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पर्दा प्रथा

31 मई 2022

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कविता रावत

कविता रावत

धर्म क्या है जब तक उसे समझने की अपनी समझ विकसित नहीं हो जाती इंसानों में तब तक बहुत सी सामाजिक कुरीतियां यूँ ही बदस्तूर चलती जाएगी, जिस दिन उनमें अपना ज्ञान और विवेक जाग जाएगा उस दिन यह सब अपने आप दूर हो जाएगा

1 जून 2022

50
रचनाएँ
नई भोर
5.0
यह पुस्तक काव्य संग्रह है। नई भोर, नया सवेरा, सूरज की नई किरण के साथ नई उमंग से भरी कविताओं का संग्रह है ये पुस्तक। इस पुस्तक में अलग-अलग विषयों पर कविताएं लिखीं हैं। इसकी भाषा बेहद सरल एवं स्पष्ट है। मन के भावों को शब्दों में सजाकर एक-एक शब्दों को चुनकर लड़ी बनाकर कागज पर उकेरा है।
1

नई भोर

4 मई 2022
79
66
7

उठो लाल, अब आँखें खोलो। मोबाइल लाई हूँ, पासवर्ड खोलो। बीती रात मैसेज बॉक्स फूले, उनके अंदर फॉलोअर्स झूले। नोटिफिकेशन चहक रहे व्हाट्सएप पर, बहने लगे स्टेटस अति सुंदर। ईन्स्टा पर न्यारी

2

पाप का बाप

4 मई 2022
18
14
3

देख कर पराई स्त्री को, आते बुरे विचार।इसे कहते हैं काम का विकार।छोटी-बड़ी बातों पर, आता गुस्सा अपार।इसे कहते हैं क्रोध का विकार।जरूरत पर भी नहीं खर्चते, चाहे हो बेशुमार।इसे कहते हैं लोभ का विकार।गलत क

3

परीक्षा की तैयारी

2 मई 2022
20
16
4

कुछ रट लिए,कुछ याद किए,और कुछ घौंट कर पी लिए।हो गए कमर कस के,तैयार हम परीक्षा देने के लिए.....कुछ पेन रखे,कुछ पेंसिल रखे,और कुछ स्केल, रबड़ रखे।सजा के अपनी एग्जाम किट,तैयार हम परीक्षा देने के लिए.....

4

टीवी सीरियल की गृहणियाँ

1 मई 2022
16
12
2

टीवी सीरियल की गृहणियाँ,इतनी सजी धजी कैसे रहतीं हैं। करतीं पूरा काम है घर का,फिर भी हमेशा फ्रैश दिखतीं है। सेट रहते उनके बाल और कपड़े,जब सुबह सबेरे जगतीं हैं।बड़े से बड़े टास्क वो,चुटकिय

5

हाय कोरोना

3 मई 2022
19
10
1

हाय ! कोरोना, हाय ! कोरोना,फिर से अब ना आना तू।मुश्किल से जान छूटी तुझसे,अब ना और डराना तू ।खूब तबाही मचा दी तूने,फिर से ना उकसाना तू ।बदल बदल कर आया भेष,अब और रूप ना दिखाना तू। कितनों को निगल लि

6

वक्त बेवक्त

4 मई 2022
12
9
2

सुबह की गुनगुनी धूप,दोपहर में तपिश बन जाती है।सर्दियों में लगती सुहानी,गर्मियों में चुभन बन जाती है।जिसकी जब हो जरूरत, तब मिले तो अनमोल है।और वक्त बेवक्त मिलने पर,नहीं उसका कोई मोल है।बारिश में ब

7

हम दहेज के खिलाफ़ हैं

7 मई 2022
26
20
2

दहेज लेना और देना, दोनों ही पाप हैं।हमें कुछ नहीं चाहिए,क्योंकि हम दहेज के खिलाफ़ हैं। गर्मियों में आपकी बेटी, कैसे पिएगी गरम पानी।कूलर और पंखा के बिना,कैसे रहेगी बहु रानी।एक फ्रिज और एसी की,उसके लिए

8

दृढ़ निश्चय

8 मई 2022
15
15
0

स्कूल से आकर बिटिया,चहकती हुई मुझसे लिपट गई।मैंने हैरानी से पूछा,बता तो क्या बात हो गई।उसने इतराते हुए,मुझको बताया।अपनी यूनिफॉर्म पर,मॉनिटर के बैज को दिखाया।बोली फर्स्ट टर्म के टेस्ट में,मेरा प्रथम स्

9

आसमान रोटियाँ बरसाए...

10 मई 2022
15
16
0

सोचो अगर ऐसा हो जाए, आसमान रोटियाँ बरसाए। कैसा होगा वह नजारा, सोचो सोचो फिर दोबारा। भूखा कोई रहेगा नहीं, मारा मारा फिरेगा नहीं। मजदूर थककर घर जाएंगे, पेट भर कर खाना खाएंगे। महिलाओं को मिलेगी फुर्सत, र

10

ऐ! जिंदगी

10 मई 2022
16
14
0

ए जिंदगी तेरे खेल निराले लगते हैं।नाचते तेरे इशारों पर हम तो प्यादे लगते हैं।।कभी अपनों के बीच बैठे बेगाने लगते हैं।कभी अजनबियों की महफिल में पहचाने लगते हैं।।कभी कानाफूसी से भी सहम जाते हैं।कभी आँखों

11

घोर कलयुग!

10 मई 2022
12
13
0

कलयुग है भाई,घोर कलयुग आया है।लेकिन स्त्रियों के लिए तो,कलयुग हर युग में छाया है।त्रेता युग में रावण,सीता को उठाकर ले गया था।और फिर शुरू,राम और रावण का युद्ध हुआ था।लौट कर आईं सीता माता, तो श्रीर

12

मुकाम मिल गया

10 मई 2022
12
12
0

छोटे छोटे शब्दों को जोड़ना जुनून बन गया। कविताओं को रचना दिल का सुकून बन गया।।लिखने की चाहत सोई थी बचपन से।बनकर सवेरा जीवन खिल गया।।जज्बातों को शब्दों में सजाने लगे।भावों को उकेरना हुनर बन गया।।अ

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मन मनमौजी

10 मई 2022
12
13
0

मन मनमौजी, कुछ भी सोचता है।बेगानौं की महफ़िल में, खुद को खोजता है।ढूंढता है सुकून, गमों के सागर में।झलकाता है आंसू, भरी हुई गागर में।सुनाता है दास्तां, नफ़रत से भरे लोगों को।अपनों का नह

14

चाय की प्याली

10 मई 2022
12
12
0

एक कप चाय की प्याली,गरमा गरम अदरक वाली।सुबह सुबह नींद नहीं खुलती,जब तक चाय नहीं है मिलती। शाम को भी जब लगती तलब है,बिस्कुट का मेल गजब है। जब भी घर में मेहमान आते, सबसे पहले चाय हम पिलात

15

मन

10 मई 2022
12
13
0

कभी मन उड़ ले चला मुझे, अतीत की गहराइयों में। कभी खुशियों की महफिल में, कभी गम की तन्हाइयों में। लगाकर पंख उड़ चली मैं, बचपन की गलियों में। कभी भाई बहनों की लड़ाई में, कभी बतियाती सखियों में। स्कूल की

16

आसमान से मदिरा बरसे....

11 मई 2022
13
13
0

सोचो एक दिन बरसने लगे, आसमान से मदिरा। भगदड़ मच जाएगी, कोई यहाँ गिरा कोई वहाँ गिरा। कोई छतों पर कोई रोड़ पर, कोई बालकनी में आएगा। कोई लाकर ड्रम और पीपे, भर भर कर ले जाएगा। अरे यहाँ तो भीड़ लगी कहकर,

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तू छोटा ही रहना

13 मई 2022
15
14
1

वो सो रहा था पालने में,वो उस को निहार रही थी।देख देख कर अपने लाल को,सपने सजा रही थी।दिन बीतेंगे, महीने निकलेंगे,फिर निकलेंगे साल।छोटे से बड़ा होगा,जुग जुग जियो मेरे लाल।बैठेगा, घुटनों चलेगा,फिर चलना स

18

मोबाइल

13 मई 2022
12
12
0

मोबाइल ने छीन लिया, सब का सुख चैन। रहता है मोबाइल हाथ में, दिन और रैन। दादाजी का रेडियो छीना, दादी का स्वेटर। पड़ोसियों को नहीं मिलता, गोसिप का मैटर।पापा के दोस्तों की महफिल छीनी, मम्

19

जा रही हूँ मैं

18 मई 2022
13
11
0

इस कदर तुमने मुझे दुखी कर दिया है,कि तुमसे दूर रहने का फैसला किया है। दूर रहकर तुम से सुकून ढूँढ़ रही हूँ, तुम्हारी खुशियों के लिए गम सहे जा रही हूँ। नहीं है कदर तुम्हें मेरे प्यार की,&

20

रूठ जाती हूँ मैं

18 मई 2022
11
12
0

तुम मुझे मना लेते हो हर बार। इसलिए मैं रूठ जाती हूँ बार बार। रूठना तुमसे, यह मेरा हक है। मना लोगे तुम, नहीं कोई शक है। जब जब मैं रूठूंगी तब तब तुम मनाओगे।अपने हाथों से चाय बना कर म

21

धीरे-धीरे

18 मई 2022
11
10
0

यूँ हीं धीरे-धीरे उम्र ढलती गई,तन्हाइयां जिंदगी की बढ़ती गईं। कभी किया करते थे उनके दिल पर राज,आज हमारी खामोशियां भी उनको चुभने लगी।हमारी एक मुस्कुराहट पर हो जाते थे निहाल,आज सिसकियों की आवाज भी

22

कर्मों का फल

19 मई 2022
13
13
0

कर्मों की मार से, बच नहीं सकता है। करके कर्म को कहीं, छुप नहीं सकता है।। करनी करने से पहले, एक बार भी नहीं सोचता है। और फिर पछता कर, भाग्य को कोसता है।।

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बिखरते रिश्ते

19 मई 2022
11
12
0

बिखरते रिश्ते की बात पुरानी हो गई। अब तो यह घर घर की कहानी हो गई।। पहले एक कमाता था और दस खाते थे चैन से। अब दसों कमाए फिर भी दिखते हैं बेचैन से।। साथ बैठकर खाना खाते थे सभी। किसी को फुर्सत ही नहीं मि

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अपने लिए जीना भूल गई

19 मई 2022
12
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2

बचपन में पापा के डर में रही। शादी के बाद पति की हद में रही। बुढ़ापे में बच्चों की लय में रही। सबके मन की रही, पर.... अपने लिए जीना भूल गई। मायके में अपने घर जाने की बातें सुनीं। ससुराल में अपने घर के

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महंगाई के दोहे

19 मई 2022
12
12
0

बढ़ती महंगाई को देख कर, दिया आदमी रोए। महंगाई की मार से, बच ना पाया कोए।। सुरसा के मुंह की तरह, बढ़ती जाए महंगाई। घंटों काम करके भी, छोटी लगे कमाई।। वेतन आवत देखकर, मन में गए हर्षाय। हिसाब लगाया

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विज्ञापन

19 मई 2022
11
12
0

विज्ञापनों की चली है आंधी, उत्पादकों की चांदी ही चांदी। न्यूज़पेपर, टीवी, मोबाइल, खोलकर बैठे हैं हर जगह प्रोफाइल। उत्पादों को बढ़-चढ़कर दिखाते हैं, भर भरकर खूबियां गिनाते हैं। सुंदर-सुंदर मॉडल से एक्

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आंटी मत बोलो

21 मई 2022
12
13
1

हाँ थोड़ी सी बड़ी हो गई हूँ। उम्र के अर्धशतक पर खड़ी हूँ। फिर भी इस बात पर अड़ी हूँ। सोच समझ कर मुुँह खोलो। आंटी मत बोलो.... बालों में मेहंदी तो शौक से लगाई। जिम्मेदारियों के बोझ से पीठ है झुकाई। चश्म

28

डाॅक्टर

23 मई 2022
14
14
2

यूँ ही नहीं डॉक्टर को, भगवान का रूप कहते हैं। मानव सेवा करने को, डॉक्टर तत्पर रहते हैं। कोई भी हो बीमारी, पुरजोर अपना लगाते हैं। मरीज को आखिरी सांस तक,

29

दोहे

29 मई 2022
11
12
0

ऐसी करनी कीजिए, जासे ना कोई रोए। जीते जी सुख मिले, भव से पार होए।। पढ़त पढ़त किताबों को, रट्टा लियो लगाए। देख एग्जाम में पेपर को, सिर गया चकराए।। पाप कमाई करके, रटता नाम हरि का। गलत आचरण ना करो,

30

मैं तुम्हारी हो गई

29 मई 2022
11
11
0

तेरी मेरी लड़ाई, अब पुरानी हो गई।यह तो अब रोज की, कहानी हो गई।। ना मुझको चुप रहना, ना तुझको कुछ सुनना।कहासुनी का सिलसिला, जगजाही हो गई।। करते थे बातें, पलकों पर बिठाऊँगा।अब नखरों के बोझ से ह

31

बिखर सी जाती हूँ

29 मई 2022
11
11
0

कभी-कभी थोड़ा, उलझ सी जाती हूँ।खुद में सिमटकर, बिखर सी जाती हूँ।।दिखता नहीं कोई, जिसे अपना कह सकूँ। अपनों की महफिल में तन्हा सी जाती हूँ।।एक आशियाना, बनाया सपनों का।उसकी दीवारों में, गिरफ्त सी जा

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मीना बाजार

29 मई 2022
11
11
0

झिलमिलाता मीना बाजार, सुंदर लाइटों से सजा। चहक गए बच्चे खुशी से, आ गया उनको मजा।। रंग बिरंगी लाइटों से, सजी हुई थी दुकानें। व्यस्त थे दुकानदार, सामान लगे थे दिखाने।।लगी थी द

33

नफ़रतों का जहर

29 मई 2022
10
10
0

हर कोई अपने, गुरूर में खो गया है। मानव ही मानव का, दुश्मन हो गया है।। किसी की कामयाबी पर, बधाईयाँ देते हैं। लेकिन सहयोग के नाम पर, मुँह फेर लेते हैं।। मांगे मदद तो, हाथ खड़े करते ह

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कलयुग का मेला

29 मई 2022
11
11
0

लो आ गया कलयुग का मेला।झुंड में है हर कोई अकेला।। रिश्ते बिकते कौड़ियों के दाम। मिलता नहीं है एक भी धेला।। सब दे रहे हैं एक दूसरे को धोखा। कोई गुरु है कोई चेला।। आगे निकलने की

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इंसानियत जिंदा है

29 मई 2022
12
11
0

इंसानियत अभी भी जिंदा है, शायद उसी पर धरती टिकी है। अभी भी कुछ लोगों में, मानवता की झलक दिखी है। रोड पर हो जाए एक्सीडेंट तो, हर कोई तमाशा नहीं देखता है।कुछ ऐसे भी होते हैं जो,आगे बढ़कर अस्पताल भेजता

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स्वास्थ्य

29 मई 2022
11
12
0

पहला सुख निरोगी काया, इसको मानव ने विसराया।। दिन रात करके मेहनत, कोड़ी कोड़ी धन है कमाया। घंटों बैठकर करते काम, कंप्यूटर, मोबाइल ने जग भरमाया। टाइम नहीं है खुद के लिए, आर्डर देकर खाना मंगाया। शा

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बदलती सोच

29 मई 2022
11
12
0

बदलते वक्त के साथ, लोगों की सोच बदल गई है। नई पीढ़ी के अनुसार, हमारी पीढ़ी ढल रही है।। हम नहीं ढाल पाते उन्हें, पर हम बदल रहे हैं। उनके फैसलों के आगे, हम ढल गए हैं।।

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शतरंजी दुनिया

29 मई 2022
12
10
2

दुनिया है एक शतरंज, बिसात बिछी है।शह और मात देने की, होड़ मची है। अलग-अलग मोहरे यहाँ, अपना किरदार निभाते हैं। कोई पावरफुल वजीर है तो, कोई सैनिक जोर आजमाते हैं। वजीर अपनी ताकत का, पूरा लाभ उठाता ह

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मैंने कर लई पाप कमाई

29 मई 2022
10
9
2

मैं तो सिर धुन के पछताई, मैंने कर ली पाप कमाई। बचपन खेल में गवाया, जवानी नींद ने भरमाया। बुढ़ापे में सुधि आई, मैंने कर ली पाप कमाई..... काम क्रोध का झूला झूली, अहंकार में फूली फूली। मोह माया ने

40

कचड़े की गाड़ी

30 मई 2022
8
8
0

कचड़े की गाड़ी आई देखो। गाना गाती आई देखो।। गाड़ी आई द्वार द्वार पर।सब की बारी आई देखो।। रंग बिरंगी डस्टबिन लेकर। सब ने दौड़ लगाई देखो।। गीले और सूखे कचड़े की। अलग-अलग जग

41

दोस्ती

30 मई 2022
8
8
2

जीने के लिए एक आश चाहिए।दिल के बहुत ही पास चाहिए। बिन कहे समझ जाए मन की बात।दोस्त एक ऐसा खास चाहिए।उलझन में कभी गर उलझ जाऊँ। कभी अकेले इस दुनिया में पड़ जाऊँ।आके थाम ले वह मेरा हाथ। उसका साथ पातें ही

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स्त्री की अभिलाषा

30 मई 2022
7
7
0

चाह नहीं की सुंदर-सुंदर,गहनों से लद जाऊँ।चाह नहीं कि महंगे महंगे,कपड़े पहन के इतराऊँ। चाह नहीं के बाहर, घूमने मैं जाऊँ।चाह नहीं कि होटल में, खाना खाऊँ। चाह नहीं बार-बार, मैं म

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आने वाला कल

30 मई 2022
7
8
0

आने वाला कल, क्या रंग दिखायेगा, ये तो वक्त ही बताएगा। जीवन के सागर में, कौनसा गीत गायेगा, ये तो वक्त ही बताएगा। कश्ती को हमारी, डुबोऐगा या पार लगाएगा, ये तो वक्त ही बताएगा। आने वाला कल, हँसाएगा या रुल

44

जीना चाहती हूँ मैं

30 मई 2022
6
6
0

इससे पहले कि मैं, मेरी ही नजरों में गिर जाऊँ भूल सुधारना चाहती हूँ मैं देर से ही सही लेकिन अपने लिए जीना चाहती हूँ मैं जो कुछ खोया है मैंने वापस नहीं ला सकती हूँ लेकिन

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वो मांफी

30 मई 2022
9
9
1

बिना गलती के मांफी मंगवाकर, खुश हो जाते हैं लोग।पैरों में गिराकर,सिर पर बैठ जाते हैं लोग। झुका कर खुश हो गए,हँस दिए रुला कर।खुद की जीत समझ रहे हैं,हमें यूँ आजमाकर

46

जिंदगी....

30 मई 2022
6
7
0

कभी ठहरी तो कभी,भागमभाग जिंदगी.... कभी कैद तो कभी, आजाद जिंदगी.... कभी पतझड़ तो कभी, बहार जिंदगी....कभी किनारे तो कभी, मझधार जिंदगी.... कभी अंधेरा तो कभी, रोशनी जिंद

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मेरा गाँव कहीं खो गया है

30 मई 2022
9
9
2

मेरा गाँव कहीं खो गया है, अब शहर जैसा हो रहा है। कच्चे घरों की जगह अब, पक्के मकानों ने ले ली है। मिट्टी की सोंधी खुशबू अब, सीमेंट ने खाली है। कुएँ के पनघट की जगह, घर घर नल लग गए हैं। बुझ जाती है

48

पर्दा प्रथा

31 मई 2022
8
7
1

क्यों चली? कब से चली? किसने लागू की? यह किसी को नहीं है पता। बस पीढी दर पीढ़ी, चली आ रही है यह प्रथा। क्यों है ये? क्या जरूरत है, क्यों छुपानी पड़ती सूरत है।&nb

49

चेहरे पे चेहरा

31 मई 2022
10
7
2

चेहरे पर चेहरा लगाए हैं लोग। असली चेहरा छुपाए हैं लोग।। बोलते हैं मीठा रहते हैं कड़वे।शहद में मिश्री मिलाए हैं लोग।। दिखाते खुशी है मन में कुढ़ते। मन में छुरिया चलाए हैं लोग।।

50

मेरा घर

31 मई 2022
9
9
2

माँ ये घर मेरा है, तो कहीं और क्यों जाना है। क्यों कहते हैं मुझसे सब, तुझे तो एक दिन उड़ जाना है। देखो यह दीवार पर, पेंटिंग मैंने बनाई है। यह फूलों की लड़ियाँ, मैंने ही लगाई है

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