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अर्रेंज लव

Rinku rajpoot

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मिहिर आज अपनी दुल्हन की विदाई करा कर उसके ससुराल लेकर आ रहा था।सजी सँवरी ,सिमटी हुई सकुचाई सी ,घूघट में पास ही गाड़ी में बैठी हुई थीं। कभी उसकी चूड़ियों की खनक ,कभी पायलों की रुनझुन से उसका ध्यान अपनी दुल्हन मीरा पर चला ही जाता पर,लाख कोशिशों के बाउजूद भी मिहिर ,मीरा की सूरत नहीं देख पाया ।बहुत झुकने पर भी बस नाक की बड़ी सी नथ और होठो पर एक तिल बस इतना ही देख पाया था,मीरा को एक बार कुनमुनाते देख,आगे बैठे अपने बड़े भाई को सुनाई न दे ये ध्यान में रखकर धीमे से ही बोला था.......गर्मी लग रही हो तो घूघट हटा लो परेशानी कम हो जाएगी पर मीरा न तो कुछ बोली न ही घूघट उठाई, मन ही मन मिहिर ......जाने क्या समझती हैं खुद को ,इसके लिए ही तो बोल रहा था मत हटाओ मुझे क्या ,अब मैं भी नहीं बोलूंगा,हम्म थक कर मिहिर ने अपना सर पीछे की ओर गाड़ी की सीट पर टिका दिया। हुआ यूं था की मिहिर के घर मे उसके दादाजी की चलती थी और उनके आदर सम्मान के कारण ही कोई उनके कहे को भी नहीं  टालता था,दादाजी हरिद्वार घूमने गए थे वही अपने दोस्त के यहाँ रुके थे ,वही उनकी पोती ने उनकी दो दिनों में इतनी खातिरदारी कि ,वो अपने पोते के लिए मीरा के दादाजी को ज़बान दे आये। पहले हो मिहिर बिफ़र पड़ा ,ये भी की आज के जमाने मे कौन बिना लड़की देखे और मिले शादी करता है ,पर दादाजी की ज़बान कोई पलटने की हिम्मत भी नहीं कर सकता था। मिहिर गया भी था दादाजी के पास ........दादू एक बार मिल लेते तो दबी जबां में ही बोला था। मिहिर इधर आओ .....क्या तुम्हे लगता हैं ,बेटे की मेरी ऑंखे इतनी बूढ़ी हो गई हैं?? नहीं दादू ऐसी बात नहीं । तो बेटा तुम इस घर मे सबसे छोटे बच्चे हो और मुझे तुम सभी मे प्यारे भी हो .......मैं आज की चलन भी जनता हु और तुम्हारे मन की बात भी ,शायद तुम्हारी माँ मुझे पता है जो दरवाजे पर खड़ी होकर भगवान से हाथ जोड़े प्रार्थना कर रही होगी क़ी तू कुछ गलत न बोले ,वो भी जानती हैं ।दो बहुएं पहले भी आई हैं इस घर मे और तुम्हारे भाइयो ने देखा भी और परखा भी था पर क्या हुआ और हो रहा हैं तुम भी देख सुन रहे हो। बेटा मीरा बहुत हूर परी नहीं है पर बुरी भी नहीं  हैं ,पर हो सकता हैं अगर तुम्हे अपनी माँ की सूरत और सिरत पसंद हैं तो मीरा भी तुम्हे भा ही जाएगी और शायद घर भी हमारा फिर से जुड़ जाय । अभी भी कुछ अगर शंका अभी भी है तो बोलो। नहीं दादू अब कुछ भी नहीं !!जैसा आप कहे।।... और सब कुछ ऐसे ही हुआ जैसे जैसे कहा वैसे हुआ और मीरा दुल्हन बन कर आ गई ।। घर के रस्मों रिवाज़ों में भी घूघट में ही रही मीरा तो मिहिर अभी भी देख नहीं पाया था, वैसे तो एक तरह से नाराज़ भी था मीरा से पर उसे एक बार देखने का मोह भी त्याग नहीं पा रहा था। वो रात भी आई ......पर कहते है अगर ऊपरवाला न चाहे तो कुछ भी मुमकिन नहीं !!! मिहिर की माँ की तबीयत खराब हो गई तो सब उनकी देखभाल में लग गए ।।मिहिर की माँ ने मीरा की कहा भी जाय आराम करे पर मीरा नहीं मानी सारी रात उनकी सेवा में ही काट दी ,सुबह जब वो सोई तो उनके पैरों के ही पास कुर्सी पर बैठे बेड पर सिर रखकर सो गई। सुबह मिहिर ही जागा दादू के बाद क्योंकि एक तो शादी की भागदौड़ ऊपर से मिहिर की माँ की तबीयत के कारण काफी देर से सोये थे सभी ।। मिहिर अपनी माँ के कमरे में गया तो माँ को आराम से सोता देख निश्चिंत हुआ पर साथ ही वही सोई मीरा को देख उसकी सारी नाराज़गी जाती रही ,कहां वो मीरा को अखड़ और घमण्डी समझ रहा था और कहां उसने इतनी थकावट के बावजूद मेरी माँ के लिए सारी रात उनकी सेवा में गुज़ार दी। मीरा अब तुम्हें देखने की जो लालसा मेरे मन मे थी वो अब नहीं रही चाहे जैसी भी होगी तुम मेरे लिये दुनिया की सबसे खूबसूरत बीबी हो मेरी।।सूरत जैसी भी हो तुम्हारी दिल तुम्हारा सोने सा हैं .....उन्हें युही सोया छोड़ मिहिर हल्के से दरवाजा सटा कर बाहर आया । दादाजी मिहिर के चेहरे पर मुस्कान देख बोले .......क्या बात है बेटा रात बर्बाद हो गई उस बात पर गुस्सा होने की जगह मुस्कान छोड़ रहे हो सब ठीक तो हैं बरखुर्दार!!! क्या दादू आप भी न !!!ऐसी कोई बात नहीं ....बस आपकी पसंद बहुत अच्छी हैं ।। बीन देखे!! आश्चर्य से दादू को देखकर आपको कैसे मालूम???मैं?? बेटा !!धूप में बाल सफेद नहीं हुए है !!कल की आपकी शक्ल देखी थी मैंने .…....??पर सुबह सुबह शक्ल तो नही देखी आपने तो खुसी किस बात की और हमें शाबासी कैसे मिली वो जरूर जानना हैं हमें। दादू !! ,सच है, मीरा की शक्ल मैंने देखी नहीं पर सिरत जरूर दिख गई ,मेरी दोनो भाभियां जो इतने सालों से माँ को माँ पुकारती आयी हैं पर आज एक दिन के लिए भी सेवा तो दूर रुकने की भी सोची नहीं ,मीरा ने तो अभी जाना भी नहीं किसी को पर  रात माँ के लिए रुकी ।।ये मेरे लिये बहुत बड़ी बात है दादू !!आज सुबह बिन देखे ही उससे जन्मों वाला प्यार हो गया ।। उठकर मीरा कमरे में आई तो कोई नहीं था ,नहा कर अपने गीले बालों को झटककर सूखा ही रही थीं की मिहिर ने घर मे प्रवेश किया और पानी के छीटों से चेहरा भीग गया ।। मीरा ने नज़र नीची करके सॉररी कहा और सकुचा कर खड़ी हो गई। मीरा सॉररी तो मुझे बोलना चाहिये आते ही तुम्हें सारी रात जग कर बितानी पड़ी .......मिहिर बोल कर बाहर जाने को मुड़ा ही था की.... रात जागने में सॉररी क्यों माँ की सेवा की थी कोई गलती थोड़ी न और मुझसे आप नाराज़ हैं क्या?? मिहिर मुड़ा पर नज़र नहीं उठाया!!!क्यों ऐसी तो कोई बात नहीं तो मैं इतनी भी बुरी नहीं की आप मुझे देख न सके!!!!बोलते ही मीरा की नज़र झुक गईं। मिहिर सुन कर मीरा के करीब आया उसके बालो को पीछे कर उसके चेहरे को अपने दोनो हाथो में थाम कर बोला ........ मीरा तुमसे सुंदर दुनिया मे कोई भी हो नहीं सकता ,जिसके दिल को भगवान ने इतना खूबसूरत बनाया हो उसके चेहरे की खूबसूरती को देखने की अब मुझे जरूरत नहीं लगी ......मीरा तुम तो सच मे खूबसूरत हो पर न भी होती तो कोई फर्क नहीं पड़ता मेरे प्यार में हमारी शादी अरैंज जरूर बड़ो ने की पर प्यार तो लगता हैं जन्मों से है ।बोलकर मिहिर ने मीरा के माथे को चूम कर गले लगा लिया और मीरा भी अपने पति के व्यवहार पर मोहित हो गयी थी।।  

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