arun yadav
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प्रकृति प्रदत्त सुंदरता को शब्दों में उतारना और प्रकृति विरोधी वारदातों पर आवाज उठाना मेरी फितरत है।
तुम्हारी सुधि में
14 अप्रैल 2015
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गुजरे लम्हें
7 अप्रैल 2015
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ये जो मेरी नज्में जरा सी आशिकाना हैं, सब कहते हैं कि मेरा दिल टूटा है किसी के प्यार में, बन्धू! गर जरा भी दर्द होता मेरे दिल में, कसम मोहब्बत के खुदा की सारी कायनात को दर्द में डुबा देता मैं।।
12 मार्च 2015
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एक ख्वाहिश थी उसके साथ सावन में भीग जाने की, भागते उसके यौवन को एकटक निहारने की, सुर्ख होंठों से टपकती बूँदों को पीकर, एक ख्वाहिश थी उसकी बाँहों में खो जाने की।
11 मार्च 2015
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एक ख्वाहिश थी उसके साथ सावन में भीग जाने की, भागते उसके यौवन को एकटक निहारने की, सुर्ख होंठों से टपकती बूँदों को पीकर, एक ख्वाहिश थी उसकी बाँहों में खो जाने की।
11 मार्च 2015
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फाल्गुनी गीतों से हर्षित तन-मन हो गया,खिले फूल सरसों के जर्रा-जर्रा चमन हो गया,अबकी होली में इस कदर शरारत की रंगों ने तुमसे,तुम्हारी जुल्फें लग रही थी घटा इन्द्रधनुष तुम्हारा बदन हो गया।
11 मार्च 2015
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फाल्गुनी गीतों से हर्षित तन-मन हो गया,खिले फूल सरसों के जर्रा-जर्रा चमन हो गया,अबकी होली में इस कदर शरारत की रंगों ने तुमसे,तुम्हारी जुल्फें लग रही थी घटा इन्द्रधनुष तुम्हारा बदन हो गया।
11 मार्च 2015
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