्बर 2020
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जब-जब मैं उसे पुकारूँ...जब-जब मैं उसे पुकारूँवो दौड़ी-दौड़ी चली आएआँधी हो या तूफान होवो कभी ना घबराए...।ऐसी प्यारी निंदिया....सभी के भाग्य में आएअकेलेपन की रुसवाई मेंकभी भी ना सताए...।निंदिया को मैं पुकारूँसपनों की बाट जोहूँसपना लगती अति सुहानीएकदम परियों सी कहानी।परियों की कहानी अलबेलीजो होती है एकदम

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नसीब अपना अपना...

14 दिसम्बर 2020
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नसीब अपना-अपनाकिसी ने सच कहा है साहबदुनिया में सभी लेकर आते हैंनसीब अपना-अपना....।विधिना ने जो लिख दियातकदीर छठी की रात मिटाए से भी नहीं मिटतालकीर खींची जो हाथ....।नसीब में होता है तोबिना माँगे मोती मिल जाता हैनसीब में न होने परमाँगने से भीख भी नहीं मिलती है।ये तो नसीब का ही खेल हैरात का सपना सुबह स

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बारामती का शेर....

20 दिसम्बर 2020
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बारामती का शेर....बारामती के लोंगों ने बस एक ही नाम को है पूजा शरद पवार नाम मान्यवर हर गली शहर में है गूँजासाहब महाराष्ट्र की धरती पर ऐसा नाम कहाँ है दूजाराजनीति गलियारे में भी वही नाम जाता है पूजा।बड़े महारथी पाँव चूमते झुक झुककर भाई जिसकेगाथा क्या गाऊँ मैं भाई उसके चरित्र की महिमा केबोल कभी बड़ बोलन

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तुम शेर बन अड़े रहो....

22 दिसम्बर 2020
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तुम शेर बन अड़े रहो....कोरोना अभी गया नहीं...शेर बन अड़े रहो, घर में ही डटे रहोशेरनी भी साथ हो, शावक भी पास होबाहर हवा ठीक नहीं, निकलना उचित नहींशेर बन अड़े रहो, घर में ही डटे रहो...।दूध की मांग हो या सब्जी की पुकार होभले राशन की कमी हो, तुम फिकर करो नहींतुम निडर खड़े रहो, बिल्कुल डरो नहींशेर बन अड़े रहो

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श्मशान घाट पर हादसा ....क्या कहेंगे आप..?

3 जनवरी 2021
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श्मशान घाट पर भीषण हादसा...20 की मौत..क्या कहेंगे आप..?उत्तर प्रदेश के जिला गाजियाबाद स्थित मुरादनगर श्मशान घाट में लोग दाहसंस्कार के लिए आये हुए थे। सभी लोग छत के नीचे खड़े थे। छत गिर गई और देखते-देखते बीस लोग काल के ग्रास में समा गए। जबकि और लोंगों के दबे होने की आशंका जताई गयी है। हालांकि राहत कार

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राष्ट्रीय युवा दिवस

11 जनवरी 2021
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युवा शक्ति के प्रेरक और आदर्श स्वामी विवेकानंद (राष्ट्रीय युवा दिवस)स्वामी विवेकानंद भारतीय आध्यात्मिकता और जीवन दर्शन को विश्वपटल पर स्थापित करने वाले नायक हैं। भारत की संस्कृति, भारतीय जीवन मूल्यों और उसके दर्शन को उन्होंने ‘विश्व बंधुत्व व मानवता’ स्थापित करने वाले विचार के रूप में प्रचारित किया।

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हिंदी सेवी सम्मान...👍

20 जनवरी 2021
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हिंदी सेवी सम्मान...दो दिन पहले ही फोन आया। अनजान नम्बर था। सामने से आवाज आई, 'अशोक जी नमस्कार। आपके लिए खुशखबरी है। इस वर्ष आपको हिंदी सेवी सम्मान से सम्मानित किया जा रहा है।'एक पल के लिए तो मुझे कुछ नहीं सूझा। खैर जो कुछ मैंने सुना वो सच था। मुंबई प्रांतीय राष्ट्रभाषा प्रचार सभा ने हिंदी के प्रचार

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